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यूपी के इस जिले में गेहूं के दाम में बिक रहा भूसा, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे

यूपी के बाराबंकी जिले में गेहूं के दाम में भूसा मिल रहा है. इससे पशुपालक और किसान बहुत परेशान हैं. उनके सामने अपने मवेशियों को खिलाने का संकट खड़ा हो गया है. भूसा खरीदने मंडी आए कई पशुपालकों का दर्द साफ दिखाई दिया.

गेहूं के दाम में बिक रहा भूसा.
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Published : Aug 1, 2019, 9:10 AM IST

बाराबंकी: नकदी खेती से भले ही किसानों को लाभ हो रहा हो, लेकिन इससे मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है. किसानों ने पिपरमेंट के चलते गेहूं बोना कम कर दिया है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गेहूं का 34 हजार रकबा कम हो गया है, जिससे भूसे की कमी हो गई है.

जिला कृषि अधिकारी ने दी जानकारी.

यह हैं कारण

  • बाराबंकी में दिनोंदिन बढ़ रही मेंथा की खेती से किसानों ने गेहूं बोना कम कर दिया है.
  • साल 2017-18 में जिले में गेहूं का क्षेत्रफल एक लाख 71 हजार हेक्टेयर था.
  • साल 2018-19 में ये क्षेत्रफल घटकर एक लाख 37 हजार रह गया.
  • गेहूं की बुआई कम होने से भूसे की कमी हो गई है.
  • हालात यह हैं कि गेहूं के दाम में भूसा बिक रहा है.
  • ऐसे में पशुपालक परेशान हैं.
  • मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है.
  • नगर के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास भूसा मंडी में भूसा बेचने आए व्यापारियों की माने तो इस बार जितना महंगा भूसा है, उतना पिछले वर्षों में नहीं था.
  • कई पशुपालक तो ऐसे हैं, जिन्होंने गेहूं बोया था, लेकिन छुट्टा जानवरों से उनकी फसल नष्ट हो गई.

जिले में मेंथा की खेती बढ़ने के कारण किसानों के लिए भूसे का संकट खड़ा हो गया है. कुछ लोग ऐसे हैं, जो गेहूं से भूसा नहीं निकालते हैं, केवल डंठल खेत में छोड़ देते हैं. अगर वो लोग भी गेहूं से भूसा निकालें तो ऐसी समस्या नहीं होगी.
-संजीव कुमार, जिला कृषि अधिकारी

बाराबंकी: नकदी खेती से भले ही किसानों को लाभ हो रहा हो, लेकिन इससे मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है. किसानों ने पिपरमेंट के चलते गेहूं बोना कम कर दिया है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गेहूं का 34 हजार रकबा कम हो गया है, जिससे भूसे की कमी हो गई है.

जिला कृषि अधिकारी ने दी जानकारी.

यह हैं कारण

  • बाराबंकी में दिनोंदिन बढ़ रही मेंथा की खेती से किसानों ने गेहूं बोना कम कर दिया है.
  • साल 2017-18 में जिले में गेहूं का क्षेत्रफल एक लाख 71 हजार हेक्टेयर था.
  • साल 2018-19 में ये क्षेत्रफल घटकर एक लाख 37 हजार रह गया.
  • गेहूं की बुआई कम होने से भूसे की कमी हो गई है.
  • हालात यह हैं कि गेहूं के दाम में भूसा बिक रहा है.
  • ऐसे में पशुपालक परेशान हैं.
  • मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है.
  • नगर के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास भूसा मंडी में भूसा बेचने आए व्यापारियों की माने तो इस बार जितना महंगा भूसा है, उतना पिछले वर्षों में नहीं था.
  • कई पशुपालक तो ऐसे हैं, जिन्होंने गेहूं बोया था, लेकिन छुट्टा जानवरों से उनकी फसल नष्ट हो गई.

जिले में मेंथा की खेती बढ़ने के कारण किसानों के लिए भूसे का संकट खड़ा हो गया है. कुछ लोग ऐसे हैं, जो गेहूं से भूसा नहीं निकालते हैं, केवल डंठल खेत में छोड़ देते हैं. अगर वो लोग भी गेहूं से भूसा निकालें तो ऐसी समस्या नहीं होगी.
-संजीव कुमार, जिला कृषि अधिकारी

Intro:बाराबंकी ,01 अगस्त । नकदी खेती से भले ही किसानों को लाभ हो रहा हो लेकिन इससे मवेशियों के लिए संकट खड़ा हो गया है । किसानों ने पिपरमेंट के चलते गेहूं बोना कम कर दिया है । पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गेहूं का 34 हजार रकबा कम हो गया है । जिससे भूसे की कमी हो गई है । पशुपालक चारे को लेकर परेशान हैं ।


Body:वीओ - बाराबंकी में दिनों दिन बढ़ रही मेन्था की खेती से किसानों ने गेहूं बोना कम कर दिया है । वर्ष 2017- 18 में जहां जिले में गेहूं का क्षेत्रफल एक लाख 71 हजार हेक्टेयर था वहीं वर्ष 2018-19 में ये क्षेत्रफल घटकर एक लाख 37 हजार रह गया । गेहूं की बोआई कम होने से भूसे की कमी हो गई है । हालात ये हैं कि गेहूं के दाम में भूसा बिक रहा है । ऐसे में पशुपालक परेशान हैं । मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है । नगर के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास भूसा मंडी लगती है । ग्रामीण क्षेत्रों के व्यापारी और किसान यहां भूसा लाकर बेचते हैं । इन किसानों ने बताया कि भूसे की कमी हो गई है । इसके पीछे जहां ये लोग पिपरमेंट की बढती जा रही खेती को दोष देते है वही छुट्टा जानवरो को भी दोष देते है । भूसा बेचने आये व्यापारियों की माने तो इस बार जितना महंगा भूसा है उतना पिछले वर्षों में नही था ।
बाईट - भूसा विक्रेता
बाईट - भूसा विक्रेता

वीओ - पशुपालक परेशान है। उनके सामने अपने मवेशियों को खिलाने का संकट खड़ा हो गया है । भूसा खरीदने आये कई पशुपालकों का दर्द साफ दिखाई दिया । कई पशुपालक तो ऐसे हैं जिन्होंने गेहूं बोया था लेकिन छुट्टा जानवरों से उनकी फसल नष्ट हो गई । गेहूं छोड़ दीजिए भूसा तक नही निकला ।इनका कहना है कि इतना महंगा भूसा वे कैसे खरीद पाएंगे ।
बाईट - पशुपालक
बाईट- पशुपालक

वीओ - एक तो भूसे की कमी दूसरे पशु आश्रय स्थलों में भी भूसे की खपत से भूसे के भाव आसमान छूने लगे हैं । जिला कृषि अधिकारी भी इस भयानक समस्या से हैरान हैं । एक तो पिपरमेंट की खेती से गेहूं का रकबा घटा और दूसरे जिन किसानों ने गेहूं बोया भी था उनके खेत छुट्टा जानवर खा गए । बड़े काश्तकारों ने बड़ी बड़ी मशीनों से गेहूं तो निकाल लिया और बिना भूसा निकाले डंठल खेत मे ही डाल दिया ऐसे में भूसे की कमी हो गई ।
बाईट - संजीव कुमार , जिला कृषि अधिकारी बाराबंकी


Conclusion:बहरहाल मवेशियों के चारे की समस्या को देखते हुए न केवल किसानों को इस ओर गंभीरता से सोचना होगा बल्कि अधिकारियों को भी इस पर ध्यान देना होगा ।
रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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