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शादी का झांसा देकर किशोरी से दुष्कर्म, अदालत ने सुनाया 10 वर्ष का कठोर कारावास

बाराबंकी में किशोरी को झांसा देकर दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 14, 2023, 10:58 PM IST

बाराबंकी : किशोरी से दुष्कर्म के मामले में बाराबंकी की अदालत ने आरोपी को दोषसिद्ध करते हुए 10 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने सुनाया है.

विशेष लोक अभियोजक अजय सिंह सिसौदिया ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि मसौली थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी वादी ने 26 जनवरी 2018 को तहरीर दी. इसमें आरोप लगाया कि पास ही रहने वाले श्यामलाल ने अपने पुत्र मुकेश की शादी उसकी पुत्री से करने की बात कही. वादी ने पुत्री के नाबालिग होने की बात कहकर मना कर दिया. इसके बाद श्यामलाल, उसका बेटा मुकेश और पत्नी सावित्री उसके घर आने-जाने लगे. इन्होंने वादी की नाबालिग पुत्री को शादी का झांसा देकर अपने वश में कर लिया. इसी बहाने श्यामलाल के पुत्र मुकेश ने पुत्री के साथ कई बार दुष्कर्म किया. नाबालिग के गर्भवती होने पर इसका पता चला.

वादी ने जब इसकी शिकायत आरोपियों से की तो गालियां देते हुए धमकी दी कि मौका पाकर उसकी बेटी को जान से मार डालेंगे. वादी की तहरीर पर मसौली थाने में श्यामलाल,सावित्री और मुकेश के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया. तत्कालीन विवेचक द्वारा साक्ष्य संकलित कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई. मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्षों की ओर से पेश किए गए गवाहों को सुनने और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की गई बहस के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो ऐक्ट) अजय कुमार श्रीवास्तव ने मुकेश को बलात्कार का दोषी करार दिया और उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि श्यामलाल और सावित्री को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

बाराबंकी : किशोरी से दुष्कर्म के मामले में बाराबंकी की अदालत ने आरोपी को दोषसिद्ध करते हुए 10 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने सुनाया है.

विशेष लोक अभियोजक अजय सिंह सिसौदिया ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि मसौली थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी वादी ने 26 जनवरी 2018 को तहरीर दी. इसमें आरोप लगाया कि पास ही रहने वाले श्यामलाल ने अपने पुत्र मुकेश की शादी उसकी पुत्री से करने की बात कही. वादी ने पुत्री के नाबालिग होने की बात कहकर मना कर दिया. इसके बाद श्यामलाल, उसका बेटा मुकेश और पत्नी सावित्री उसके घर आने-जाने लगे. इन्होंने वादी की नाबालिग पुत्री को शादी का झांसा देकर अपने वश में कर लिया. इसी बहाने श्यामलाल के पुत्र मुकेश ने पुत्री के साथ कई बार दुष्कर्म किया. नाबालिग के गर्भवती होने पर इसका पता चला.

वादी ने जब इसकी शिकायत आरोपियों से की तो गालियां देते हुए धमकी दी कि मौका पाकर उसकी बेटी को जान से मार डालेंगे. वादी की तहरीर पर मसौली थाने में श्यामलाल,सावित्री और मुकेश के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया. तत्कालीन विवेचक द्वारा साक्ष्य संकलित कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई. मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्षों की ओर से पेश किए गए गवाहों को सुनने और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की गई बहस के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो ऐक्ट) अजय कुमार श्रीवास्तव ने मुकेश को बलात्कार का दोषी करार दिया और उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि श्यामलाल और सावित्री को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

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