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लोगों से सौ-सौ रुपये लेकर गांव की महिलाओं ने खड़ा किया लाखों का कारोबार

महिलाओं के साथ बढ़ रही अपराधों की खबरों के बीच अच्छी खबर आई है. महिलाओं ने अपनी आजीविका चलाने के लिए कारोबार शुरू किया है. कई लोगों से सौ रुपये लेकर इकट्ठा की गई रकम के साथ महिलाओं ने सरकारी अनुदान मिलाया और खरीदी दोना पत्तल बनाने की मशीन. अब ये अपने पैरों पर खड़ी हैं और आजीविका चला रही हैं. देखें खास रिपोर्ट...

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महिलाओं ने खड़ा किया खुद का कारोबार.
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Published : Dec 1, 2019, 3:00 PM IST

बाराबंकी: जिले के सूरतगंज की महिलाएं राष्ट्रीय आजीविका मिशन से मदद लेकर दोना-पत्तल बनाने का कारोबार कर रही हैं. गांव की महिलाओं के इस छोटे से प्रयास के बाद अब क्षेत्र की दूसरी महिलाएं भी इसको लेकर जागरुक हो रही हैं. इन महिलाओं ने 2017 में राधा प्रेरणा ग्राम संगठन बनाया.

महिलाओं ने खड़ा किया खुद का कारोबार.

इसके बाद बैंक में खाता खुलवाकर हर महीने 100-100 रुपये जमा करती रहीं. साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के फंड से दो लाख रुपये लिया. इसमें से एक लाख 10 हजार 884 रुपये से दोना-पत्तल बनाने वाली मशीन और शेष पैसों से कच्चा माल कागज आदि की खरीदारी की.

इसे भी पढ़ें- 5 लाख देने के बाद भी दुल्हन करती रही इंतजार, नहीं आई बारात

समूह की महिलाओं ने बताया कि वह पहले कच्चे माल की खरीदारी करती हैं. फिर दोना-पत्तल को तैयार कर उसकी पैकिंग करती हैं. उसके बाद तैयार माल बाजार में पहुंचाती हैं. समूह की एक महिला को लेन-देन का हिसाब रखना होता है. दोना-पत्तल बनाने में हैंडप्रेस मशीन, सिल्वर पेपर, छोटा गैस सिलेंडर और पेपर कटिंग ब्लेड आदि का प्रयोग किया जाता है.

उनका कहना है कि वह एक घंटे में पांच हजार दोना-पत्तल तैयार कर लेती हैं. वहीं महिलाओं को प्रशिक्षण देने वाले अरुण कुमार का कहना है कि साल 2017 से ही इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आज ये महिलाएं खुद का मशीन खरीद कर अपने पैरों पर खड़ी हैं. अब ये लोग घर बैठ खुद का कारोबार कर रही हैं.

बाराबंकी: जिले के सूरतगंज की महिलाएं राष्ट्रीय आजीविका मिशन से मदद लेकर दोना-पत्तल बनाने का कारोबार कर रही हैं. गांव की महिलाओं के इस छोटे से प्रयास के बाद अब क्षेत्र की दूसरी महिलाएं भी इसको लेकर जागरुक हो रही हैं. इन महिलाओं ने 2017 में राधा प्रेरणा ग्राम संगठन बनाया.

महिलाओं ने खड़ा किया खुद का कारोबार.

इसके बाद बैंक में खाता खुलवाकर हर महीने 100-100 रुपये जमा करती रहीं. साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के फंड से दो लाख रुपये लिया. इसमें से एक लाख 10 हजार 884 रुपये से दोना-पत्तल बनाने वाली मशीन और शेष पैसों से कच्चा माल कागज आदि की खरीदारी की.

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समूह की महिलाओं ने बताया कि वह पहले कच्चे माल की खरीदारी करती हैं. फिर दोना-पत्तल को तैयार कर उसकी पैकिंग करती हैं. उसके बाद तैयार माल बाजार में पहुंचाती हैं. समूह की एक महिला को लेन-देन का हिसाब रखना होता है. दोना-पत्तल बनाने में हैंडप्रेस मशीन, सिल्वर पेपर, छोटा गैस सिलेंडर और पेपर कटिंग ब्लेड आदि का प्रयोग किया जाता है.

उनका कहना है कि वह एक घंटे में पांच हजार दोना-पत्तल तैयार कर लेती हैं. वहीं महिलाओं को प्रशिक्षण देने वाले अरुण कुमार का कहना है कि साल 2017 से ही इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आज ये महिलाएं खुद का मशीन खरीद कर अपने पैरों पर खड़ी हैं. अब ये लोग घर बैठ खुद का कारोबार कर रही हैं.

Intro:बाराबंकी 30 नवंबर। स्वावलंबन के इंजन से दौड़ी आजीविका की गाड़ी. एनआरएलएम की मदद से महिलाओं ने शुरू किया दोना-पत्तल बनाने का कारोबार.अगर मन में कुछ कर गुजरने का संकल्प हो, और सही दिशा में मेहनत करें तो मंजिल मिल ही जाती है. कुछ ऐसा ही किया सूरतगंज ब्लॉक के बंभनवा गांव की सात दर्जन महिलाओं ने. गरीबी में गुजर बसर कर रहीं इन महिलाओं ने, स्वावलंबन के इंजन से आजीविका की गाड़ी दौड़ाने की कवायद की है.

Body: बाराबंकी के सूरतगंज में इन महिलाओं के मदद के लिए लिए माध्यम बना है स्वयं सहायता समूह.महिलाओं ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से मदद लेकर दोना-पत्तल बनाने का कारोबार शुरू किया है. इसके जरिए वह समाज के सरोकार नारी सशक्तीकरण के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी गति दे रही हैं. यह महिलाएं मशीन से दोना-पत्तल बनाने का प्रशिक्षण ले चुकी हैं.

महिलाओं के इस प्रयास से अब क्षेत्र की दूसरी महिलाएं भी जागरुक हो रही हैं. इन महिलाओं ने 12 अक्टूबर 2017 में राधा प्रेरणा ग्राम संगठन बनाया. इसके बाद बैंक में खाता खुलवाकर हर महीने 100-100 रुपये जमा करती रहीं.साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के फंड से दो लाख रुपये लिया. इसमें से एक लाख 10 हजार 884 रुपये से दोना-पत्तल बनाने वाली मशीन और शेष पैसों से कच्चा माल कागज आदि की खरीदारी की.

समूह की महिलाओं ने बताया कि वह पहले कच्चे माल की खरीदारी करती हैं.फिर दोना-पत्तल को तैयार कर उसकी पैकिंग करती हैं. उसके बाद तैयार माल बाजार में पहुंचाती हैं. समूह की एक महिला को लेनदेन का हिसाब रखना होता है. दोना-पत्तल बनाने में हैंडप्रेस मशीन, सिल्वर पेपर, छोटा गैस सिलेंडर और पेपर कटिंग ब्लेड आदि का प्रयोग किया जाता है.हम एक घंटे में पांच हजार दोना-पत्तल तैयार करते हैं।


इस प्रकार से महिलाओं के द्वारा रोजगार सृजन के करना वाकई में प्रेरणादाई है . इससे स्वरोजगार को बढ़ावा तो मिल ही रहा है साथ ही साथ अन्य लोगों को भी इससे एक रास्ता दिखाई दे रहा है कि वह स्वरोजगार के नए-नए मार्ग ढूंढ सकते हैं और अपनी आजीविका का संचालन कर सकते हैं.Conclusion:बाइट-1 आरती, समूह की महिला सदस्य,
बाइट-2 मुन्नी देवी, समूह की महिला सदस्य,
बाइट-3 प्रीति देवी, समूह की महिला सदस्य,
बाइट-4 अरुण कुमार, एलएच पीआरपी, एनआरएलएम,


रिपोर्ट आलोक कुमार शुक्ला रिपोर्टर बाराबंकी 96284 76907
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