बाराबंकी: प्रदेश सरकार ने व्यापार को आसान बनाने और नए उद्यमियों को उद्यम लगाने में कोई परेशानी न हो इसके लिए निवेश मित्र पोर्टल की शुरूआत की थी, लेकिन यही निवेश मित्र पोर्टल (up state government nivesh mitra portal) अब नए उद्यमियों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है.
प्रदूषण बोर्ड ने अनआपत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कर इनके उद्योग लगाने पर ग्रहण लगा दिया है. बता दें कि, पोर्टल में तकनीकी कमी के चलते उद्यमियों को एनओसी नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते वह उद्योग नहीं लगा पा रहे. ऐसे में एमएसएमई सेक्टकर को बढ़ाने की सरकार मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है. किसी भी उद्योग को स्थापित करने की प्राथमिक स्टेज है कि, उनके पास अग्निशमन विभाग (fire department) और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution control board) के अनआपत्ति प्रमाण पत्र हो. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों के लिए चार कैटेगरी बनाई हैं.
रेड कैटेगरी, ऑरेंज कैटेगरी, ग्रीन कैटेगरी और सफेद कैटेगरी. लाल कैटेगरी के उद्योग अत्यधिक प्रदूषणकारी होते हैं, जबकि नारंगी और हरे कैटेगरी वाले उससे कम प्रदूषणकारी उद्योग हैं. सफेद कैटेगरी वाले उद्योग प्रदूषणरहित माने जाते हैं. प्रदूषणरहित कैटेगरी वाले उद्योगों को एनओसी से मुक्त रखा गया है. बोर्ड ने 220 यूनिटों को सफेद श्रेणी में रखा है. इससे पहले व्यवस्था थी कि नए उद्यमी उद्योग विभाग की मदद से प्रदूषण की एनओसी प्राप्त कर लेते थे, लेकिन अब व्यवस्था ऑनलाइन हो गई है.
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किसी भी नए उद्यमी को अपना उद्यम लगाने के लिए निवेश मित्र पोर्टल (nivesh mitra portal) पर आवेदन करना होता है. इसमें तमाम प्रविष्ठियों को भरना होता है. पोर्टल में व्हाइट कैटेगरी वालों के लिए साफ-साफ कोई कॉलम नहीं है. उनसे भी दूसरे कैटेगरी वाले उद्यमियों की तरह एनओसी मांगी जाती है और 10 हजार रुपये शुल्क भी जमा करना पड़ता है, जबकि यह उद्यमी एनओसी फ्री हैं, ऐसे में एनओसी न होने के चलते इनका आवेदन निरस्त हो जाता है या फिर पेंडिंग रहता है. उधर यूपीसीडा बगैर एनओसी के इनके उद्योग का नक्शा पास नहीं करता. उद्यम लगाने की समय सीमा एक वर्ष के बीत जाने के बाद जब यह लोग फिर आवेदन करते हैं, तो इन्हें पेनाल्टी देनी पड़ती है.
उद्यमियों ने इस समस्या को लेकर कई बार आवाज उठाई है. लेकिन निवेश मित्र पोर्टल की कमी दूर नहीं की जा सकी. ऐसे में उद्यमियों में निराशा है. उद्योग विभाग की उपायुक्त डॉ. शिवानी सिंह भी मानती हैं कि, यह एक बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि वह यूपी निवेश मित्र को पत्र लिख रही हैं. इसके साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution control board) को भी इस समस्या से अवगत कराते हुए इसका समाधान कराने की बात कही है.
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