बाराबंकी : छह साल पहले दहेज में कार न मिलने पर शादी के छह महीने बाद ही विवाहिता की हत्या कर दी गई थी. मामले में बाराबंकी की एक अदालत ने पति, सास और ससुर को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने प्रत्येक दोषी को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और 15-15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट संख्या 36 राकेश ने सुनाया.
2017 में हुई थी घटना : अभियोजन अधिकारी शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने लखनऊ जिले के बंथरा थाने के नीवा बरौली निवासी वादी कुंवर बहादुर सिंह ने 14 सितंबर 2017 को नगर कोतवाली में तहरीर देकर बताया कि उसने अपनी पुत्री का विवाह 05 फरवरी 2017 को बाराबंकी नगर कोतवाली के दारापुर के रहने वाले अनुराग सिंह पुत्र दान बहादुर सिंह के साथ की थी. उसने अपनी हैसियत के अनुसार दान दहेज दिया था लेकिन अनुराग और उसके घर वाले इससे संतुष्ट नही थे. वे स्विफ्ट डिजायर कार की मांग करते थे. इसी को लेकर अनुराग सिंह, उसके पिता दान बहादुर सिंह, अनुराग की माता सुमन सिंह और अनुराग की बहन, बेटी को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ना देते थे और मारते पीटते थे.
शरीर पर मिले थे चोट के निशान : पुत्री ने कई बार मायके वालों को इसकी जानकारी दी. 14 सितंबर 2017 को डेढ़ बजे दिन में वादी को फोन द्वारा सूचना मिली कि उसकी पुत्री को ससुराल वालों ने मार डाला. इस सूचना पर वादी और उसके परिवार वाले जब अपनी बेटी की ससुराल दारापुर पहुंचे तो ससुराल वाले घर पर नही थे. बेटी की लाश आंगन में पड़ी थी, गर्दन और पूरे शरीर पर चोटों के निशान थे. वादी की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने अनुराग, दान बहादुर, सुमन और शालू के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए विवेचना कर अनुराग, दान बहादुर और सुमन के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय पर दाखिल की गई जबकि घटना में शालू की संलिप्तता नहीं पाए जाने पर उसका नाम निकाल दिया गया. मामले में विचरण के दौरान अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्षों द्वारा प्रस्तुत किये गए गवाहों और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की जिरह सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर- 36 राकेश ने आरोपियों अनुराग ,दान बहादुर और सुमन को दोषी करार देते हुए उन्हें 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और 15-15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
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