बाराबंकीः तीस वर्ष पहले जमीनी रंजिश में पट्टीदार की निर्मम हत्या व पुत्र को पीटने के मामले में बाराबंकी की एक अदालत ने दोषी पति और पत्नी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने 16-16 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-1 आनंद कुमार प्रथम ने सुनाया है.
एडीजीसी क्रिमिनल अमित अवस्थी ने बताया कि रामसनेही घाट थाना क्षेत्र के खेवराजपुर निवासी वादी रामकैलाश पुत्र रामनरायन पासी ने रामसनेहीघाट थाने पर तहरीर देकर बताया कि 21 सितम्बर 1992 को उनका भाई अमर सिंह और पिता रामनरायन घर के बाहर बंगले में एक ही चारपाई पर सो रहे थे. रात करीब 2 बजे मेरे गांव के ही पट्टीदार बाबूलाल पुत्र रामनाथ,मुन्नालाल पुत्र रामनाथ, माधुरी देवी पत्नी मुन्नालाल और मुन्नालाल का साढ़ू मस्तराम निवासी जेठवनी आए. बाबूलाल के परिवार से पिता की जमीनी रंजिश थी. इसके चलते बंगले में आते ही मुन्नालाल और माधुरी ने भाई अमरसिंह को पकड़कर उसका मुंह दबा दिया तथा बाबूलाल और मस्तराम ने पिता रामनरायन को पकड़कर चारपाई से नीचे गिरा दिया.
मस्तराम ने करौली से पिता के गले पर और बाबूलाल ने चाकू से दाहिने बांह पर मारा. भाई रोता छटपटाता रहा.भाई के रोने की आवाज पर घर की औरतें और दूसरे लोग आ गए तब ये चारों आरोपी पिता की हत्या करने के बाद भागने लगे. भागते समय टार्च की रोशनी में घर के दूसरे लोगों ने भी इन्हें देखा.
भाई ने दौड़कर जब माधुरी को पकड़ना चाहा तब मुन्नालाल ने डंडे से हमला कर दिया.भागते समय इन चारों ने धमकी दी कि यदि किसी ने कोई गवाही दी तो उसे भी जान से मार देंगे. वादी रामकैलाश की इस तहरीर पर रामसनेही घाट थाने में 21 सितम्बर 1992 को बाबूलाल, मुन्नालाल, माधुरी और मस्तराम के विरुद्ध धारा 302 व 506 आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत विवेचना शुरू की गई.
विवेचना के बाद चारों आरोपियों के विरुद्ध 302,323 व 506 आईपीसी के तहत कोर्ट में चार्जशीट फाइल की गई. ट्रायल के दौरान 302/34 ,323/34 और 506 आईपीसी के तहत कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किए. ट्रायल के दौरान आरोपी बाबूलाल और मस्तराम की मौत हो गई.
इस मामले में अभियोजन ने आठ गवाह पेश किए. बचाव और अभियोजन पक्षों द्वारा पेश किए गए गवाहों और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-1 आनंद कुमार प्रथम ने आरोपी मुन्नालाल और उसकी पत्नी माधुरी देवी को दोषी करार देते हुए दोनों को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 16-16 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
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