बाराबंकी: जिले में घाघरा नदी के तटीय इलाकों में बाढ़ का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. घाघरा के कटान की वजह से जिले के कई गांवों का अस्तित्व समाप्त हो गया है. जिले का टेपरा गांव भी उन्हीं गांवों में से है, जहां सबसे ज्यादा तबाही हुई है. लोगों के घर खेती और फसलें घाघरा नदी के प्रकोप की भेंट चढ़ गई हैं. वहीं प्रशासन द्वारा दी जाने वाली सहायता पर ग्रामीण निर्भर हैं. चारों तरफ पानी लग जाने के कारण बीमारियां भी फैल रही है. छोटे-छोटे बच्चे बाढ़ के खतरे से अनजान किनारों पर टहल रहे हैं.
बाराबंकी जिले का टेपरा गांव इस वक्त घाघरा की कटान से प्रभावित गांवों में से एक है. यहां पर लोगों के घर, मकान, खेत, खलिहान और फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. नदी का बहाव इतना तेज है कि कुछ भी अपने आगोश में लेने को आतुर है. डरे सहमे ग्रामीण बैठकर अपनी बर्बादी का मंजर देख रहे हैं. वहीं सरकारी दावे सिर्फ सरकारी ही साबित हो रहे हैं. ग्रामीणों को जिस लिहाज से सहायता मिलनी चाहिए उतनी सहायता पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रही है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश भी है.
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बाढ़ पीड़ित गीता देवी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिला उनका दो मकान बह चुका है. उनके दोनों बेटों के मकान बह जाने से रहने के लिए छत तक नहीं है. खिड़की और दरवाजा उन्होंने निकाल लिया है. जो मकान उनके पति ने अपनी मेहनत से बनाया था वह भी आधा बह चुका है. खाने को जो कुछ थोड़ा बहुत मिला है, वह भी नाकाफी है.
बाराबंकी: कई गांवों में बाढ़ का साया, जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त
वहीं अपर जिलाधिकारी संदीप गुप्ता का कहना है कि राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. उन्होंने कहा कि घाघरा खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन यह बात सच है कि जब घाघरा में पानी कम होता है, तो कटान तेज हो जाती है. पानी कम होने के बावजूद भी अभी भी 28 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, और पानी निकालने की कोई व्यवस्था नहीं है. बाढ़ से कटे हुए घरों को चिन्हित कर जिन परिवारों के खेत खलिहान और फसलें बर्बाद हुई हैं, उन्हें उस लिहाज से उचित मुआवजा दिए जाने की योजना है. निश्चित रूप से लोगों का नुकसान हुआ है और प्रशासन उनकी पूरी मदद कर रहा है और आगे भी करेगा.