बाराबंकीः वैज्ञानिक साक्ष्य के अभाव के चलते तमाम अपराधियों को सजा नहीं मिल पा रही है. वहीं कनविक्शन रेट कम होने की समस्या को शासन ने गम्भीरता से लिया है. जिसके तहत किसी भी आपराधिक घटना में ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए विवेचकों को प्रेरित किया जा रहा है.
चारदिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन
- लखनऊ में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अधिकारी जोनल स्तर पर पुलिसकर्मियों की प्रतियोगिता करा रहे हैं.
- अधिकारी ये जानना चाहते हैं कि पुलिस वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करने में कितनी पारंगत है.
- चार दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में लखनऊ जोन के दस जिलों को शामिल किया गया हैं.
- जिनमें बाराबंकी, हरदोई, लखीमपुर, सीतापुर, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, अम्बेडकर नगर और फैजाबाद शामिल हैं.
- प्रतियोगिता में हर जिले से 1 इंस्पेक्टर, 2 सब इंस्पेक्टर, 1 हेड कांस्टेबल समेत 1 कांस्टेबल को शामिल किया गया है.
- पुलिसकर्मियों की फिंगर प्रिंट, हुलिया बयान, घटनास्थल निरीक्षण, विधि विज्ञान, क्राइम सीन, मेडिकोलीगल जैसी विधाओं की परीक्षा ली जाएगी.
आपराधिक घटनाओं के अनावरण में वैज्ञानिक साक्ष्य महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. जरा सी चूक से अपराधी छूट जाते हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अधिकारी पुलिसकर्मियों की प्रतियोगिता के जरिए उन्हें इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं.
-डॉ. अजय कुमार श्रीवास्तव, बैलेस्टिक इंचार्ज, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ
वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रतियोगिता हो रही है, जिससे यह पता किया जा सकेगा कि पुलिसकर्मी इस विधा में कितने पारंगत हैं.
- डॉ. अनिल कुमार यादव, डिप्टी डायरेक्टर, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ
प्रतियोगिता में हर जिले से 1 इंस्पेक्टर, 2 सब इंस्पेक्टर, 1 हेड कांस्टेबल, 1 कांस्टेबल समेत कुल पांच पुलिसकर्मी शामिल होंगे. जहां पर इसकी जरूरत होगी, इस प्रणाली को इस्तेमाल में लाएंगे.
- आरएस गौतम, एडिशनल एसपी, बाराबंकी