बरेली : समाज सेवा की कोई उम्र नहीं होती. अगर मन में दृढ़ इच्छा है और कुछ कर गुजरने की चाह है तो कोई भी बाधा आड़े नहीं आती. ऐसी ही एक लड़की है जिले के भोजीपुरा थाना क्षेत्र के गांव पिपरिया की रहने वाली लक्ष्मी. कक्षा 9 में पढ़ने वाली लक्ष्मी लॉकडाउन के समय से ही गांव के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम कर रही हैं. दरअसल ऑनलाइन शिक्षा के कारण गांव के ज्यादातर बच्चे शिक्षा से वंचित थे. जिसके बाद लक्ष्मी ने गांव के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का बीड़ा उठाया.
100 से ज्यादा बच्चों को देती हैं नि:शुल्क शिक्षा
लक्ष्मी बताती हैं कि वह लॉकडाउन के समय से ही बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं. वह 1 से लेकर 8 तक के ऐसे बच्चों को पढ़ा रही हैं जिनके पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए एंड्रॉइड फोन नहीं है. लक्ष्मी ने बताया कि स्कूल की मैडम ने पढ़ाने के लिए एक बोर्ड भी दिया है. लक्ष्मी की इस अनूठी पाठशाला से जुड़कर गांव के लगभग 100 बच्चे रोजाना मुफ्त में पढ़ाई कर रहे हैं. लक्ष्मी के गांव में ही सरकारी प्राइमरी स्कूल है जिसमें गांव के बच्चे पढ़ते हैं.
लक्ष्मी के इस प्रयास से उनके पिता गदगद हैं. पिता का कहना है कि उन्होंने बेटी से कहा कि वो अपने साथ-साथ गांव के बच्चों को भी पढ़ाए. और आज बेटी नि:शुल्क बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही है जो बहुत गर्व की बात है. वहीं गांव के बच्चों का कहना है कि लॉकडाउन से ही वो दीदी के घर पढ़ने आ रहे हैं. उन्हें यहां पढ़ाई करना बहुत अच्छा लगता है.
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फोन के अभाव में शिक्षा से वंचित थे बच्चे
प्राइमरी स्कूल की प्रधानाचार्य गायत्री देवी का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान शासन का आदेश आया कि ऑनलाइन माध्यम से बच्चों की पढ़ाई की जाए, लेकिन गांव के बच्चों के पास एंड्रॉइड फोन नहीं था, जिसके बाद उन्होंने लक्ष्मी से बात की. लक्ष्मी ने भी इस काम में हामी भर दी और वह इस काम को बखूबी निभा रही हैं. बहुत कर्मठ और शिक्षा के प्रति ईमानदार होने का लक्ष्मी ने सबूत दिया है.
लक्ष्मी के इस प्रयास से उनके परिजनों के साथ-साथ बच्चों में खुशी की लहर है. लक्ष्मी रोजाना गांव के लगभग 100 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर एक अनूठी मिशाल पेश कर रही हैं.
लॉकडाउन के दौरान शासन का आदेश था कि ऑनलाइन माध्यम से बच्चों की पढ़ाई की जाए, लेकिन गांव के बच्चों के पास एंड्रॉइड फोन नहीं था. लक्ष्मी के पास जीओ का छोटा फोन था जिसके बाद हमने लक्ष्मी से बात की उसने भी इस काम में हामी भर दी और बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही है.
-गायत्री देवी, प्राइमरी स्कूल प्रधानाचार्य
बेटी के इस प्रयास से काफी खुश हूं. मैने बेटी को बोला कि अपना काम करो और बच्चों को भी पढ़ाओ. बच्चों को पढ़ाने के लिए वह कोई शुल्क नहीं लेती.
-सुखलाल, लक्ष्मी के पिता