बरेली: आप मानें या न मानें लेकिन भूत-प्रेत से संबंधित कुछ बातें ऐसी है जो साइंस और आस्था के बीच आज भी मंझधार में हैं. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि इस तरह की चीजें किसी ने अपने आस-पास न देखी हों, जिनमें शैतानी साए के होने की बात कही जाती हो. ईटीवी भारत के सामने भी ऐसे एक दरबार का दावा किया गया जहां भूतों को फांसी दी जाती है. इस दरबार को लेकर लोगों की मान्यता है कि अगर किसी शख्स पर कोई शैतानी ताकत का साया हो या कोई मानसिक तौर पर विक्षिप्त हो तो यहां आने पर उसकी सारी तकलीफें समाप्त हो जाती हैं. भूत-प्रेत तक भी पीछा छोड़ देते हैं और जो नहीं छोड़ते उनको इसी दरबार में फांसी दी जाती है. हालांकि ईटीवी भारत ऐसी किसी अवधारणा का समर्थन नहीं करता है, लेकिन दरगाह पर आने वाले लोगों का कहना है कि यहां आकर उन्हें समस्या का समाधान मिला है.
यहां भूतों को दी जाती है फांसी
झुमके के शहर को बरेली शरीफ के नाम से भी जाना जाता है. यहां छोटी-बड़ी सैकड़ों दरगाह हैं, लेकिन शहर के बीचों बीच स्थित 438 वर्ष पुरानी दरगाह शहदाना वली के दर पर अकीदतमंदों का तांता लगा रहता है. यहां पर भूतों को फांसी देने का दावा किया जाता है किया जाता है. यहां मौजूद लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि यहां पहुंचने पर उनकी सारी तकलीफें दूर होती हैं. लोगों ने तो यहां तक कहा कि जो भूत-प्रेत पीछा नहीं छोड़ते उनको दरगाह पर ही फांसी दे दी जाती है. दरगाह शहदाना वली के मुतवल्ली वाजिद खां ने बताया कि यहां हर तरह के मरीज फरियादी बनकर आते हैं, जिनको यहां अर्जी लगने के बाद आराम होने लगता है. आसमानी परेशानी जैसे कि भूत-प्रेत जो लोगों को पीड़ित होते हैं ऐसे लोगों का यहां आकार स्वत: इलाज हो जाता है. यहां कुछ लोग ऐसे भी आते हैं तो कहते हैं कि उनके परिजन भूत-प्रेत से भयभीत हैं तो ऐसे लोगों के नाम लिखकर दरगाह में अर्जी लगाई जाती है.
सभी की मुरादें होती हैं पूरी
हमने यहां आने वाले लोगों से बात की तो उन्होंने दावा किया किया कि उन्हें यहां आकर अच्छा लगता है. यहां पहुंचने वाले वाजिद ने बताया कि जो भी यहां आया है उसकी मुराद जरुर पूरी होती है. जावेद ने बताया कि उनके सिर में अंदरुनी चोट आई थी. पहले उन्होंने न्यूरो सर्जन को दिखाया तो डॉक्टर ने बताया कि चोट की जगह पर एक छोटे सिक्के के बराबर ब्लड क्लॉट जैसी समस्या थी. इसके बाद वह यहां दरगाह पर आए और उन्होंने यहां का तेल चोट की जगह पर लगाया. जावेद का कहना है कि इससे उन्हें काफी आराम मिला और उनके न्यूरो सर्जन भी इस बात से हैरान थे. दरगाह से जुड़े वसी अहमद वारसी ने बताया कि यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं, सभी की मुरादें यहां पूरी होती हैं. उन्होंने कहा कि सभी के लिए यहां एक समान लंगर भी तैयार किया जाता है.