बरेली: डूडा और सुलभ इंटरनेशनल ने मिलकर शौचालय निर्माण के नाम पर लाखों रुपये का घोटाला किया और अनुबंध मानक के अनुरूप काम नहीं किए. इसके अलावा शौचालय निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया. वहीं, मामले के प्रकाश में आने के बाद शासन के आदेश पर सुलभ इंटरनेशनल सोसाइटी को लाभ पहुंचाने और शासन को 48 लाख के राजस्व की हानि करने के मामले में परियोजना निदेशक व पूर्व आईएएस अफसर सुरेंद्र बहादुर सिंह सहित चार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है.
बता दें कि बरेली में भ्रष्टाचार के आरोप में पूर्व आईएएस सुरेंद्र बहादुर सिंह सहित 4 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है. सुलभ इंटरनेशनल नामक संस्था को लाभ पहुंचाकर 48 लाख रुपये के घोटाले के मामले में थाना विजिलेंस में मुकदमा दर्ज हुआ है. 1998-99 में शासन की ओर से शौचालय निर्माण की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल एनजीओ को दी गई थी. लाभार्थियों के सत्यापन की जिम्मेदारी नगरीय निकायों की थी. लेकिन इन अफसरों ने लापरवाही करके सारा काम इस एनजीओ से ही कराया. लाभार्थियों की सूची भी एनजीओ ने बनाई और उसका नियमानुसार सत्यापन भी नहीं कराया. इस वजह से कई अपात्रों को इस योजना का लाभ मिल गया और शासन को करीब 48 लाख रुपये का चूना लगा. फर्जीवाड़ा जिन अफसरों के समय किया गया. उनाकी जांच विजिलेंस से कराई गई. इसके बाद मुकदमा दर्ज किया गया.
31 मार्च, 1998 को जल प्रवाहित शौचालय के निर्माण के लिए पांच उपभोक्ता पर तीन हजार, दस उपभोक्ता पर 3818 और 15 उपभोक्ता पर 4500 रुपये लागत निर्धारित की गई थी. डीएम के आदेश पर टास्क फोर्स गठित की गई थी. इसमें नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी सहायक अभियंता सुरेश चंद्र, अपर नगर मजिस्ट्रेट जयशंकर प्रसाद, सुलभ के उपाध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह ने जांच की. 8696 शौचालयों की जांच में 2271264 रुपये खर्च किए गए.
वहीं, 24 जून, 2000 तक सुलभ इंटरनेशनल को 448.320 लाख रुपये दिए गए. जांच में पाया गया कि अनुबंध तीन प्रतियों के बजाय दो में कराया गया. शौचालयों का सत्यापन नहीं कराया गया. मानक के अनुरूप नहीं बनाए गए. शासन को 48 लाख रुपये के राजस्व की हानि कराई गई. खुली जांच में आरोप सही पाए जाने पर शासन ने आरोपी अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया. इसके बाद थाना विजिलेंस बरेली में रिटायर्ड आईएएस अफसर समेत डूडा अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
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