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प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अब करेंगे गौ आश्रय की देखभाल

उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अब गौ आश्रय में गोवंश की देखभाल करेंगे. योजना को शुरूआती समय में चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जाएगा. बाद में इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. बाराबंकी जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया है.

डीआईजी कारागार बीपी त्रिपाठी ने किया चक गंजरिया फार्म हाउस का निरीक्षण किया.
डीआईजी कारागार बीपी त्रिपाठी ने किया चक गंजरिया फार्म हाउस का निरीक्षण किया.
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Published : Dec 1, 2020, 10:51 PM IST

बाराबंकी: अब प्रदेश की जेलों में बंद कैदी गौ आश्रय स्थलों में गोवंश की देखभाल करेंगे. शासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. सीएम योगी की इस महत्वकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जेल अधिकारियों ने कार्य योजना बनानी शुरू कर दी है. योजना को शुरूआती समय में चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है. इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. बाराबंकी जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है. वहीं उरई, फर्रुखाबाद की फतेहगढ़ जेल और लखीमपुर खीरी जेल को भी शामिल किया गया है.

प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अब करेंगे गौ आश्रय की देखभाल.


काम के बदले कैदियों को मिलेगा पैसा
सीएम योगी की इस महत्वाकांक्षी योजना से जहां एक ओर गोवंश को संरक्षण मिलेगा और उनकी समुचित देखभाल हो सकेगी. वहीं दूसरी ओर जेल में बंद कैदियों के मन, सोच और विचार में रचनात्मक विकास होगा. जेल से गौ आश्रय स्थलों पर जाकर काम करने के बदले कैदियों को पैसा भी मिलेगा. जिसका लाभ यह होगा कि जेल से रिहा होकर घर जाते समय कैदी स्वावलम्बी होंगे.

सुरक्षा के लिए खास रणनीति

कैदियों को रोजाना गौ आश्रय स्थलों तक ले जाने और वहां से वापस लाने के लिए जेल प्रशासन की ओर से सुरक्षा योजना बनाई गई है. काम के लिए खतरनाक और पेशेवर बंदियों को चयनित नहीं किया जाएगा. उन कैदियों को वरीयता दी जाएगी, जो गलती से गुनाह कर बैठे हैं और सजा काट रहे हैं.

यह होगी प्रक्रिया
जेल प्रशासन रोजाना चयनित कैदियों में से सीमित कैदियों को लेकर चिन्हित गौ आश्रय स्थल पर जेल की गाड़ी से ले जाएगी. दिन भर काम करने के बाद कैदियों को शाम को वापस जेल लाया जाएगा. इस दौरान कैदियों के खाने और नाश्ते का प्रबंध जेल प्रशासन की ओर से किया जाएगा. डीआईजी कारागार बीपी त्रिपाठी ने बाराबंकी पहुंचकर योजना के संबंध में अधिकारियों को बताते हुए निबलेट और चक गंजरिया फार्म हाउस का निरीक्षण किया.

बाराबंकी: अब प्रदेश की जेलों में बंद कैदी गौ आश्रय स्थलों में गोवंश की देखभाल करेंगे. शासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. सीएम योगी की इस महत्वकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जेल अधिकारियों ने कार्य योजना बनानी शुरू कर दी है. योजना को शुरूआती समय में चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है. इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. बाराबंकी जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है. वहीं उरई, फर्रुखाबाद की फतेहगढ़ जेल और लखीमपुर खीरी जेल को भी शामिल किया गया है.

प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अब करेंगे गौ आश्रय की देखभाल.


काम के बदले कैदियों को मिलेगा पैसा
सीएम योगी की इस महत्वाकांक्षी योजना से जहां एक ओर गोवंश को संरक्षण मिलेगा और उनकी समुचित देखभाल हो सकेगी. वहीं दूसरी ओर जेल में बंद कैदियों के मन, सोच और विचार में रचनात्मक विकास होगा. जेल से गौ आश्रय स्थलों पर जाकर काम करने के बदले कैदियों को पैसा भी मिलेगा. जिसका लाभ यह होगा कि जेल से रिहा होकर घर जाते समय कैदी स्वावलम्बी होंगे.

सुरक्षा के लिए खास रणनीति

कैदियों को रोजाना गौ आश्रय स्थलों तक ले जाने और वहां से वापस लाने के लिए जेल प्रशासन की ओर से सुरक्षा योजना बनाई गई है. काम के लिए खतरनाक और पेशेवर बंदियों को चयनित नहीं किया जाएगा. उन कैदियों को वरीयता दी जाएगी, जो गलती से गुनाह कर बैठे हैं और सजा काट रहे हैं.

यह होगी प्रक्रिया
जेल प्रशासन रोजाना चयनित कैदियों में से सीमित कैदियों को लेकर चिन्हित गौ आश्रय स्थल पर जेल की गाड़ी से ले जाएगी. दिन भर काम करने के बाद कैदियों को शाम को वापस जेल लाया जाएगा. इस दौरान कैदियों के खाने और नाश्ते का प्रबंध जेल प्रशासन की ओर से किया जाएगा. डीआईजी कारागार बीपी त्रिपाठी ने बाराबंकी पहुंचकर योजना के संबंध में अधिकारियों को बताते हुए निबलेट और चक गंजरिया फार्म हाउस का निरीक्षण किया.

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