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बरेली: सैकड़ों वर्षों से मुस्लिम कारीगर बनाते हैं रावण-मेघनाद के पुतले, रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध

उत्तर प्रदेश के बरेली में एक जगह रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध है. इस जगह पर सैकड़ों वर्षों से रावण के पुतले बनाये जाते हैं. यहां पर बनाये गए पुतले बरेली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों और उत्तराखंड तक जाते हैं.

एक गली रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध है.
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Published : Oct 7, 2019, 5:40 PM IST

बरेली: बुराई पर अच्छाई का प्रतीक विजयादशमी का त्योहार मनाने के लिए इन दिनों रावण के पुतले बनाने का काम जोरों पर है. रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध जगह पर सैकड़ों वर्षों से रावण के पुतले बनाने का काम चला आ रहा है. यहां एक ऐसा मुस्लिम परिवार है, जो दशहरा को अपना त्योहार मानता है.

एक गली रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध है.
रावण के पुतलों से चलती है लोगों की रोजी रोटी
आज रावण के पुतले बनाकर लोग पूरे साल इसी से अपना गुजारा करते हैं. बरेली में कारीगर वर्षों से रावण, कुम्भकरण, मेघनाद के पुतले बनाते हैं. फिर पूरे साल इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है. पुतला कारीगर बाबू पहलवान बताते हैं कि पिछले 42 वर्ष से परिवार हर साल रामलीला के एक महीने पहले बरेली आता है. दिन-रात मेहनत कर रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले बनाये जाते हैं.

इस गली में सालों से रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं. ऐसे में ये कारीगर दशहरा जैसे पर्व से जुड़कर सौहार्द का संदेश दे रहे हैं. इसलिए इस गली का नाम रावण वाली गली पड़ा है.
-सूर्य प्रकाश, स्थानीय नागरिक

इसे भी पढ़ें- बरेली: बरसों से चली आ रही है यहां की रामलीला, राम बनकर दानिश खान देते हैं भाईचारे का संदेश

बरेली: बुराई पर अच्छाई का प्रतीक विजयादशमी का त्योहार मनाने के लिए इन दिनों रावण के पुतले बनाने का काम जोरों पर है. रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध जगह पर सैकड़ों वर्षों से रावण के पुतले बनाने का काम चला आ रहा है. यहां एक ऐसा मुस्लिम परिवार है, जो दशहरा को अपना त्योहार मानता है.

एक गली रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध है.
रावण के पुतलों से चलती है लोगों की रोजी रोटी
आज रावण के पुतले बनाकर लोग पूरे साल इसी से अपना गुजारा करते हैं. बरेली में कारीगर वर्षों से रावण, कुम्भकरण, मेघनाद के पुतले बनाते हैं. फिर पूरे साल इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है. पुतला कारीगर बाबू पहलवान बताते हैं कि पिछले 42 वर्ष से परिवार हर साल रामलीला के एक महीने पहले बरेली आता है. दिन-रात मेहनत कर रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले बनाये जाते हैं.

इस गली में सालों से रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं. ऐसे में ये कारीगर दशहरा जैसे पर्व से जुड़कर सौहार्द का संदेश दे रहे हैं. इसलिए इस गली का नाम रावण वाली गली पड़ा है.
-सूर्य प्रकाश, स्थानीय नागरिक

इसे भी पढ़ें- बरेली: बरसों से चली आ रही है यहां की रामलीला, राम बनकर दानिश खान देते हैं भाईचारे का संदेश

Intro:बरेली।बुराई पर अच्छाई का प्रतीक विजय दशमी का त्यौहार मनाने के लिए बरेली में इन दिनों रावण के पुतले बनाने का काम जोरो पर है।बरेली की रावण वाली गली के नाम से प्रसिद्ध इस जगह पर सैकड़ो वर्षो से रावण के पुतले बनाये जाने का काम चला आ रहा है।खास बात ये है की यहाँ पर बनाये गए पुतले बरेली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक जाते है।यहां एक ऐसा मुश्लिम परिवार है जो दशहरा को अपना त्योहार मानता है।


Body: मान्यता के अनरूप जब भगवान् श्री राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था तो उस वक्त किसी ने नहीं सोचा होगा की रावण का पुतले लोगो की रोजो रोटी का सहारा बनेगे लेकिन आज रावण के पुतले बनाकर लोग पुरे साल इसी से अपना गुजारा करते है  जिसके चलते आज भी बरेली में ये लोग वर्षो से रावण , कुम्भकरण , मेघनाद के पुतले बनाते है और फिर पुरे साल इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है।
कासगंज के पुतला कारीगर ने बताया कि पिछले 42 वर्ष से वे और उसका परिवार हर साल रामलीला के एक महीने पहले बरेली आते है और दिन रात मेहनत करके रावण,मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले बनाकर परिवार का पेट पालते है।वही स्थानीय नागरिक सूर्य प्रकाश का कहना है कि इस गली में सालों से रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं।ऐसे में वे दशहरा जैसे पर्व से जुड़कर सौहार्द का संदेश दे रहे है। इसलिए इस गली का नाम रावण वाली गली पड़ा है।

बाइट : बावू पहलमान (पुतला कारीगर कासगंज )
बाइट..सूर्य प्रकाश ( स्थानीय नागरिक)
बाइट--रहीम ( स्थानीय नागरिक)



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