बरेली: बरेली को नाथ नगरी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि शहर के चारों दिशाओं में शिव के प्राचीन मंदिर बने हुए हैं, जिनका अपना अलग इतिहास है. बरेली में सुन्नी मुसलमानों का मरकज कहे जाने वाली आला हजरत की दरगाह भी है जो विश्वभर में जानी जाती है. बरेली में 9 विधानसभायें हैं और सभी पर भाजपा का कब्जा है. यही नहीं बरेली को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार बरेली लोक सभा से भाजपा के सांसद हैं. वे लोकसभा चुनाव 9 में से 8 बार जीते हैं और एक बार कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन से हारे हैं.
बिथरी चैनपुर विधानसभा 123 सीट
जिले की नौ विधानसभा क्षेत्रों में से एक बिथरी चैनपुर नाम 2008 में अस्तित्व में आया. इससे पहले इस विधानसभा क्षेत्र को सन्हा विधानसभा के नाम से जाना जाता था. सन्हा विधानसभा भी इमरजेंसी के पहले 1974 में बनी थी. बिथरी विधानसभा क्षेत्र आंवला लोकसभा क्षेत्र में आता है. नगर पंचायत ठिरिया निजावत खान नगर पंचायत, विशारत गंज, क्यारा और बिथरी चैनपुर ब्लॉक को मिलाकर बनी विधानसभा में शहरी और ग्रामीण इलाके आते हैं.
बिथरी चैनपुर विधानसभा 123 सीट पर भाजपा के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल का कब्जा है. 2017 कि विधानसभा के चुनाव में राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने सपा के वीरपाल यादव को हरा कर जीत हासिल की थी. राजेश मिश्रा ने सपा के वीतपाल यादव को 96397 वोटो से हराया था.
बिथरी चैनपुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
1977 के बाद हुए इस विधानसभा सीट पर बीजेपी को दो बार जीत हासिल हुई है. जबकि सपा और बसपा इस सीट पर भी दो-दो बार कब्जा जमा चुकी है. इस सीट पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. 1977 से 1985 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही और कांग्रेस के रामेश्वर नाथ चौबे इस सीट से लगातार तीन बार विधायक बने. 1989 में जनता दल के सर्वराज सिंह ने कांग्रेस के रामेश्वर नाथ चौबे को हराकर जीत हासिल की थी. जिसके बाद 1991 में एक बार फिर रामेश्वर नाथ चौबे ने जनतादल के सर्वराज सिंह को हराकर इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया. राम मंदिर आंदोलन के बाद प्रदेश में बने इस समीकरण से सीट पर सपा का खाता खुला और सर्वराज सिंह ने बीजेपी के धर्मपाल सिंह को हराया.
1996 में बीजेपी की सुमन लता सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की, 2002 में हुए चुनाव में बसपा के धर्मेंद्र कश्यप ने सपा के वीरपाल सिंह यादव को मात देकर इस सीट पर बसपा का खाता खोला. 2007 के चुनाव में धर्मेंद्र कश्यप हाथी से उतरकर साइकिल पर सवार हो गए और उन्होंने इस सीट पर एक बार फिर से जीत हासिल की. 2012 के चुनाव में बसपा के वीरेंद्र सिंह ने सपा के धर्मेंद्र कश्यप को हराकर एक बार फिर सीट को बसपा के खाते में डालने का काम किया. 2012 के चुनाव में बसपा के वीरेंद्र सिंह ने सपा के धर्मेंद्र कश्यप को हराकर सीट अपने कब्जे में की, जबकि बीजेपी और कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा. इसके बाद विधान सभा चुनाव 2017 में भाजपा के राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने सपा के वीरपाल सिंह यादव को हरा इस विधानसभा सीट पर कब्जा कर लिया.
जातिगत आंकड़े
ब्राह्मण | 40 हजार |
वैश्य | 35 हजार |
मुस्लिम | 60 हजार |
कायस्थ | 15 हजार |
सिंधी/पंजाबी/ खत्री | 10 हजार |
छत्रिय | 55 हजार |
दलित | 30 हजार |
यादव | 25 हजार |
कुर्मी | 20 हजार |
अन्य | 15541 |
मतदाताओं की जनसंख्या
कुल मतदाता | पुरुष मतदाता | महिला मतदाता |
37,2052 | 16,6848 | 20,5204 |
विधायक राजेश मिश्रा द्वारा विधानसभा में कराये गए मुख्य कार्य
- केसरपुर में बिजलीघर स्वीकृत कराया,
- नकटिया नदी पर दो पुल बनवाये,
- एक अरब लागत से 13 गांवों में मंडी, बारात घर, बस अड्डा, पानी की टंकियों का निर्माण करवाया.
- उरला जागीर में इंटर कॉलेज बनवाया,
- सालिड बेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए काम किया जो अभी स्थापित हो रहा है.
- कोविड-19 के दौरान बरेली समेत कई शहरों के लोगों तक जरूरी दवाएं और इंजेक्शन पहुंचाएं, भोजन पानी की व्यवस्था कराई.
माना जा रहा है कि पिछले विधान सभा चुनाव की तरह आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा और सपा की सीधे टक्कर होगी. भाजपा के बिथरी चैनपुर के वर्तमान विधायक राजेश मिश्रा का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में भी यूपी में कमल ही खिलेगा, यूपी में 300 से अधिक सीटे भाजपा को मिलेगीं. योगी सरकार ने विकास किया है इसी विकास के चलते हम जनता से वोट मागेंगे. फिलहाल इस सीट पर किसका कब्जा होगा यह तो आने वाले विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा मगर आगामी चुनावों को लेकर सूबे की राजनीति में बढ़ी हुई सरगर्मी साफ देखी जा सकती है.