बाराबंकी: गन्ने की फसल से किसानों का मोहभंग होने लगा है. हाल ही में हुए सर्वे ने विभागीय अधिकारियों को चौंका दिया है. पिछले वर्ष से इस बार 15 फीसदी गन्ने का रकबा कम हो गया है. विभाग भले ही इसके पीछे फसल चक्र की वजह बता रहा हो, लेकिन किसान इस के पीछे सरकार की गलत नीतियां मान रहे हैं.
पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ गन्ने का क्षेत्रफल
- बाराबंकी जिले में कभी गन्ने की जबरदस्त पैदावार होती थी.
- तराई इलाकों रामनगर, सिरौलीगौसपुर और दरियाबाद तहसीलों में इस नकदी खेती से किसानों को खासा लाभ मिलता था.
- पिछले कुछ वर्षों से गन्ने का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है.
- वर्ष 2018-19 में जहां गन्ने का क्षेत्रफल 10805.486 हेक्टेयर था, तो 2019-20 में ये रकबा घटकर 9087.475 हेक्टेयर रह गया.
- हाल ही में गन्ना विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में जब ये खुलासा हुआ, तो विभाग में हड़कम्प मच गया.
पढ़ें- बाराबंकी: प्राथमिक विद्यालय की जर्जर छत से टपकता है पानी
किसानों ने गलत नीतियों को ठहराया जिम्मेदार
- गन्ने का रकबा घटने के पीछे किसानों ने सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया.
- किसानों का कहना है कि उन्हें समय पर भुगतान नहीं दिया जाता. गन्ने की पर्ची देने में भी अनियमितता की जाती है.
- किसानों ने कहा ऐसे में परेशान किसान गन्ना बोने से कतराने लगे हैं.
- उनके सामने नकदी फसल के रूप में मेंथा और केले जैसी फसल है.
- इसके अलावा जिले की बुढ़वल और सोमैयानगर सहकारी चीनी मिलों के बंद होने से भी किसान निराश हैं.
पढ़ें- मेरठ: सड़क पर जुमे की नमाज पर प्रतिबंध, एसएसपी ने जारी किया आदेश
पिछले वर्षों में सर्वे ठीक ढंग से नहीं होता था. लोग फर्जी आंकड़े दे देते थे, लेकिन अब सर्वे ठीक ढंग से हो रहा है, जिससे लग रहा है कि रकबा घट रहा है. जो कुछ रकबा घट रहा है, उसके पीछे फसल चक्र वजह है. गन्ना किसान हर तीन साल बाद अपनी फसल बदल देते हैं.
रत्नेश्वर त्रिपाठी , जिला गन्ना अधिकारी, बाराबंकी