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सुनो सरकार! ग्यास अहमद की वतन वापसी की परिवार लगा रहा गुहार

यूपी के बरेली से नौकरी के लिए सऊदी गया एक शख्स कई सालों से वहां फंसा है. परिवार का कहना है कि सरकार को कई बार पत्र लिखा, लेकिन कभी कोई जवाब नहीं आया. हमें उम्मीद है कि हमारी बात पीएम मोदी तक पहुंचेगी और वो हमारी मदद करेंगे.

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छह सालों से सऊदी में फंसा हैं ग्यास अहमद.
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Published : Mar 4, 2020, 12:14 PM IST

बरेली: अच्छी नौकरी का सपना दिखाकर टेक्नीशियन को दलालों ने सऊदी अरब भेजकर फंसा दिया है. 6 साल से सऊदी अरब में बंधुआ मजदूर की जिंदगी जीने को मजबूर अहमद कई सालों से बीमार हैं. परिजनों का कहना है कि उनके गले में कोई समस्या है. हालत यह है कि वो कुछ भी खा-पी भी नहीं पा रहे हैं. पीड़ित परिवार अहमद की वतन वापसी के लिए पीएम और विदेश मंत्री से गुहार लगा रहा है.

छह सालों से सऊदी में फंसा हैं ग्यास अहमद.

छह साल से सऊदी में फंसे हैं अहमद
बारादरी के कटरा चांद खां निवासी 55 वर्षीय ग्यास अहमद पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं. 9 सितंबर 2014 को एजेंट के माध्यम से वह नौकरी के लिए सऊदी अरब गए थे, लेकिन वहां उनसे लेबर का काम लिया जाने लगा. यही नहीं इसकी एवज में उन्हें पैसे भी नहीं दिए जाते थे. वहां छह महीने काम करने के बाद अहमद ने दूसरी नौकरी करने का मन बनाया. इस पर मालिक ने उन पर FIR दर्ज करा दी.

काम पर रखने से पहले साइन कराया था एग्रीमेंट
दरअसल ग्यास अहमद को काम पर रखने से पहले उनसे एक एग्रीमेंट साइन कराया गया था. परिजनों ने बताया कि अहमद पढ़ा-लिखा नहीं है. इसीलिए वह एग्रीमेंट पढ़ नहीं सका. इसके साथ ही उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया, तब से ग्यास वहां चोरी-छिपे गुजर बसर कर रहे हैं.

बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज करना था वापस

ग्यास अहमद की पत्नी निखत परवीन ने बताया कि यहां रहकर वह जरी का काम भी करते थे. काम अच्छा नहीं चल रहा था और बेटी की शादी के लिए जो कर्ज लिया था उसे भी वापस करना था. इसलिए उन्होंने सऊदी जाने का मन बनाया, लेकिन अखलाक और सलमान ने उसे ऐसी जगह फंसा दिया कि वहां जाने के बाद वो एक भी पैसा नहीं भेज सके. बीते काफी दिनों से उनकी तबीयत भी खराब रहती है.

सुषमा जी के कार्यकाल में लिखा था पत्र
ग्यास अहमद के दामाद रिजवान ने कहा कि इस संबंध में मैंने कई बार सरकार को मदद के लिए पत्र लिखा, लेकिन अभी तक तो कोई सुनवाई नहीं हुई. सबसे पहले मैंने 2017 में सुषमा जी के कार्यकाल में भी मदद मांगी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद मैंने पीएम मोदी को पत्र लिखा. तत्कालीन विदेश मंत्री से मदद मांगी, सीएम को भी पत्र लिखा है.

परिवार को सरकार से मदद की आस
फिलहाल मैंने स्थानीय सांसद संतोष कुमार को पत्र लिखा है और उन्होंने इस विषय में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री वी मुरलीधरन को अवगत कराया है. उन्होंने भारत सरकार की तरफ से मदद का आश्वासन भी दिया है. सुषमा जी के कार्यकाल में तो काफी लोगों की वतन वापसी हुई. हमें उम्मीद है पीएम मोदी तक हमारी बात पहुंचेगी और वो हमारी मदद करेंगे.

बरेली: अच्छी नौकरी का सपना दिखाकर टेक्नीशियन को दलालों ने सऊदी अरब भेजकर फंसा दिया है. 6 साल से सऊदी अरब में बंधुआ मजदूर की जिंदगी जीने को मजबूर अहमद कई सालों से बीमार हैं. परिजनों का कहना है कि उनके गले में कोई समस्या है. हालत यह है कि वो कुछ भी खा-पी भी नहीं पा रहे हैं. पीड़ित परिवार अहमद की वतन वापसी के लिए पीएम और विदेश मंत्री से गुहार लगा रहा है.

छह सालों से सऊदी में फंसा हैं ग्यास अहमद.

छह साल से सऊदी में फंसे हैं अहमद
बारादरी के कटरा चांद खां निवासी 55 वर्षीय ग्यास अहमद पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं. 9 सितंबर 2014 को एजेंट के माध्यम से वह नौकरी के लिए सऊदी अरब गए थे, लेकिन वहां उनसे लेबर का काम लिया जाने लगा. यही नहीं इसकी एवज में उन्हें पैसे भी नहीं दिए जाते थे. वहां छह महीने काम करने के बाद अहमद ने दूसरी नौकरी करने का मन बनाया. इस पर मालिक ने उन पर FIR दर्ज करा दी.

काम पर रखने से पहले साइन कराया था एग्रीमेंट
दरअसल ग्यास अहमद को काम पर रखने से पहले उनसे एक एग्रीमेंट साइन कराया गया था. परिजनों ने बताया कि अहमद पढ़ा-लिखा नहीं है. इसीलिए वह एग्रीमेंट पढ़ नहीं सका. इसके साथ ही उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया, तब से ग्यास वहां चोरी-छिपे गुजर बसर कर रहे हैं.

बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज करना था वापस

ग्यास अहमद की पत्नी निखत परवीन ने बताया कि यहां रहकर वह जरी का काम भी करते थे. काम अच्छा नहीं चल रहा था और बेटी की शादी के लिए जो कर्ज लिया था उसे भी वापस करना था. इसलिए उन्होंने सऊदी जाने का मन बनाया, लेकिन अखलाक और सलमान ने उसे ऐसी जगह फंसा दिया कि वहां जाने के बाद वो एक भी पैसा नहीं भेज सके. बीते काफी दिनों से उनकी तबीयत भी खराब रहती है.

सुषमा जी के कार्यकाल में लिखा था पत्र
ग्यास अहमद के दामाद रिजवान ने कहा कि इस संबंध में मैंने कई बार सरकार को मदद के लिए पत्र लिखा, लेकिन अभी तक तो कोई सुनवाई नहीं हुई. सबसे पहले मैंने 2017 में सुषमा जी के कार्यकाल में भी मदद मांगी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद मैंने पीएम मोदी को पत्र लिखा. तत्कालीन विदेश मंत्री से मदद मांगी, सीएम को भी पत्र लिखा है.

परिवार को सरकार से मदद की आस
फिलहाल मैंने स्थानीय सांसद संतोष कुमार को पत्र लिखा है और उन्होंने इस विषय में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री वी मुरलीधरन को अवगत कराया है. उन्होंने भारत सरकार की तरफ से मदद का आश्वासन भी दिया है. सुषमा जी के कार्यकाल में तो काफी लोगों की वतन वापसी हुई. हमें उम्मीद है पीएम मोदी तक हमारी बात पहुंचेगी और वो हमारी मदद करेंगे.

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