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किशोरी के अपहरण व हत्या के प्रयास के दोषी को सात साल की कैद

बाराबंकी में कोर्ट ने किशोरी के अपहरण व हत्या के प्रयास के दोषी को सात साल की कैद सजा सुनाई है.

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Published : May 12, 2023, 8:40 PM IST

बाराबंकी: 32 वर्ष पूर्व एक किशोरी का अपहरण कर उसे जान से मारने की कोशिश करने के एक मामले में यूपी के बाराबंकी की एक अदालत ने मामले के एक दोषी को 07 वर्ष के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. खास बात यह कि इस मामले में दो आरोपियों पर अदालत पहले ही फैसला सुना चुकी है जबकि यह आरोपी घटना के कुछ वर्ष बाद फरार हो गया था और 21 वर्ष बाद इसी वर्ष फरवरी में इसको गिरफ्तार किया गया था.यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) ने सुनाया.


एडीजीसी क्रिमिनल शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि मसौली थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले वादी कमलेश कुमार ने 10 दिसम्बर 1991 को मसौली थाने में तहरीर देकर बताया कि 27 नवम्बर 1991 को शाम 6 बजे उसकी 14 वर्षीय बहन गायब हो गई थी.

परिजनों ने खोजबीन शुरू की तो 09 दिसम्बर को पता चला कि शारदा नहर में डूबती हुई एक लड़की मिली है जो थाना बड़डूपुर के एक गांव में है. परिजन उस गांव पहुंचे और उन्हें लड़की मिली. लड़की ने बताया कि उसको रामसजीवन और अर्जुन शादी करने के लिए भगा लिए थे. आरोपी रामसजीवन ने पीड़िता से कहा था कि वह उससे शादी करेगा लेकिन बाद में रामसजीवन एक दूसरे व्यक्ति से शादी करने का दबाव डालने लगा.

पीड़िता ने जब मना किया तो आरोपी सजीवन ने पीड़िता को बड़डूपुर थाना अंतर्गत ग्राम बुढ़नपुर के करीब शारदा नहर के पुल पर उसका गला दबाकर जान से मारने की नीयत से उसे शारदा नहर में फेंक दिया था.पीड़िता के चिल्लाने पर गांव वालों ने उसे बचाया. मामले में मुकदमा दर्ज कर तत्कालीन विवेचक ने विवेचना कर तीन अभियुक्त रामसजीवन,अर्जुन और कमला देवी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 363,366,376,307 के तहत चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी.


ट्रायल के दौरान अभियुक्त रामसजीवन 08 मार्च 2002 को फरार हो गया.लिहाजा न्यायालय के आदेश पर रामसजीवन की पत्रावली 02 सितम्बर 2003 को अलग कर दी गई और बाकी के दो अभियुक्त अर्जुन और कमलादेवी का ट्रायल किया गया. इसमे 18 फरवरी 2005 को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 30 ने फैसला सुनाते हुए आरोपी कमला देवी को दोषमुक्त कर दिया था तथा आरोपी अर्जुन को दोषी करार देते हुए उसे 04 वर्ष के कठोर कारावास और 02 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी. इस मामले में पीड़िता की मौत हो चुकी है.


आखिरकार 21 साल बाद 20 फरवरी 2023 को अभियुक्त रामसजीवन गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायालय ने उसका ट्रायल शुरू किया.मामले में अभियोजन पक्ष पहले ही ठोस गवाह पेश कर चुका था. अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट नम्बर 36 राकेश ने आरोपी रामसजीवन को दोषसिद्ध करते हुए उसे 07 वर्ष के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए आदेश

बाराबंकी: 32 वर्ष पूर्व एक किशोरी का अपहरण कर उसे जान से मारने की कोशिश करने के एक मामले में यूपी के बाराबंकी की एक अदालत ने मामले के एक दोषी को 07 वर्ष के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. खास बात यह कि इस मामले में दो आरोपियों पर अदालत पहले ही फैसला सुना चुकी है जबकि यह आरोपी घटना के कुछ वर्ष बाद फरार हो गया था और 21 वर्ष बाद इसी वर्ष फरवरी में इसको गिरफ्तार किया गया था.यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) ने सुनाया.


एडीजीसी क्रिमिनल शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि मसौली थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले वादी कमलेश कुमार ने 10 दिसम्बर 1991 को मसौली थाने में तहरीर देकर बताया कि 27 नवम्बर 1991 को शाम 6 बजे उसकी 14 वर्षीय बहन गायब हो गई थी.

परिजनों ने खोजबीन शुरू की तो 09 दिसम्बर को पता चला कि शारदा नहर में डूबती हुई एक लड़की मिली है जो थाना बड़डूपुर के एक गांव में है. परिजन उस गांव पहुंचे और उन्हें लड़की मिली. लड़की ने बताया कि उसको रामसजीवन और अर्जुन शादी करने के लिए भगा लिए थे. आरोपी रामसजीवन ने पीड़िता से कहा था कि वह उससे शादी करेगा लेकिन बाद में रामसजीवन एक दूसरे व्यक्ति से शादी करने का दबाव डालने लगा.

पीड़िता ने जब मना किया तो आरोपी सजीवन ने पीड़िता को बड़डूपुर थाना अंतर्गत ग्राम बुढ़नपुर के करीब शारदा नहर के पुल पर उसका गला दबाकर जान से मारने की नीयत से उसे शारदा नहर में फेंक दिया था.पीड़िता के चिल्लाने पर गांव वालों ने उसे बचाया. मामले में मुकदमा दर्ज कर तत्कालीन विवेचक ने विवेचना कर तीन अभियुक्त रामसजीवन,अर्जुन और कमला देवी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 363,366,376,307 के तहत चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी.


ट्रायल के दौरान अभियुक्त रामसजीवन 08 मार्च 2002 को फरार हो गया.लिहाजा न्यायालय के आदेश पर रामसजीवन की पत्रावली 02 सितम्बर 2003 को अलग कर दी गई और बाकी के दो अभियुक्त अर्जुन और कमलादेवी का ट्रायल किया गया. इसमे 18 फरवरी 2005 को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 30 ने फैसला सुनाते हुए आरोपी कमला देवी को दोषमुक्त कर दिया था तथा आरोपी अर्जुन को दोषी करार देते हुए उसे 04 वर्ष के कठोर कारावास और 02 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी. इस मामले में पीड़िता की मौत हो चुकी है.


आखिरकार 21 साल बाद 20 फरवरी 2023 को अभियुक्त रामसजीवन गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायालय ने उसका ट्रायल शुरू किया.मामले में अभियोजन पक्ष पहले ही ठोस गवाह पेश कर चुका था. अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट नम्बर 36 राकेश ने आरोपी रामसजीवन को दोषसिद्ध करते हुए उसे 07 वर्ष के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई.

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