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दो भाइयों की रक्तदान की मुहिम, एक ने किया 100 का आंकड़ा पार तो दूसरे ने किया 90 बार रक्तदान - 90 बार रक्तदान

बरेली के रहने वाले दो भाइयों की जोड़ी पिछले काफी सालों से रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने की मुहिम में लगी हुई है. एक ने 100 का आंकड़ा पार किया है तो दूसरे ने 90 बार रक्तदान किया है.

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दो भाईयो की रक्तदान की मुहिम
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Published : Oct 5, 2022, 1:41 PM IST

बरेली: इंसानियत इंसान को इंसान बना देती है. लगन मुश्किल को आसान बना देती है, लोग यूं ही नहीं जाते रक्तदान करने, रक्तशाला लोगों को भगवान बना देती है. रक्तदान कर इंसानियत की मिसाल कायम करने वाले लोग बरेली में भी हैं. यहां दो सगे भाई रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने की मुहिम में लगे हैं. एक भाई जहां 100 बार रक्तदान कर चुका है तो वहीं, दूसरा भाई 90 बार रक्तदान कर चुका है.

1 अक्टूबर को पूरे देश में राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया गया. ऐसे में उन रक्त दान दाताओं को भी याद कर सम्मानित किया जाता है जो बिना स्वार्थ के अनजाने लोगों के लिए भी रक्तदान करने को हमेशा तैयार रहते हैं. बरेली के रहने वाले 50 वर्षीय श्याम कृष्ण और उनके बड़े भाई 54 वर्षीय राम कृष्ण दोनों भाइयों की जोड़ी पिछले काफी सालों से रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने की मुहिम में लगे हुए हैं.

ब्लड डोनर भाइयों ने दी जानकारी
श्याम कृष्ण वैसे तो एक व्यापारी हैं. जब 18 वर्ष के भी नहीं हुए थे तब से जरूरतमंदों को रक्तदान कर जीवन दान देने का काम कर रहे हैं. 50 वर्षीय श्याम कृष्ण अब तक 100 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनका कहना है कि पहली बार उन्होंने 18 साल से भी कम की उम्र में अपने दोस्त की दादी के लिए रक्तदान किया था और उसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया. अब जब भी कभी किसी परिचित या अनजान व्यक्ति को रक्त की जरूरत होती है तो वह एक पल में उसके लिए रक्त देने को तैयार हो जाते हैं.

इसे भी पढ़े-लोकबंधु हास्पिटल को जल्द मिलेगी ब्लड बैंक की सौगात

श्याम कृष्ण के बड़े भाई 54 वर्षीय राम कृष्ण भी विद्यार्थी जीवन से रक्तदान करने लगे थे. रामकृष्ण कहना है कि रक्तदान एक ऐसा दान है जिसकी गिनती नहीं की जा सकती. उन्हें नहीं पता कि वह अब तक कितनी बार रक्तदान दे चुके हैं. पर एक अनुमान है कि वह अब तक लगभग 90 बार रक्तदान कर चुके हैं. इसमें अधिकतर उन्होंने अनजान लोगों को रक्तदान कर बीमार व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम किया है.

100 बार रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने वाले श्याम कृष्ण की पत्नी स्वाति बताती हैं कि पहले तो उनको पता ही नहीं चलता था कि कब और किसको रक्तदान करके आए हैं. पर अब जब उनको रक्तदान करने के महत्व का पता चला तो उन्हें अच्छा लगता है और गर्व महसूस होता है.

राम कृष्ण और श्याम कृष्ण ऐसे रक्तदान दाता हैं जो जरूरतमंद मरीजों के लिए रक्तदान करने के लिए हर पल तैयार रहते हैं. इसी लग्न के चलते उन्हें कई बार समाजसेवी और अन्य संस्थाओं से सम्मानित भी किया जा चुका है. यह दोनों भाई उन लोगों के लिए भी एक मिसाल है जो रक्तदान के प्रति जागरूक नहीं है.

यह भी पढ़े-चलते फिरते ब्लड बैंक हैं वाराणसी के सौरभ, अब तक कर चुके हैं 137 बार रक्तदान

बरेली: इंसानियत इंसान को इंसान बना देती है. लगन मुश्किल को आसान बना देती है, लोग यूं ही नहीं जाते रक्तदान करने, रक्तशाला लोगों को भगवान बना देती है. रक्तदान कर इंसानियत की मिसाल कायम करने वाले लोग बरेली में भी हैं. यहां दो सगे भाई रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने की मुहिम में लगे हैं. एक भाई जहां 100 बार रक्तदान कर चुका है तो वहीं, दूसरा भाई 90 बार रक्तदान कर चुका है.

1 अक्टूबर को पूरे देश में राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया गया. ऐसे में उन रक्त दान दाताओं को भी याद कर सम्मानित किया जाता है जो बिना स्वार्थ के अनजाने लोगों के लिए भी रक्तदान करने को हमेशा तैयार रहते हैं. बरेली के रहने वाले 50 वर्षीय श्याम कृष्ण और उनके बड़े भाई 54 वर्षीय राम कृष्ण दोनों भाइयों की जोड़ी पिछले काफी सालों से रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने की मुहिम में लगे हुए हैं.

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श्याम कृष्ण वैसे तो एक व्यापारी हैं. जब 18 वर्ष के भी नहीं हुए थे तब से जरूरतमंदों को रक्तदान कर जीवन दान देने का काम कर रहे हैं. 50 वर्षीय श्याम कृष्ण अब तक 100 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनका कहना है कि पहली बार उन्होंने 18 साल से भी कम की उम्र में अपने दोस्त की दादी के लिए रक्तदान किया था और उसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया. अब जब भी कभी किसी परिचित या अनजान व्यक्ति को रक्त की जरूरत होती है तो वह एक पल में उसके लिए रक्त देने को तैयार हो जाते हैं.

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श्याम कृष्ण के बड़े भाई 54 वर्षीय राम कृष्ण भी विद्यार्थी जीवन से रक्तदान करने लगे थे. रामकृष्ण कहना है कि रक्तदान एक ऐसा दान है जिसकी गिनती नहीं की जा सकती. उन्हें नहीं पता कि वह अब तक कितनी बार रक्तदान दे चुके हैं. पर एक अनुमान है कि वह अब तक लगभग 90 बार रक्तदान कर चुके हैं. इसमें अधिकतर उन्होंने अनजान लोगों को रक्तदान कर बीमार व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम किया है.

100 बार रक्तदान कर लोगों को जीवन दान देने वाले श्याम कृष्ण की पत्नी स्वाति बताती हैं कि पहले तो उनको पता ही नहीं चलता था कि कब और किसको रक्तदान करके आए हैं. पर अब जब उनको रक्तदान करने के महत्व का पता चला तो उन्हें अच्छा लगता है और गर्व महसूस होता है.

राम कृष्ण और श्याम कृष्ण ऐसे रक्तदान दाता हैं जो जरूरतमंद मरीजों के लिए रक्तदान करने के लिए हर पल तैयार रहते हैं. इसी लग्न के चलते उन्हें कई बार समाजसेवी और अन्य संस्थाओं से सम्मानित भी किया जा चुका है. यह दोनों भाई उन लोगों के लिए भी एक मिसाल है जो रक्तदान के प्रति जागरूक नहीं है.

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