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बाराबंकीः धूम्रपान पर अब नहीं खैर, पुलिस करेगी कोटपा से कार्रवाई - कोटपा

धूम्रपान से आये दिन हो रही मौतों से चिंतित स्वास्थ्य विभाग ने अभियान शुरू किया है. इसके दुष्प्रयोग को रोकने के लिए कोटपा कानून के अनुपालन के लिए स्वास्थ्य विभाग पुलिस कर्मियों को जागरूक कर रहा है. साथ ही इस कानून की बारीकियों से भी रूबरू करा रहा है.

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पुलिसकर्मियों को COTPA के अनुपालन के लिए किया जा रहा जागरूक.
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Published : Dec 22, 2019, 5:27 PM IST

बाराबंकी: जिले में तम्बाकू और उसके उत्पादों से होने वाले नुकसानों से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद इस पर लगाम नहीं लग पा रही है. वर्ष 2003 में इसके दुष्प्रयोग को रोकने के लिए कोटपा कानून (COTPA- सिगरेट एंड अदर टोबैंको प्रॉडक्ट्स एक्ट) बनाया गया था. लेकिन उसका सही ढंग से अनुपालन अब तक नहीं हो रहा है. इस एक्ट के तहत अब तक एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. लिहाजा इस कानून के अनुपालन के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग की पहल पर पुलिस करेगी कार्रवाई

18 से 25 वर्ष का युवा धड़ल्ले से कर रहे हैं तम्बाकू का इस्तेमाल

जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़ों के मुताबिक 35 लाख लोगों में 23 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो तम्बाकू या उसके उत्पादों का प्रयोग कर रहे हैं. चौकाने वाली बात यह है कि इनका इस्तेमाल 18 से 25 वर्ष का युवक धड़ल्ले से कर रहा है. तम्बाकू इस्तेमाल से 23 फीसदी लोगों बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. इनमें हर वर्ष 40 फीसदी लोग असमय काल के गाल में समा जा रहे हैं.

2003 में बनाया गया था कोटपा कानून
इन मौतों को देखते हुए वर्ष 2003 में कोटपा कानून बनाया गया था. इसके तहत किसी भी सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान को निषेध किया गया. इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को तम्बाकू उत्पाद बेचने से रोक लगाई गई. शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में कोई भी तम्बाकू उत्पाद बेचने पर मनाही है. इस कानून के तहत कारावास और दो सौ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. कानून बन गया लेकिन अनुपालन नहीं हो रहा है. आजतक इस एक्ट के तहत जिले में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. अब इसके भयंकर खतरे से बचने के लिए कानून के अनुपालन के लिए पुलिसकर्मियों को जागरूक किया जा रहा है.

क्या है कोटपा कानून

  • COTPA यानी सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स एक्ट
  • इस कानून को वर्ष 2003 में बनाया गया.
  • एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत सार्वजनिक स्थान जैसे अस्पताल, सभागृह, रेलवे स्टेशन, रेस्टोरेंट, शासकीय कार्यालयों, न्यायालय परिसर, शिक्षण संस्थानों और अन्य कार्य स्थलों में धूम्रपान करना अपराध है.
  • धारा 5 के अंतर्गत तंबाकू या तम्बाकू उत्पादकों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध है.
  • धारा 6 (a) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति द्वारा तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है.
  • धारा 6(b) के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है.
  • धारा 7 के अंतर्गत तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिए.
  • धारा 21 व 24 के अंतर्गत धारा 4 से 6 का उल्लंघन करने पर 200 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है .

बाराबंकी: जिले में तम्बाकू और उसके उत्पादों से होने वाले नुकसानों से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद इस पर लगाम नहीं लग पा रही है. वर्ष 2003 में इसके दुष्प्रयोग को रोकने के लिए कोटपा कानून (COTPA- सिगरेट एंड अदर टोबैंको प्रॉडक्ट्स एक्ट) बनाया गया था. लेकिन उसका सही ढंग से अनुपालन अब तक नहीं हो रहा है. इस एक्ट के तहत अब तक एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. लिहाजा इस कानून के अनुपालन के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग की पहल पर पुलिस करेगी कार्रवाई

18 से 25 वर्ष का युवा धड़ल्ले से कर रहे हैं तम्बाकू का इस्तेमाल

जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़ों के मुताबिक 35 लाख लोगों में 23 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो तम्बाकू या उसके उत्पादों का प्रयोग कर रहे हैं. चौकाने वाली बात यह है कि इनका इस्तेमाल 18 से 25 वर्ष का युवक धड़ल्ले से कर रहा है. तम्बाकू इस्तेमाल से 23 फीसदी लोगों बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. इनमें हर वर्ष 40 फीसदी लोग असमय काल के गाल में समा जा रहे हैं.

2003 में बनाया गया था कोटपा कानून
इन मौतों को देखते हुए वर्ष 2003 में कोटपा कानून बनाया गया था. इसके तहत किसी भी सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान को निषेध किया गया. इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को तम्बाकू उत्पाद बेचने से रोक लगाई गई. शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में कोई भी तम्बाकू उत्पाद बेचने पर मनाही है. इस कानून के तहत कारावास और दो सौ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. कानून बन गया लेकिन अनुपालन नहीं हो रहा है. आजतक इस एक्ट के तहत जिले में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. अब इसके भयंकर खतरे से बचने के लिए कानून के अनुपालन के लिए पुलिसकर्मियों को जागरूक किया जा रहा है.

क्या है कोटपा कानून

  • COTPA यानी सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स एक्ट
  • इस कानून को वर्ष 2003 में बनाया गया.
  • एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत सार्वजनिक स्थान जैसे अस्पताल, सभागृह, रेलवे स्टेशन, रेस्टोरेंट, शासकीय कार्यालयों, न्यायालय परिसर, शिक्षण संस्थानों और अन्य कार्य स्थलों में धूम्रपान करना अपराध है.
  • धारा 5 के अंतर्गत तंबाकू या तम्बाकू उत्पादकों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध है.
  • धारा 6 (a) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति द्वारा तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है.
  • धारा 6(b) के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है.
  • धारा 7 के अंतर्गत तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिए.
  • धारा 21 व 24 के अंतर्गत धारा 4 से 6 का उल्लंघन करने पर 200 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है .
Intro:बाराबंकी ,19 दिसम्बर । धूम्रपान से आये दिन हो रही मौतों से चिंतित स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा अभियान शुरू किया है । इसके दुष्प्रयोग को रोकने के लिए वर्ष 2003 में बने कोटपा कानून के अनुपालन के लिए स्वास्थ्य विभाग पुलिस कर्मियों को न केवल जागरूक कर रहा है बल्कि इस कानून की बारीकियों से भी रूबरू करा रहा है ।


Body:वीओ - तम्बाकू और उसके उत्पादों से होने वाले नुकसानों से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है बावजूद इस पर लगाम नही लग पा रही । वर्ष 2003 में इसके दुष्प्रयोग को रोकने के लिए कोटपा कानून (COTPA- सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स ऐक्ट) बनाया गया था लेकिन उसका सही ढंग से अनुपालन न होने से आज तक एक भी मुकदमा दर्ज नही हो सका ।लिहाजा इस कानून के अनुपालन के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किय्या जा रहा है ।
बाईट - डॉ महेंद्र सिंह , एडिशनल सीएमओ बाराबंकी

वीओ - जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़ों के मुताबिक 35 लाख वाले बाराबंकी जिले में 23 फीसदी लोग ऐसे हैं जो तम्बाकू या उससे बने उत्पादों का प्रयोग कर रहे हैं । दुखद ये कि 18 से 25 वर्ष का युवा इनका इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहा है । तम्बाकू इस्तेमाल करने वाले 23 फीसदी लोगों में हर वर्ष 40 फीसदी लोग असमय काल के गाल में समा जा रहे हैं । स्वास्थ्य विभाग समेत तमाम स्वयं सेवी संस्थाएं इसको लेकर खासी चिंतित हैं । सरकारें भी काफी गम्भीर हैं । इन मौतों को देखते हुए वर्ष 2003 में कोटपा कानून (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स ऐक्ट ) बनाया गया था । जिसके तहत किसी भी सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान को निषेध किया गया था । इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को तम्बाकू उत्पाद बेचने से रोक लगाई गई थी । शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में कोई भी तम्बाकू उत्पाद बेचने पर मनाही है । इस कानून के तहत कारावास और दो सौ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है । कानून तो बना लेकिन अनुपालन नही हो रहा । इस एक्ट के तहत जिले में कोई भी मुकदमा नही दर्ज हो सका । अब इसके भयंकर खतरे को भांप कानून के अनुपालन के लिए पुलिसकर्मियों को जागरूक किया जा रहा है ।
बाईट - सतीश त्रिपाठी , राज्य सलाहकार, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण प्रोग्राम

वीओ - स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू की गई इस पहल और लखनऊ से आई विशेष टीम द्वारा जागरूक किये जाने से पुलिस विभाग सतर्क हो गया है और अब इसके अनुपालन की बात कह रहा है ।
बाईट - आरएस गौतम , एडिशनल एसपी बाराबंकी

क्या है कोटपा कानून
-COTPA यानी सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स ऐक्ट
- वर्ष 2003 में बना था ये कानून
- ऐक्ट की धारा 4 के अंतर्गत सार्वजनिक स्थान जैसे अस्पताल,सभागृह,रेलवे स्टेशन,रेस्टोरेंट,शासकीय कार्यालयों,न्यायालय परिसर,शिक्षण संस्थानों और अन्य कार्य स्थलों में धूम्रपान करना अपराध है ।

-धारा 5 के अंतर्गत तंबाकू या तम्बाकू उत्पादकों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध है ।
धारा 6 (a) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति द्वारा तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है ।

धारा 6(b) के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है ।

धारा 7 के अंतर्गत तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय सवास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित होनी चाहिए ।

धारा 21 व 24 के अंतर्गत धारा 4 से 6 का उल्लंघन करने पर 200 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है ।


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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