बाराबंकी: अफीम की खेती कई दशकों से की जा रही है, लेकिन किसानों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं. किसान अपनी अफीम लेकर काफी दूर से आते हैं और बीच में उनके लिए कोई सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्हें एक सम्मन दे दिया जाता है, एक तारीख बता दी जाती है, लेकिन सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया जाता है. रास्ते में उनके साथ किसी भी प्रकार की लूट या दुर्घटना हो सकती है. लेकिन किसानों की सुरक्षा को लेकर कानून व्यवस्था मौन है.
किसानों की ये हैं समस्या
- अफीम की कालाबाजारी होने के डर से काश्तकारों के लिए रास्ते में सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम होने चाहिए
- अफीम करने वाले किसानों को सताता है लूट का डर
- जान जोखिम में डालकर करते हैं अफीम की खेती
- पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण इसकी बड़ी संख्या में तस्करी की जाती है
किस काम आती है अफीम
- इसे तमाम दर्द की दवाई और मेडिकल यूज के लिए उपयोग में लाया जाता है.
- ऐसे में इसे स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर पैदा करना अत्यंत आवश्यक है.
- पोस्ता दाना जो मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है उसके लिए भी यह जरूरी है
किसानों का क्या कहना है
- किसान मोहम्मद अलीम का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण उन्हें कोई नुकसान पहुंचा सकता है, या फिर उनके पास मौजूद अफीम को छीन भी सकता है.
- वहीं किसान अंगनलाल का कहना है कि हम अपनी खुशियों को दांव पर लगाकर अफीम की खेती की सुरक्षा करते हैं, फिर भी खतरा बना रहता है. इस बार बरेली में ओला पड़ने के कारण फसल भी खराब हो गई. इनका मानना है कि रास्ते में आते जाते वक्त कोई भी बदमाश इनकी अफीम छीन भी सकता है.
सेंटर पर लाने के बाद सुरक्षा की जिम्मेदारी विभाग की होती है. रास्ते में या फिर घर पर उनकी कोई जिम्मेदारी विभाग की नहीं है. सेंटर पर किसानों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है.
राजेंद्र प्रसाद, जिला अफीम अधिकारी, बाराबंकी