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बाराबंकी: इस बार पराली जलाने की नही होंगी घटनाएं, प्रशासन की ये है तैयारी

बाराबंकी ने पराली जलाने को लेकर अभी से तैयारी शुरू कर दी है. जिला प्रशासन ने अभी से ही किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है. जिले की 7 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है, जिनको 80 फीसदी अनुदान पर मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी. जिन ग्राम पंचायतों में पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं हुई थीं, उन पर प्रशासन की विशेष नजर है.

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कृषि भवन, बाराबंकी.
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Published : Sep 23, 2020, 10:26 PM IST

बाराबंकी: जिले में इस बार पराली जलाने की कोई भी घटना नहीं होने पाएगी. प्रशासन ने इसके लिए खास मेकैनिज्म तैयार किया है. धान की फसल कटने में हालांकि अभी समय है. बावजूद इसके एनजीटी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने अभी से ही किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है. पिछले वर्ष जिले के 61 स्थानों पर सेटेलाइट से पराली जलाने की फ़ोटो प्रशासन को मिली थी. जिन ग्राम पंचायतों में पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं हुई थीं, उन पर प्रशासन की विशेष नजर है.

पिछली बार की तरह इस बार पराली जलाने की घटनाएं न हों, इसके लिए शासन फसल अवशेष योजना चला रहा है. इसके तहत 80 फीसदी अनुदान देकर किसानों को ऐसे विशेष यंत्रों को खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे कि फसल अवशेष न निकले. यही नहीं बिना अतिरिक्त मैनेजमेंट सिस्टम लगाए कम्बाइन हार्वेस्टर चलाने पर पाबंदी लगाकर उनके मालिकों को नोटिस दी गई है.

क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट से सम्बंधित कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकार 80 फीसदी अनुदान दे रही है. फसल अवशेष ज्यादा न निकले इसके लिए हैप्पी सीडर, मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रिवर्सेबल एमबी प्लाऊ जैसी तमाम मशीनों को मार्केट में उतारा गया है. कृषि वैज्ञानिक इन मशीनों के प्रति किसानों को जागरूक कर रहे हैं. प्रशासन की मंशा है कि पिछले वर्षों में पराली जलाने की जो घटनाएं हुई थी, इस बार न हों.

अनिल कुमार सागर, उप निदेशक ने कहा कि किसानों को बताया जा रहा है कि कैसे पराली को खाद में बदला जा सकता है. पिछले वर्ष जिले की ऐसी सात ग्राम पंचायतों को अनुदान देने के लिए चुना गया है, जहां पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं हुई थीं. इसके अलावा इस बार कम्बाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई करने वालों को चेतावनी दी गई है. कम्बाइन हार्वेस्टर रखने वाले मालिकों को अपनी मशीन में एसएमएस यानी स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम लगाना अनिवार्य बनाया गया है.

किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2018 में सीआरएम यानी क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट (फसल अवशेष प्रबंधन) की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत किसानों को अनुदान पर मशीनरी उपलब्ध कराई जाती है. इन मशीनों से पराली की मात्रा कम निकलेगी. साथ ही ये पराली खाद में तब्दील हो जाएगी. जिले की 7 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है, जिनको 80 फीसदी अनुदान पर मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके अलावा किसानों को व्यक्तिगत तौर पर इन मशीनों की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान मिलेगा.

बाराबंकी: जिले में इस बार पराली जलाने की कोई भी घटना नहीं होने पाएगी. प्रशासन ने इसके लिए खास मेकैनिज्म तैयार किया है. धान की फसल कटने में हालांकि अभी समय है. बावजूद इसके एनजीटी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने अभी से ही किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है. पिछले वर्ष जिले के 61 स्थानों पर सेटेलाइट से पराली जलाने की फ़ोटो प्रशासन को मिली थी. जिन ग्राम पंचायतों में पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं हुई थीं, उन पर प्रशासन की विशेष नजर है.

पिछली बार की तरह इस बार पराली जलाने की घटनाएं न हों, इसके लिए शासन फसल अवशेष योजना चला रहा है. इसके तहत 80 फीसदी अनुदान देकर किसानों को ऐसे विशेष यंत्रों को खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे कि फसल अवशेष न निकले. यही नहीं बिना अतिरिक्त मैनेजमेंट सिस्टम लगाए कम्बाइन हार्वेस्टर चलाने पर पाबंदी लगाकर उनके मालिकों को नोटिस दी गई है.

क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट से सम्बंधित कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकार 80 फीसदी अनुदान दे रही है. फसल अवशेष ज्यादा न निकले इसके लिए हैप्पी सीडर, मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रिवर्सेबल एमबी प्लाऊ जैसी तमाम मशीनों को मार्केट में उतारा गया है. कृषि वैज्ञानिक इन मशीनों के प्रति किसानों को जागरूक कर रहे हैं. प्रशासन की मंशा है कि पिछले वर्षों में पराली जलाने की जो घटनाएं हुई थी, इस बार न हों.

अनिल कुमार सागर, उप निदेशक ने कहा कि किसानों को बताया जा रहा है कि कैसे पराली को खाद में बदला जा सकता है. पिछले वर्ष जिले की ऐसी सात ग्राम पंचायतों को अनुदान देने के लिए चुना गया है, जहां पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं हुई थीं. इसके अलावा इस बार कम्बाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई करने वालों को चेतावनी दी गई है. कम्बाइन हार्वेस्टर रखने वाले मालिकों को अपनी मशीन में एसएमएस यानी स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम लगाना अनिवार्य बनाया गया है.

किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2018 में सीआरएम यानी क्रॉप रेजीड्यू मैनेजमेंट (फसल अवशेष प्रबंधन) की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत किसानों को अनुदान पर मशीनरी उपलब्ध कराई जाती है. इन मशीनों से पराली की मात्रा कम निकलेगी. साथ ही ये पराली खाद में तब्दील हो जाएगी. जिले की 7 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है, जिनको 80 फीसदी अनुदान पर मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी. इसके अलावा किसानों को व्यक्तिगत तौर पर इन मशीनों की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान मिलेगा.

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