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लापता युवक के सिम ने खोला राज, वरना जिंदगी भर होती रहती तलाश

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Published : Sep 28, 2021, 7:09 PM IST

बाराबंकी में 30 अगस्त को एक भाई ने अपने की भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. 19 सितंबर को नामजद रिपोर्ट लिखाई. इसके बाद पुलिस जांच में जुटी तो चौकाने वाले खुलासे हुए.

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.

बाराबंकीः एक बेवफा पत्नी ने अपने आशिक के साथ मिलकर पति की हत्या करवा दी और शव घाघरा नदी में फेंकवा दिया. गनीमत ये रही कि लापता पति के मोबाइल का सिम बरामद हो गया, जिसके जरिए इस हत्याकांड का राजफाश हो गया. वरना ये राज, राज ही बना रहता और मृतक के घर वाले उसे सारी जिंदगी तलाश करते रहते. हालांकी अभी भी युवक का शव नहीं मिला है. पुलिस ने इस मामले में आरोपी पत्नी, उसके आशिक और आशिक के भाई को गिरफ्तार कर लिया है.

28 अगस्त को गायब हो गया था युवक

बताते चलें कि बीते माह 30 अगस्त को सहजराम यादव ने थाना रामनगर में सूचना दी कि 28 अगस्त को उसका भाई मनोज कुमार यादव उर्फ पिंटू बाजार गया था, लेकिन वापस नहीं आया. उसके बाद फिर उसने 19 सितंबर को तहरीर दी कि उसके भाई मनोज को सुभाष और सुनील यादव ने अपहरण कर कहीं गायब कर दिया है. थाना रामनगर पर सुभाष और सुनील के खिलाफ पुलिस ने धारा 364 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी.

जानकारी देते पुलिस अधिकारी.

जांच में सामने आए हैरान कर देने वाले सच

पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो हैरान कर देने वाला सच सामने आया. दरअसल सुभाष ट्रक ड्राइवर है. मनोज यादव उसका रिश्तेदार था. मनोज की पत्नी नीलम का सुभाष के साथ अवैध संबंध था. नीलम, सुभाष के साथ रहना चाहती थी. इसलिए मनोज को रास्ते से हटाने के लिए नीलम अक्सर सुभाष से कहती थी. लिहाजा सुभाष इसकी योजना बनाने लगा.

हत्या की योजना में भाई को किया शामिल

वारदात से कुछ दिनों पहले सुभाष के घर भंडारा था, जिसमें मनोज भी आया था. सुभाष ने अपने ट्रक खलासी तीरथ यादव से मनोज की हत्या की बात की तो तीरथ ने इनकार कर दिया. उसके बाद सुभाष ने हत्या की योजना में अपने भाई सुनील को शामिल किया.

इसे भी पढ़ें- गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान हादसा मामला: 4 शव बरामद, एक की तलाश में लगी है SDRF

हत्या कर घाघरा में फेंका शव

वारदात वाले दिन यानी 28 अगस्त को योजना के मुताबिक सुनील ने मनोज को मीट खाने के लिए बुढ़वल स्टेशन बुलाया. नीलम और सुभाष के संबंधों की जानकारी मनोज को हो गई थी, लिहाजा मनोज उससे रंजिश रखता था. यही वजह रही कि मनोज को शक न हो इसलिए सुनील से मनोज को बुलवाया और खुद सामने नहीं आया. सुनील और मनोज ने मिलकर मीट खाया और दोनों ने शराब पी. जब मनोज खूब नशे में हो गया तो सुभाष अपनी मारुति लेकर आया और फिर दोनों ने मिलकर मनोज को मारुति में पीछे लिटा दिया. अंधेरा हो जाने पर दोनों सुभाष और सुनील कार लेकर घाघरा पुल पहुंचे और मनोज को बीच धारा में फेंक दिया.

ऐसे खुला राज

पुलिस इस मामले में लापता मनोज की तलाश कर रही थी. मनोज के नंबर को सर्विलांस पर लगाकर छानबीन शुरू की तो उसका सिम चलता हुआ पाया गया. पुलिस ने जब सिम का प्रयोग करने वाले को तलाश किया तो उसने बताया कि उसे टूटा हुआ मोबाइल रास्ते में मिला था. फिर उस सिम की कॉल डिटेल्स खंगाली गई, जिसके आधार पर हत्याकांड का खुलासा हुआ. इस हत्याकांड के खुलासे के बाद पुलिस ने टीमें गठित कर आरोपियों द्वारा बताए गए स्थान पर घाघरा में शव की तलाश की. तमाम प्रयासों के बाद भी शव की बरामदगी नहीं हो सकी.

बाराबंकीः एक बेवफा पत्नी ने अपने आशिक के साथ मिलकर पति की हत्या करवा दी और शव घाघरा नदी में फेंकवा दिया. गनीमत ये रही कि लापता पति के मोबाइल का सिम बरामद हो गया, जिसके जरिए इस हत्याकांड का राजफाश हो गया. वरना ये राज, राज ही बना रहता और मृतक के घर वाले उसे सारी जिंदगी तलाश करते रहते. हालांकी अभी भी युवक का शव नहीं मिला है. पुलिस ने इस मामले में आरोपी पत्नी, उसके आशिक और आशिक के भाई को गिरफ्तार कर लिया है.

28 अगस्त को गायब हो गया था युवक

बताते चलें कि बीते माह 30 अगस्त को सहजराम यादव ने थाना रामनगर में सूचना दी कि 28 अगस्त को उसका भाई मनोज कुमार यादव उर्फ पिंटू बाजार गया था, लेकिन वापस नहीं आया. उसके बाद फिर उसने 19 सितंबर को तहरीर दी कि उसके भाई मनोज को सुभाष और सुनील यादव ने अपहरण कर कहीं गायब कर दिया है. थाना रामनगर पर सुभाष और सुनील के खिलाफ पुलिस ने धारा 364 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी.

जानकारी देते पुलिस अधिकारी.

जांच में सामने आए हैरान कर देने वाले सच

पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो हैरान कर देने वाला सच सामने आया. दरअसल सुभाष ट्रक ड्राइवर है. मनोज यादव उसका रिश्तेदार था. मनोज की पत्नी नीलम का सुभाष के साथ अवैध संबंध था. नीलम, सुभाष के साथ रहना चाहती थी. इसलिए मनोज को रास्ते से हटाने के लिए नीलम अक्सर सुभाष से कहती थी. लिहाजा सुभाष इसकी योजना बनाने लगा.

हत्या की योजना में भाई को किया शामिल

वारदात से कुछ दिनों पहले सुभाष के घर भंडारा था, जिसमें मनोज भी आया था. सुभाष ने अपने ट्रक खलासी तीरथ यादव से मनोज की हत्या की बात की तो तीरथ ने इनकार कर दिया. उसके बाद सुभाष ने हत्या की योजना में अपने भाई सुनील को शामिल किया.

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हत्या कर घाघरा में फेंका शव

वारदात वाले दिन यानी 28 अगस्त को योजना के मुताबिक सुनील ने मनोज को मीट खाने के लिए बुढ़वल स्टेशन बुलाया. नीलम और सुभाष के संबंधों की जानकारी मनोज को हो गई थी, लिहाजा मनोज उससे रंजिश रखता था. यही वजह रही कि मनोज को शक न हो इसलिए सुनील से मनोज को बुलवाया और खुद सामने नहीं आया. सुनील और मनोज ने मिलकर मीट खाया और दोनों ने शराब पी. जब मनोज खूब नशे में हो गया तो सुभाष अपनी मारुति लेकर आया और फिर दोनों ने मिलकर मनोज को मारुति में पीछे लिटा दिया. अंधेरा हो जाने पर दोनों सुभाष और सुनील कार लेकर घाघरा पुल पहुंचे और मनोज को बीच धारा में फेंक दिया.

ऐसे खुला राज

पुलिस इस मामले में लापता मनोज की तलाश कर रही थी. मनोज के नंबर को सर्विलांस पर लगाकर छानबीन शुरू की तो उसका सिम चलता हुआ पाया गया. पुलिस ने जब सिम का प्रयोग करने वाले को तलाश किया तो उसने बताया कि उसे टूटा हुआ मोबाइल रास्ते में मिला था. फिर उस सिम की कॉल डिटेल्स खंगाली गई, जिसके आधार पर हत्याकांड का खुलासा हुआ. इस हत्याकांड के खुलासे के बाद पुलिस ने टीमें गठित कर आरोपियों द्वारा बताए गए स्थान पर घाघरा में शव की तलाश की. तमाम प्रयासों के बाद भी शव की बरामदगी नहीं हो सकी.

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