बरेली: भोजीपुरा थाना क्षेत्र (Bhojipura Police Station Area) में जुबैर अपनी पत्नी और दो मासूम बच्चों के साथ रहता था. वह मूल रूप से कानपुर (Kanpur) का रहने वाला था. अपने परिवार का मेहनत मजदूरी कर पेट पालने के लिए वह यहां डेरा डाले हुए था. बुधवार को पत्नी से झगड़ा होने के बाद जुबैर ने पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली थी, जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम करा कर शव को उसकी पत्नी को सौंप दिया. मृतक जुबैर की पत्नी शबनम शव को लेकर अभयपुर गांव (Abhaypur Village) के कब्रिस्तान में पहुंची तो वहां मौजूद लोगों ने उससे आधार कार्ड (Aadhar Card) की मांग की और आधार कार्ड न होने पर कब्रिस्तान (Cemetery) में शव को सुपुर्द-ए-खाक करने से मना कर दिया.
मृतक जुबैर की पत्नी शबनम ने पति के शव को सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए वहां मौजूद लोगों से हाथ-पैर जोड़कर मिन्नतें की. मासूम बच्चों को लेकर ग्रामीणों के सामने रोई, गिड़गिड़ाई पर गांव वालों का दिल नहीं पसीजा. उन्होंने महिला के पति के शव को दफनाने (Buried) से मना करते हुए वापस लौटा दिया.
पुलिस के सामने किया मना
बताया जा रहा है कि जिस वक्त अभयपुर के कब्रिस्तान में मौजूद लोगों ने जुबैर के शव को दफनाने से मना किया था, उस वक्त भोजीपुरा थाना की पुलिस भी मौजूद थी और उसके समझाने के बाद भी लोगों ने जुबैर के शव का कब्रिस्तान में दफन नहीं होने दिया, जिसके बाद बेचारी महिला अपने पति के शव को लेकर अपने डेरे पर वापस आ गई. यहां वह रात भर अपने दो मासूम बच्चों के साथ पति के शव के पास बैठी रोती रही.
बरेली में कोई नहीं था उसका अपना
जुबैर अपनी पत्नी शबनम और दो मासूम बच्चों के साथ डेरा डाल कर रहता था. यहां उसका अपना कोई नहीं था, जो उसके पति की मौत के बाद शव को दफना सके. अकेली गरीब महिला पति की मौत (Husband Death) के बाद पल-पल रोती रही.
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समाजसेवी ने किया जुबैर के शव को सुपुर्द-ए-खाक
गुरुवार (Thursday) को आवामी खिदमत कमेटी को जब मामले की जानकारी हुई तो कमेटी के अध्यक्ष शाकिर यार खान नूरी (Shakir Yar Khan Noori) ने जुबैर के शव को कैंट में अपने कब्रिस्तान में दफनाया. इतना ही नहीं, कमेटी के लोगों ने जुबैर को दफनाने का सारा खर्चा खुद उठाया और उसकी पत्नी को खर्चे के लिए कुछ पैसे भी दिए.
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अभयपुर के ग्राम प्रधान (Abhaypur Gram Pradhan) मोसर खान ने बताया, बुधवार को महिला अपने पति के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाने के लिए लेकर आई थी. इस पर ग्रामीणों ने उसके पति का आधार कार्ड मांगा. मृतक युवक की पत्नी के पास आधार कार्ड न होने के कारण ग्रामीणों ने शव को कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया जबकि मैंने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की पर वह नहीं माने. पुलिस ने भी ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया था.