मुजफ्फरनगर: नगर पालिका चेयरपर्सन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पालिका चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल के संबंध में 10 अक्टूबर को दिए गए बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट के ताजा आदेश पर चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल ने कहा कि न्याय की जीत हुई, लेकिन विरोधियों ने चार माह तक उन्हें पालिका से दूर रख शहर की जनता का काफी का नुकसान करा दिया है. जिसका उन्हें अफसोस रहेगा.
चार बिन्दुओं पर चल रही जांच में शासन से दोषी ठहराए जाने के बाद बर्खास्त की गई. चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल (Muzaffarnagar Municipality chairperson) को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अंजु अग्रवाल की बर्खास्तगी का आदेश खारिज कर दिया. इससे अब उनका पूरे अधिकार के साथ वापस आने का रास्ता साफ हो गया. विरोधियों का दावा है कि हाईकोर्ट ने शासन को नया निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र किया है. जल्द ही अंजू अग्रवाल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कराते हुए दूसरा आदेश जारी कराया जाएगा.
बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ चेयरपर्सन (Muzaffarnagar Municipality chairperson gets relief) एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंची और उनकी याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट नंबर 21 में विद्वान न्यायाधीश मनोज गुप्ता और न्यायाधीश श्री बनर्जी के समक्ष सुनवाई के लिए स्वीकृत की गई. इस मामले में हाईकोर्ट में 4 नवंबर, 9 नवंबर, 11 नवंबर, 21 नवंबर और 22 नवंबर को सुनवाई हुई. 24 नवंबर को भी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट खण्डपीठ ने अपना निर्णय सुनाया है.
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खण्डपीठ में सुनवाई के दौरान चेयरपर्सन की ओर से उनके अधिवक्ता सीके पारिख, विवेक मिश्रा और शशि नन्दन ने पक्ष रखा, जबकि शासन की ओर से एडवोकेट जनरल उपस्थित रहे. 21 नवंबर को भी शासन की ओर से एक दिन का समय मांगा गया था, इसलिए ही 22 नवंबर को सुनवाई तय की गई थी. आज भी शासन की ओर से एडवोकेट जनरल ने अदालत से एक दिन का समय मांगा, तो कोर्ट ने नारजागी जाहिर करते हुए फैसला सुनाकर याचिका निस्तारित कर दी है. कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2022 को शासन के द्वारा जारी बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया है. इससे अंजू अग्रवाल के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बहाल हो गए हैं. जल्द ही पालिका में नया सत्ता हस्तांतरण देखा जा सकता है. सुनवाई के दौरान अंजू अग्रवाल, उनके पुत्र अभिषेक अग्रवाल भी मौजूद रहे. वहीं, उनके विरोधियों का दावा है कि कोर्ट ने शासन को सुनवाई के बाद नया निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी है. इसमें अधिकार बहाल नहीं किए गए हैं. वह जल्द ही इसमें शासन स्तर से बड़ी गंभीर कार्रवाई कराने का प्रयास करेंगे.
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