बाराबंकी: जिले में पिछले दस वर्षों से दूसरे के प्रमाणपत्रों पर नौकरी कर रहे दंपति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. फर्जी शिक्षक होने के खुलासे के बाद से ही दोनों फरार चल रहे थे. जानकारी के मुताबिक, पकड़े गए दंपति ने पूछताछ में बताया कि पूर्वांचल का एक रैकेट है, जो इस फर्जीवाड़े में लिप्त है.
फर्जी शिक्षिका की सेवा समाप्त
अगस्त 2010 में देवरिया जिले के कपरीपार गांव की रहने वाली स्वाती तिवारी की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापिका हुई थी. वर्तमान में स्वाती हैदरगढ़ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय कनावा में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात थीं. जून माह में जब महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 192 ऐसे शिक्षकों की सूची जारी की, जिनके नाम तो एक थे, लेकिन बैंक खाता नम्बर और पैन नम्बर अलग-अलग थे. जांच शुरू की गई तो सीतापुर निवासी स्वाती तिवारी का नाम सामने आया.
बाराबंकी के बीएसए वीपी सिंह ने सीतापुर बीएसए से संपर्क कर जांच करवाया. इसके बाद पता चला कि स्वाती तिवारी फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर बाराबंकी में नौकरी कर रही हैं. स्वाती तिवारी को नोटिस भेजा गया, लेकिन उपस्थित न होने पर जुलाई माह में वेतन रोक दिया गया. हालांकि स्वाती तिवारी की उपस्थिति अभी तक नहीं हुई, जिसके चलते बीएसए ने सेवा समाप्त कर मुकदमा दर्ज करा दिया.
पति अभिषेक पहले ही हो चुका था बर्खास्त
मई महीने में हैदरगढ़ विकास खण्ड के उच्च प्राथमिक विद्यालय सीठूमऊ में तैनात सहायक अध्यापक अभिषेक त्रिपाठी के दस्तावेज भी फर्जी पाए गए थे. अभिषेक ने देवरिया जिले के ग्राम व पोस्ट पिपरा का पता दर्ज कराया था और वहां इस नाम और वल्दियत का कोई भी शख्स नहीं पाया गया. बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी अभिषेक उपस्थित नहीं हुआ. लिहाजा बीएसए वीपी सिंह ने 29 मई को उसकी सेवा समाप्त करते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया.
पति की बर्खास्तगी के बाद से फरार चल रही थी स्वाती
खण्ड विकास अधिकारी (बीईओ) ने जब स्वाती प्रकरण की जांच शुरू की तो पता चला कि अभिषेक और स्वाती पति-पत्नी हैं. अभिषेक का भंडाफोड़ हो जाने के बाद से दोनों फरार हो गए थे. पकड़े गए दंपति नकली नाम से नौकरी कर रहे थे. अभिषेक त्रिपाठी का असली नाम विनोद तिवारी है, जबकि स्वाती तिवारी का असली नाम प्रियंका तिवारी है, इसलिए इनके मूल पते पर जब वेरिफिकेशन कराया गया तो ये लोग पकड़ में आ गए.
कैसे किया फर्जीवाड़ा
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि 10 वर्ष पहले वे अपने मूल जनपद देवरिया में ही एक शादी समारोह में गए थे. समारोह में राजू मिश्रा और कॉलेज संचालक उपेंद्र तिवारी से इनकी मुलाकात हुई. राजू और उपेंद्र ने दंपति को नौकरी दिलाने की बात कही और डेढ़-डेढ़ लाख रुपये पर डील तय हो गई. इतना ही नहीं, यह भी कहा गया कि दंपति को काउंसिलिंग में भी जाने की जरूरत नहीं है.
बीएसए वीपी सिंह ने बताया कि ऐसे तमाम प्रकरण हैं, जिसमें फर्जीवाड़ा चल रहा है. लगातार वेरिफिकेशन कराया जा रहा है. संदिग्धों को कारण बताओ नोटिस जारी की जा रही है. इसके बाद भी आरोपी की अनुपस्थिति पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि दूसरों के नाम से और फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी दिलाने वाला रैकेट सक्रिय है. पकड़े गए दंपति के अनुसार, इन्हीं नामों से पचास फर्जी शिक्षक नौकरी कर रहे हैं.