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बाराबंकी: गन्ने की खेती से हो रहा मोहभंग, किसानों ने बताई ये वजह

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पिछले कुछ वर्षों में गन्ने का रकबा कम हो गया है. किसान इसके लिए सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. अब किसान गन्ने की फसल लगाकर साल भर तक खेत को फंसाने की बजाय मेन्था और केले की फसल की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

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Published : Aug 9, 2019, 8:42 AM IST

Updated : Aug 9, 2019, 9:04 AM IST

बाराबंकी में किसान गन्ने की खेती करने से कतराने लगे हैं.

बाराबंकी: गन्ने की फसल से किसानों का मोहभंग होने लगा है. हाल ही में हुए सर्वे ने विभागीय अधिकारियों को चौंका दिया है. पिछले वर्ष से इस बार 15 फीसदी गन्ने का रकबा कम हो गया है. विभाग भले ही इसके पीछे फसल चक्र की वजह बता रहा हो, लेकिन किसान इस के पीछे सरकार की गलत नीतियां मान रहे हैं.

बाराबंकी में किसान गन्ने की खेती करने से कतराने लगे हैं.


पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ गन्ने का क्षेत्रफल

  • बाराबंकी जिले में कभी गन्ने की जबरदस्त पैदावार होती थी.
  • तराई इलाकों रामनगर, सिरौलीगौसपुर और दरियाबाद तहसीलों में इस नकदी खेती से किसानों को खासा लाभ मिलता था.
  • पिछले कुछ वर्षों से गन्ने का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है.
  • वर्ष 2018-19 में जहां गन्ने का क्षेत्रफल 10805.486 हेक्टेयर था, तो 2019-20 में ये रकबा घटकर 9087.475 हेक्टेयर रह गया.
  • हाल ही में गन्ना विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में जब ये खुलासा हुआ, तो विभाग में हड़कम्प मच गया.

पढ़ें- बाराबंकी: प्राथमिक विद्यालय की जर्जर छत से टपकता है पानी

किसानों ने गलत नीतियों को ठहराया जिम्मेदार

  • गन्ने का रकबा घटने के पीछे किसानों ने सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया.
  • किसानों का कहना है कि उन्हें समय पर भुगतान नहीं दिया जाता. गन्ने की पर्ची देने में भी अनियमितता की जाती है.
  • किसानों ने कहा ऐसे में परेशान किसान गन्ना बोने से कतराने लगे हैं.
  • उनके सामने नकदी फसल के रूप में मेंथा और केले जैसी फसल है.
  • इसके अलावा जिले की बुढ़वल और सोमैयानगर सहकारी चीनी मिलों के बंद होने से भी किसान निराश हैं.

पढ़ें- मेरठ: सड़क पर जुमे की नमाज पर प्रतिबंध, एसएसपी ने जारी किया आदेश

पिछले वर्षों में सर्वे ठीक ढंग से नहीं होता था. लोग फर्जी आंकड़े दे देते थे, लेकिन अब सर्वे ठीक ढंग से हो रहा है, जिससे लग रहा है कि रकबा घट रहा है. जो कुछ रकबा घट रहा है, उसके पीछे फसल चक्र वजह है. गन्ना किसान हर तीन साल बाद अपनी फसल बदल देते हैं.
रत्नेश्वर त्रिपाठी , जिला गन्ना अधिकारी, बाराबंकी

बाराबंकी: गन्ने की फसल से किसानों का मोहभंग होने लगा है. हाल ही में हुए सर्वे ने विभागीय अधिकारियों को चौंका दिया है. पिछले वर्ष से इस बार 15 फीसदी गन्ने का रकबा कम हो गया है. विभाग भले ही इसके पीछे फसल चक्र की वजह बता रहा हो, लेकिन किसान इस के पीछे सरकार की गलत नीतियां मान रहे हैं.

बाराबंकी में किसान गन्ने की खेती करने से कतराने लगे हैं.


पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ गन्ने का क्षेत्रफल

  • बाराबंकी जिले में कभी गन्ने की जबरदस्त पैदावार होती थी.
  • तराई इलाकों रामनगर, सिरौलीगौसपुर और दरियाबाद तहसीलों में इस नकदी खेती से किसानों को खासा लाभ मिलता था.
  • पिछले कुछ वर्षों से गन्ने का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है.
  • वर्ष 2018-19 में जहां गन्ने का क्षेत्रफल 10805.486 हेक्टेयर था, तो 2019-20 में ये रकबा घटकर 9087.475 हेक्टेयर रह गया.
  • हाल ही में गन्ना विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में जब ये खुलासा हुआ, तो विभाग में हड़कम्प मच गया.

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किसानों ने गलत नीतियों को ठहराया जिम्मेदार

  • गन्ने का रकबा घटने के पीछे किसानों ने सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया.
  • किसानों का कहना है कि उन्हें समय पर भुगतान नहीं दिया जाता. गन्ने की पर्ची देने में भी अनियमितता की जाती है.
  • किसानों ने कहा ऐसे में परेशान किसान गन्ना बोने से कतराने लगे हैं.
  • उनके सामने नकदी फसल के रूप में मेंथा और केले जैसी फसल है.
  • इसके अलावा जिले की बुढ़वल और सोमैयानगर सहकारी चीनी मिलों के बंद होने से भी किसान निराश हैं.

पढ़ें- मेरठ: सड़क पर जुमे की नमाज पर प्रतिबंध, एसएसपी ने जारी किया आदेश

पिछले वर्षों में सर्वे ठीक ढंग से नहीं होता था. लोग फर्जी आंकड़े दे देते थे, लेकिन अब सर्वे ठीक ढंग से हो रहा है, जिससे लग रहा है कि रकबा घट रहा है. जो कुछ रकबा घट रहा है, उसके पीछे फसल चक्र वजह है. गन्ना किसान हर तीन साल बाद अपनी फसल बदल देते हैं.
रत्नेश्वर त्रिपाठी , जिला गन्ना अधिकारी, बाराबंकी

Intro:बाराबंकी ,09 अगस्त । गन्ने की फसल से किसानों का मोहभंग होने लगा है । हाल ही में हुए सर्वे ने विभागीय अधिकारियों को चौंका दिया है । पिछले वर्ष से इस बार 15 फ़ीसदी गन्ने का रकबा कम हो गया है । विभाग भले ही इसके पीछे फसल चक्र की वजह बता रहा हो लेकिन किसान इस के पीछे गलत नीतियां मान रहे हैं ।


Body:वीओ - कभी बाराबंकी जिले में गन्ने की जबरदस्त पैदावार होती थी । खासकर तराई इलाकों रामनगर, सिरौलीगौसपुर और दरियाबाद तहसीलों में इस नकदी खेती से किसानों को खासा लाभ मिलता था । लेकिन पिछले कुछ वर्षों से गन्ने का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है । वर्ष 2018-19 में जहां गन्ने का क्षेत्रफल 10805.486 हेक्टेयर था तो 2019-20 में ये रकबा घटकर 9087.475 हेक्टेयर रह गया । हाल ही में गन्ना विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में जब ये खुलासा हुआ तो विभाग में हड़कम्प मच गया । गन्ने का रकबा घटने के पीछे किसानों ने इसके पीछे गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया । किसानों का कहना है कि उन्हें समय पर भुगतान नही दिया जाता । साथ ही गन्ने की पर्ची देने में भी अनियमितता की जाती है । ऐसे में परेशान किसान गन्ना बोने से कतराने लगे हैं । उनके सामने नकदी फसल के रूप में मेंथा और केले जैसी फसल है । गन्ना लगाकर साल भर तक खेत को फंसाने की बजाय किसान मेन्था और केले की फसल की ओर आकर्षित हो रहे हैं । इसके अलावा जिले की बुढ़वल और सोमैयानगर सहकारी चीनी मिलों के बंद होने से भी किसान निराश हैं ।
बाईट - राम किशोर पटेल ,किसान
बाईट - रजनीश कुमार , किसान


वीओ - गन्ना अधिकारी ये तो मानते हैं कि इस वर्ष रकबा घटा है लेकिन इस बात को मानने को तैयार नही हैं कि रकबा लगातार घट रहा है । गन्ना अधिकारी की माने तो पिछले वर्षों में सर्वे ठीक ढंग से नही होता था लोग फर्जी आंकड़े दे देते थे लेकिन अब सर्वे ठीक ढंग से हो रहा है जिससे लग रहा है कि रकबा घट रहा है । यही नही इनका मानना है कि जो कुछ रकबा घट रहा है उसके पीछे फसल चक्र वजह है । गन्ना किसान हर तीन साल बाद अपनी फसल बदल देते है ।
बाईट - रत्नेश्वर त्रिपाठी , जिला गन्ना अधिकारी बाराबंकी


Conclusion:बहरहाल किसानों का दर्द देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना विभागीय कमियों में सुधार के जिले में गन्ने का रकबा बढ़ने वाला नहीं है ।
रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
Last Updated : Aug 9, 2019, 9:04 AM IST
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