बरेली: 31 साल पहले हुए फर्जी एनकाउंटर मे एक दरोगा को आज जिला एवं सत्र न्यायालय मे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया. मामला थाना किला कोतवाली का है, जहां 23 जुलाई 1992 को थाने के सब इंस्पेक्टर ने 21 वर्ष के छात्र को लुटेरा बताकर गोली मार दी थी.
31 साल पहले शराब की दुकान लूट के मामले में 21 वर्ष के मुकेश का दरोगा युधिष्ठिर सिंह ने एनकाउंटर कर दिया था. पुलिस का कहना था की मुकेश एक दुकान पर लूट कर रहा था, मौके पर पहुंची पुलिस ने ज़ब उसको ललकारा तो उसने पुलिस टीम पर फायर किया. पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की. मुकेश को गोली लगी और वो मर गया. पुलिस ने अपनी आत्मरक्षा के लिए गोली चलाई थी.
मृतक मुकेश की मां ने इस घटना को फर्जी बताते हुए दरोगा के खिलाफ शिकायते की थी मगर कही भी सुनवाई नहीं हुई थी.आखिरकार 1997 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर थाना कोतवाली मे दरोगा युधिष्ठिर सिंह के खिलाफ धारा 302 मे हत्या का मामला दर्ज हुआ था. आज 31 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मृतक मुकेश को इन्साफ मिल गया.
बरेली की जिला एवं सत्र न्यायालय पशुपति नाथ मिश्रा की अदालत ने एनकाउंटर को फर्जी मानते हुये आरोपी दरोगा युधिष्ठिर सिंह को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई. आर्थिक दंड न देने पर चार माह का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा.
दोषी दारोगा युधिष्ठिर सिंह को 29 मार्च 2023 को कोर्ट ने जेल भेज दिया था. आज उनको आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई. आरोपी दारोगा अब रिटायर्ड हो चुके हैं, और उनकी उम्र 64 वर्ष है. वहीं, मृतक के परिजनों ने कहा की आरोपी दारोगा को सज़ा होने से वे खुश हैं. 31 साल बाद उन्हें इंसाफ मिला. मृतक मुकेश को आज सच्ची श्रद्धांजलि मिली है.
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