बाराबंकी :महाशिवरात्रि के मौके पर बाराबंकी के पौराणिक लोधेश्वर धाम में जलाभिषेक के लिए आने वाले कांवड़ियों के पास खूबसूरत कांवड़ और गंगाजल के साथ एक राम प्यारी भी होती है. चौक गए न, जी हां सही सुना आपने रामप्यारी. कांवड़ियों के हाथ में विशेष रूप से तैयार की गई लाठी होती है, जिसे राम प्यारी कहा जाता है.
कुछ वर्षों तक कावड़ियें अपनी इस रामप्यारी को मंदिर तक ले जाते थे, लेकिन पिछले चार वर्षों से इसे अपने साथ ले जाने की इजाजत नहींहै.कोई भी कांवड़िया इसके साथ मंदिर परिसर में तो नहीं जा रहा, इसको लेकर पुलिस पूरी तरह चौकन्नी रहती है.
पचासों कोस दूर उरई, कन्नौज, बिठूर, फिरोजाबाद, जालौन, अलीगढ़, कानपुर और उन्नाव से पैदल चलकर कांवड़िये इसी राम प्यारी का सहारा लेकर भगवान भोले के दरबार पहुंचते हैं. कहीं थकते हैतो राम प्यारी का सहारा, रास्ते में कांटे और पत्थर मिले उन्हें भी इसी से हटाया जाता है.
रास्ते में जंगली जीव दिखे तो फिर राम प्यारी भगाने में मददगार होती है. इसी के सहारे ये कांवड़िये पूरा सफर तय करते हैं. कुछ वर्षों तक तो मंदिर परिसर तक इस रामप्यारी को भी कांवड़िये अपने साथ ले जाते रहें, लेकिन तकरीबन पांच वर्ष पहले मेला परिसर में प्रशासनिक अव्यवस्था देख कांवड़िये बिगड़ गए और उन्होंने जमकर बवाल किया.
बवाल में कांवड़ियों ने इस रामप्यारी का जमकर प्रयोग किया. उसके बाद प्रशासन ने इस लाठी को जमा कराना शुरू कर दिया. प्रशासन ने महादेवा मंदिर से तकरीबन 3 सौ मीटर पहले बने बोहनिया तालाब पर एक कैम्प बनाया, जहां ये रामप्यारी जमा कर ली जाती है. इसके लिए बाकायदा कांवड़ियों को टोकन दिया जाता है. जलाभिषेक करके आने के बाद टोकन देने पर उनकी रामप्यारी को वापस कर दिया जाता है.