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ODOP के तहत अब सिर्फ स्टोल नहीं, दूसरे कपड़े भी कराएंगे बाराबंकी की पहचान - हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद

24 जनवरी 2018 को सूबे की योगी सरकार (yogi government) ने 'एक जिला एक उत्पाद योजना' लांच की थी. बाराबंकी जिले के हथकरघा उत्पाद 'स्टोल यानी दुपट्टा' को ओडीओपी के तहत चयनित किया गया था. अब इस प्रोडक्ट को बदल कर हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद (Handloom & Textile Products Barabanki) कर दिया गया है.

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बाराबंकी में हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद
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Published : Sep 1, 2022, 5:09 PM IST

बाराबंकी: एक जिला एक उत्पाद यानी ओडीओपी (one district one product) के तहत चयनित बाराबंकी जिले के प्रोडक्ट को शासन ने बदल दिया है. यहां के स्टोल यानी दुपट्टा (stoll) को बदलकर 'हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद' (Handloom & Textile Products Barabanki) कर दिया गया है. इस नए प्रोडक्ट्स से न केवल जिले की आर्थिक स्थिति बढ़ेगी बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा.

दरअसल विभाग ने महसूस किया कि पिछले चार वर्षों में जिले के कुछ ही लोगों को सरकार की इस महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना का लाभ मिला जबकि, जिले में तमाम प्रकार के टेक्सटाइल का उत्पादन हो रहा है. शासन इस ओडीओपी योजना से जुड़े लोगों को मार्जिन मनी देता है. जिले के हथकरघा से बने स्टोल यानी दुपटटा को ओडीओपी में शामिल किया गया था. उद्योग विभाग ने हथकरघा से जुड़े लोगों को मार्जिन मनी देकर उद्योग को बढ़ाने में मदद की.

हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद के बारे में जानकारी देतीं उद्योग विभाग की उपायुक्त डॉ. शिवानी सिंह

बीते चार वर्षों में जिले के सभी हथकरघा से जुड़े लोगों को इस योजना से जोड़ दिया गया और करीब-करीब हैंडलूम सेक्टर के सभी लोगों को सैचुरेट कर दिया गया, जिससे मार्जिन मनी के लिए विभाग को लाभार्थी मिलने बंद हो गए. इसके अलावा जिले में महज कुछ इलाकों में ही हथकरघा( handloom) से काम हो रहा है बाकी तमाम जगहों पर पावरलूम (powerloom) से कपड़े तैयार किये जा रहे हैं. यहीं नहीं जिले में कई जगह टेक्सटाइल का काम हो रहा है. कहीं ड्रेस मेटेरियल बनते हैं तो कहीं परदों और कुशन का काम होता है, तो कहीं बेड शीट बनती हैं. ऐसे में उद्योग विभाग ने महसूस किया कि इनको भी ओडीओपी योजना में शामिल किया जाए और उन्हें मार्जिन मनी का लाभ देकर उत्पादन को बढ़ाया जाए.

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कपड़ा बनाता कारीगर

यह भी पढ़ें: बाराबंकी में पर्यावरण संरक्षण को लेकर छेड़ी मुहिम, लोगों को किया जा रहा जागरुक

टेक्सटाइल उत्पादन से जुड़े लोगों और बुनकरों ने भी मांग उठाई है कि योजना का लाभ हथकरघा उद्योग के साथ साथ पावरलूम को भी मिलना चाहिए. विभाग ने इस पर मंथन किया और हाईपावर कमेटी के सामने प्रोडक्ट बदलने का प्रस्ताव रखा गया जिसे मंजूर कर लिया गया.

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हथकरघा से बने कपड़ें

प्रोडक्ट बदल जाने के बाद ये होंगे लाभ

  • अभी तक केवल दुपट्टा या गमछे के ही उत्पादकों को लाभ मिल रहा था,अब इसमें तमाम नए लोग आगे आएंगे.
  • रोजगार की तलाश में होने वाला पलायन रुकेगा.
  • इससे नई इकाइयां स्थापित होंगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिलेगा.
  • पहले जहां सीमित टूल्स मिलते थे,वहीं अब जब वस्त्र उत्पाद का दायरा बढ़ गया है तो उन्नत किस्म के टूल्स मिलेंगे जिससे उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी.
  • पहले जहां लगने वाली प्रदर्शनियों और मेलों में बार-बार कुछ ही लोग जिले से केवल दुपट्टा या गमछा उत्पादक ही अपने उत्पाद ले जाते थे,वहीं अब जिले से तमाम वैरायटी के वस्त्रों का प्रदर्शन हो सकेगा, जिसके चलते बाहर से खरीददार बढ़ेंगे.

उद्योग विभाग की उपायुक्त डॉ. शिवानी सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि निश्चित ही प्रोडक्ट बदल जाने से जिले में नई इकाइयां स्थापित होंगी, जिससे रोजगार बढ़ेगा और रोजगार की तलाश में लोगों को पलायन नहीं करना होगा.

यह भी पढ़ें: अगर आप भी है कुपोषण के शिकार, तो खाएं ये चावल, मिलेगा फायदा

बाराबंकी: एक जिला एक उत्पाद यानी ओडीओपी (one district one product) के तहत चयनित बाराबंकी जिले के प्रोडक्ट को शासन ने बदल दिया है. यहां के स्टोल यानी दुपट्टा (stoll) को बदलकर 'हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद' (Handloom & Textile Products Barabanki) कर दिया गया है. इस नए प्रोडक्ट्स से न केवल जिले की आर्थिक स्थिति बढ़ेगी बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा.

दरअसल विभाग ने महसूस किया कि पिछले चार वर्षों में जिले के कुछ ही लोगों को सरकार की इस महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना का लाभ मिला जबकि, जिले में तमाम प्रकार के टेक्सटाइल का उत्पादन हो रहा है. शासन इस ओडीओपी योजना से जुड़े लोगों को मार्जिन मनी देता है. जिले के हथकरघा से बने स्टोल यानी दुपटटा को ओडीओपी में शामिल किया गया था. उद्योग विभाग ने हथकरघा से जुड़े लोगों को मार्जिन मनी देकर उद्योग को बढ़ाने में मदद की.

हथकरघा एवं वस्त्र उत्पाद के बारे में जानकारी देतीं उद्योग विभाग की उपायुक्त डॉ. शिवानी सिंह

बीते चार वर्षों में जिले के सभी हथकरघा से जुड़े लोगों को इस योजना से जोड़ दिया गया और करीब-करीब हैंडलूम सेक्टर के सभी लोगों को सैचुरेट कर दिया गया, जिससे मार्जिन मनी के लिए विभाग को लाभार्थी मिलने बंद हो गए. इसके अलावा जिले में महज कुछ इलाकों में ही हथकरघा( handloom) से काम हो रहा है बाकी तमाम जगहों पर पावरलूम (powerloom) से कपड़े तैयार किये जा रहे हैं. यहीं नहीं जिले में कई जगह टेक्सटाइल का काम हो रहा है. कहीं ड्रेस मेटेरियल बनते हैं तो कहीं परदों और कुशन का काम होता है, तो कहीं बेड शीट बनती हैं. ऐसे में उद्योग विभाग ने महसूस किया कि इनको भी ओडीओपी योजना में शामिल किया जाए और उन्हें मार्जिन मनी का लाभ देकर उत्पादन को बढ़ाया जाए.

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कपड़ा बनाता कारीगर

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टेक्सटाइल उत्पादन से जुड़े लोगों और बुनकरों ने भी मांग उठाई है कि योजना का लाभ हथकरघा उद्योग के साथ साथ पावरलूम को भी मिलना चाहिए. विभाग ने इस पर मंथन किया और हाईपावर कमेटी के सामने प्रोडक्ट बदलने का प्रस्ताव रखा गया जिसे मंजूर कर लिया गया.

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हथकरघा से बने कपड़ें

प्रोडक्ट बदल जाने के बाद ये होंगे लाभ

  • अभी तक केवल दुपट्टा या गमछे के ही उत्पादकों को लाभ मिल रहा था,अब इसमें तमाम नए लोग आगे आएंगे.
  • रोजगार की तलाश में होने वाला पलायन रुकेगा.
  • इससे नई इकाइयां स्थापित होंगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिलेगा.
  • पहले जहां सीमित टूल्स मिलते थे,वहीं अब जब वस्त्र उत्पाद का दायरा बढ़ गया है तो उन्नत किस्म के टूल्स मिलेंगे जिससे उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी.
  • पहले जहां लगने वाली प्रदर्शनियों और मेलों में बार-बार कुछ ही लोग जिले से केवल दुपट्टा या गमछा उत्पादक ही अपने उत्पाद ले जाते थे,वहीं अब जिले से तमाम वैरायटी के वस्त्रों का प्रदर्शन हो सकेगा, जिसके चलते बाहर से खरीददार बढ़ेंगे.

उद्योग विभाग की उपायुक्त डॉ. शिवानी सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि निश्चित ही प्रोडक्ट बदल जाने से जिले में नई इकाइयां स्थापित होंगी, जिससे रोजगार बढ़ेगा और रोजगार की तलाश में लोगों को पलायन नहीं करना होगा.

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