बरेली: छोटे बड़े काम की परवाह किए बिना जिले के मिलक मोहल्ला के साहूनगर की रहने वाली शारदा ई-रिक्शा चला रही हैं. शारदा अपने 3 बच्चों का पेट पालने के लिए बेखौफ सूनसान सड़कों से लेकर हाईवे और गलियों में रिक्शे के साथ फर्राटा मारती हैं.
काफी कठिनाइयों के बाद बनीं रिक्शा चालक
3 साल पहले पति बब्लू की मौत के बाद गरीबी के कारण शारदा दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो गईं. पहले तो उन्होंने लोगों के घरों में काम करना शुरू किया. लेकिन घूरने वाली नजरों से तंग आकर उन्होंने घर में काम करना बंद कर दिया. कुछ समय तक वो अपने घर पर अकेले रहकर कुछ करने का सोचा, लेकिन कुछ ऐसा नहीं कर पायी जिससे कि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके. मोहल्ले के कुछ लोगों ने उन्हें डेली रोजी-रोटी कमाने के कुछ काम बताए, लेकिन वह काम उनको पसंद नहीं आए. इसके बाद उन्होंने अपने मन की सुनी और ई-रिक्शा चलाने की ठानी. इसके बाद वो ई-रिक्शा की ट्रेनिंग ली. काफी कठिनाइयों के बाद वह एक रिक्शा चालक बनीं और सम्मान के साथ अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी का इंतजाम किया.
शारदा को है मदद की दरकार
शारदा का कहना है कि वह अपने दो बेटों और एक बेटी को पढ़ा-लिखाकर एक दिन बड़ा इंसान बनाएंगी. शारदा का कहना है कि कर्ज करके 80 हजार रूपये का रिक्शा लिया उसके बाद कमाई का जरिया बना. लेकिन उन्हें सरकार से मलाल भी है कि आज तक सरकार और प्रसाशन ने उनकी कोई सहायता नहीं की है. शारदा को उम्मीद है कि एक दिन उनकी जरूर कोई मदद करेगा.
ग्रामीण बोले महिलाओं को दिया अच्छा संदेश
ग्रामीण शारदा की इस कोशिश से काफी खुश नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि महिलाओं को कभी भी समाज में दबकर नहीं रहना चाहिए और बेखौफ सिर उठाकर चलना चाहिए. शारदा कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं.