बाराबंकी: दिव्यांग बच्चे भी चाहते हैं कि सारा जहां खुशियों के दीपों से जगमग हो. यही वजह है कि लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने धनतेरस के मौके पर खुद के हाथों से बने सामानों के स्टाल लगाए. इसका प्रमुख कारण यह है कि लोग उनके भी हुनर को पहचाने और उन्हें अलग न समझें.
दिव्यांग बच्चों की खूबसूरत स्वदेशी दीपावली
हैप्पी दिवाली के एक से एक खूबसूरत कार्ड, रंग-बिरंगे दिये, खूबसूरत मोमबत्तियां, कलश, गुल्लक, तोरन, झूमर और एक से एक नायाब चीजें देखकर लोग हैरान रह गए. ये चीजें किसी कारखाने से बनकर नहीं आई हैं, बल्कि इन्हें दिव्यांग बच्चों ने अपने हाथों से सजाया और संवारा है. शुक्रवार को धनतेरस के मौके पर जब दिव्यांग बच्चों ने स्टाल लगाए तो लोग इन खूबसूरत स्वदेशी सामानों को खरीदने से अपने आपको रोक नहीं पाए.
खूबसूरत स्वदेशी खरीदने की अपील
बच्चों द्वारा लगाए गए मेले में पहुंचे तमाम लोगों ने न केवल खुद सामान खरीदें बल्कि और लोगों को भी इन दिव्यांग बच्चों के हाथों बने सामान खरीदने की अपील भी की.
दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
पिछले पांच वर्षों से अर्चना श्रीवास्तव नगर के छाया चौराहे के समीप उम्मीद किरण स्पेशल स्कूल एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर चला रही हैं. अर्चना तकरीबन डेढ़ दर्जन दिव्यांग बच्चों को हर तरीके से प्रशिक्षित कर उनको आत्मनिर्भर बनाने में लगी हैं. धनतेरस के मौके पर अपने कौशल को दिखाने के लिए इन बच्चों ने पिछले तीन महीनों की कड़ी मेहनत से स्कूल स्टाफ की मदद से खूबसूरत चीजें तैयार की हैं.