बाराबंकीः जिले में स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर की काफी मान्यता है. सावन में भगवान महादेव की पूजा करने के लिए महीनों भर से यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है.
जानें क्या है लोधेश्वर महादेव मंदिर की मान्यता
सतयुग में भगवान वाराह ने महादेव के इस शिवलिंग स्वरूप की पूजा की थी. द्वापर में भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश ने भगवान शिव के इस लिंग स्वरूप की आराधना की थी.
लोधेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास-
कलयुग में खेती कर रहे लोधेराम अवस्थी से सिंचाई के दौरान फावड़ा चलाने से शिवलिंग पर प्रहार हुआ, जिससे रक्त की धार बहने लगी. लोगों ने सोचा की घाघरा के समीप होने के कारण कोई जलीय जीव है, लेकिन बाद में दूध की धार बहने लगी और लोधेराम अवस्थी को भगवान शिव ने दर्शन दिया. तभी से इस शिवलिंग को लोधेश्वर महादेव शिवलिंग के नाम से जाना जाता है.
लोधेश्वर महादेव मंदिर की खासियत-
शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. यहां पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए दूर-दूर से भक्तों का आगमन होता है. सावन के महीने और शिवरात्रि के पवित्र दिन में यहां पर भक्तों का हुजूम देखने को मिलता है.