बाराबंकी: पीएम मोदी रविवार को जिले के दो घरौनी धारकों से बात करेंगे. इस दौरान 22 मालिकों को घरौनी सौंपी जाएगी. इसके लिए जिला प्रशासन ने पूरी तैयारियां कर ली है. पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना के तहत बाराबंकी के 11 गांवों को भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है. पिछले जून माह राजस्व विभाग और पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने चयनित गांवों में चरणबद्ध तरीके से जाकर घरौनी तैयार की है.
बंकी ब्लॉक के मोहम्मदपुर निवासी रामरती और इसी ब्लॉक के नरगिसमऊ के रहने वाले राम मिलन को रविवार को पीएम मोदी से बात करने का मौका मिलेगा. जिला प्रशासन ने इनका रिहर्सल कराकर तैयारी पूरी कर ली है. इन दोनों को पीएम मोदी ऑनलाइन घरौनी प्रदान करेंगे.
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बाराबंकी का हुआ था चयन
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना की रविवार को शुरुआत हो रही है. उत्तर प्रदेश के 37 जिले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित हुए थे. बाराबंकी भी इस योजना में शामिल है यहां के 11 गांवों को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित किया गया है. इसमें बंकी ब्लॉक के 5 गांव मोहम्मदपुर चौकी, छतेना गढ़ी, नरगिसमऊ, मुजफ्फरमऊ, मुरादाबाद और हरख ब्लॉक के 6 गांव मोहम्मदाबाद, कमरांवा, पारादीपू, रसूलपुर, तमरसेपुर और ताहीपुर शामिल हैं. इन 11 गांवों में 3,520 घर हैं. इनमें 3,267 घरों की घरौनी बनकर तैयार है. वहीं रविवार को 24 लोगों को घरौनी दी जाएगी.
क्या है घरौनी ?
घरौनी यानी प्रॉपर्टी कार्ड एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमे मालिक के घर का विवरण और स्वामित्व दर्ज होगा. जिस प्रकार खेत का विवरण "खतौनी" में दर्ज होता है उसी तरह घर का विवरण 'घरौनी' में दर्ज होगा.
कैसे तैयार हुई घरौनी
जिले के 11 गांवों की घरौनी चरणबद्ध तरीके से तैयार की गई है. पहले चरण में बैठक, दूसरे चरण में हर घर के चारों तरफ चूना डालकर उसका सीमांकन कराया गया. अगले चरण में ड्रोन कैमरे से लोकेशन रिकार्ड की गई फिर आपत्तियां ली गई. केंद्र सरकार के पंचायतीराज सचिव ने मुरादाबाद ग्राम पंचायत से ड्रोन से मैपिंग कर 25 जून को इसकी शुरुआत की. गांव में घरों के चिन्हीकरण के साथ ही घूर-गड्ढा, खलिहान, तालाब, कुएं सब की मार्किंग की गई. इस तरह 3,520 घरों की मार्किंग कर वहां चल रहे विवादों को सुना गया. इनमें 225 घरों के मामले सिविल कोर्ट में चल रहे हैं साथ ही 28 घरों के मामले नहीं सुलझ सके लिहाजा 3,267 घरों की घरौनी तैयार हो सकी.
400 साल बाद तैयार हुए गांवों के नक्शे
दरअसल, केंद्र सरकार खेती योग्य जमीनों की तरह आबादी की जमीनों का डेटाबेस तैयार करने की मंशा है. राजस्व विभाग के पास आबादी की जमीनों का कोई सही नक्शा नहीं है. टोडरमल की ओर से 1600 ईसवी में तैयार नक्शा और स्वामित्व का रिकार्ड ही मौजूद है, लेकिन तब से अब तक आबादी में तमाम बदलाव हो चुके हैं. बीते 400 सालों के दौरान जमीनों के मालिकाना हक के बदलाव का कोई रिकार्ड नहीं है. गांवों में विवाद हो जाने पर राजस्व विभाग में कोई रिकार्ड न होने से विवाद सुलझ नहीं पाते.
स्वामित्व योजना से लाभ
इस योजना से ग्राम समाज के काम ऑनलाइन हो जाएंगे. ऑनलाइन होने की वजह से भू-माफिया फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेंगे. गांवों में घूर-गड्ढा और नाली-खड़ंजा, घर के सामने की जगह को लेकर झगड़े नहीं होंगे. यही नहीं घरौनी के इस कार्ड से मालिक बैंक से लोन ले सकेगा.