बाराबंकी: नकदी खेती से भले ही किसानों को लाभ हो रहा हो, लेकिन इससे मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है. किसानों ने पिपरमेंट के चलते गेहूं बोना कम कर दिया है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गेहूं का 34 हजार रकबा कम हो गया है, जिससे भूसे की कमी हो गई है.
यह हैं कारण
- बाराबंकी में दिनोंदिन बढ़ रही मेंथा की खेती से किसानों ने गेहूं बोना कम कर दिया है.
- साल 2017-18 में जिले में गेहूं का क्षेत्रफल एक लाख 71 हजार हेक्टेयर था.
- साल 2018-19 में ये क्षेत्रफल घटकर एक लाख 37 हजार रह गया.
- गेहूं की बुआई कम होने से भूसे की कमी हो गई है.
- हालात यह हैं कि गेहूं के दाम में भूसा बिक रहा है.
- ऐसे में पशुपालक परेशान हैं.
- मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है.
- नगर के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास भूसा मंडी में भूसा बेचने आए व्यापारियों की माने तो इस बार जितना महंगा भूसा है, उतना पिछले वर्षों में नहीं था.
- कई पशुपालक तो ऐसे हैं, जिन्होंने गेहूं बोया था, लेकिन छुट्टा जानवरों से उनकी फसल नष्ट हो गई.
जिले में मेंथा की खेती बढ़ने के कारण किसानों के लिए भूसे का संकट खड़ा हो गया है. कुछ लोग ऐसे हैं, जो गेहूं से भूसा नहीं निकालते हैं, केवल डंठल खेत में छोड़ देते हैं. अगर वो लोग भी गेहूं से भूसा निकालें तो ऐसी समस्या नहीं होगी.
-संजीव कुमार, जिला कृषि अधिकारी