बाराबंकी: जिले में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मेंथा की फसल से गन्ने की फसल पर काफी असर पड़ रहा है. यही वजह है कि जिले में इस बार 17 फीसदी गन्ने का रकबा कम हो गया है. जिले का गन्ना विभाग इसको लेकर खासा गम्भीर है. विभाग अब एक ऐसा मैकेनिज्म बनाने में जुटा है, जिससे किसान दोनों फसल पैदा कर लाभ उठा सकें.
बाराबंकी जिला गन्ने की खेती के लिए काफी मुफीद रहा है. इस नकदी खेती से किसानों को काफी लाभ होता था, लेकिन इधर कई वर्षों से जिले में मेंथा की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है. गन्ने के भुगतान में देरी, गन्ना पर्ची मिलने में परेशानी और आसपास की चीनी मिलें बंद होने से किसानों का गन्ने की फसल से रुझान कम होने लगा.
जिले में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार गन्ने का रकबा 17 फीसदी घट गया है. वर्ष 2019-20 में जहां नए गन्ने के पौधे का रकबा 3998 हेक्टेयर और पेड़ी गन्ने का रकबा 5089 हेक्टेयर यानी कुल रकबा 9087 हेक्टेयर था, लेकिन इस वर्ष 2020-21 में नए गन्ने का रकबा 4209 हेक्टेयर और पेड़ी गन्ने का रकबा 3280 हेक्टेयर यानी कुल रकबा 7490 हेक्टेयर रह गया. इस तरह इस बार गन्ने का रकबा 1600 हेक्टेयर घट गया. रकबा घट जाने से एक समिति समाप्त कर दी गई है.
समाप्त हो गई एक समिति
वैसे तो जिले के गन्ना विभाग में 40 हजार गन्ना किसान सदस्य हैं, लेकिन इनमें से महज 13 हजार किसान ही गन्ने की खेती करते हैं. जिले में पहले बाराबंकी, बुढ़वल, दरियाबाद, हैदरगढ़ और बड़ागांव ये पांच गन्ना समितियां थी, लेकिन इस बार बड़ागांव समिति समाप्त कर दी गई है. बड़ागांव समिति में महज 11 गन्ना किसान थे, लिहाजा इन किसानों को बाराबंकी समिति में मर्ज कर दिया गया है.
तैयार हो रहा नया मैकेनिज्म
जिले में कैश क्रॉप के रूप में गन्ना और मेंथा की खेती होती है. किसानों के पास ये दो ऑप्शन रहते हैं. गन्ने के तौल और बकाया भुगतान में होने वाली परेशानियों के चलते किसान मेंथा को चुन लेते हैं. यही वजह है कि लगातार मेंथा की खेती बढ़ रही है. गन्ना विभाग इसको लेकर खासा गम्भीर है. विभाग अब एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार कर रहा है कि किसान गन्ने के साथ-साथ मेंथा की फसल तैयार कर लाभ उठा सकें.