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बाराबंकी: मनरेगा में शुरू हुआ काम, मजदूरों को मिला रोजगार

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में लॉकडाउन के दौरान मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है. ये वही मजदूर हैं, जो लॉकडाउन के बाद अन्य राज्यों से अपने जिले में आए हैं.

laborers got employment under mnrega in lockdown in barabanki
मनरेगा में काम करते मजदूर.
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Published : May 13, 2020, 6:27 PM IST

बाराबंकी: कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन में ज्यादातर कामकाज ठप हैं. ऐसे में मजदूरों की रोजी-रोटी और परिवार का भरण पोषण करने के लिए मनरेगा किसी संजीवनी से कम नहीं है. जिले में ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना से काम शुरू हो गए हैं, जिससे मजदूरों को रोजगार मिल रहा है.

मनरेगा में काम करते मजदूर.

मनरेगा में शुरू हुआ काम
लॉकडाउन के चलते सब कुछ ठप हो गया है. लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं. सारे कामकाज बंद हो जाने से मजदूरों की दिहाड़ी बंद हो गई. जब जमा पूंजी खत्म हो गई तो मजदूरों के सामने परिवार को पालने का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में मनरेगा योजना इन मजदूरों के लिए संजीवनी बन कर आई. जिले में 80 फीसदी से ज्यादा ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना से काम शुरू हो गए हैं.

बता दें कि अन्य राज्यों में रहकर मजदूरी कर रहे लोग वापस गांव आ गए हैं. इन मजदूरों में से जो मनरेगा में काम करने के इच्छुक हैं उनके जॉब कार्ड भी बनाए जा रहे हैं. यही नहीं तमाम ऐसे भी लोग हैं, जिनके जॉब कार्ड तो बने थे, लेकिन वह बाहर काम कर रहे थे. ऐसे भी मजदूरों के कार्डों का नवीनीकरण किया जा रहा है ताकि इनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके.

बाराबंकी: कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन में ज्यादातर कामकाज ठप हैं. ऐसे में मजदूरों की रोजी-रोटी और परिवार का भरण पोषण करने के लिए मनरेगा किसी संजीवनी से कम नहीं है. जिले में ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना से काम शुरू हो गए हैं, जिससे मजदूरों को रोजगार मिल रहा है.

मनरेगा में काम करते मजदूर.

मनरेगा में शुरू हुआ काम
लॉकडाउन के चलते सब कुछ ठप हो गया है. लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं. सारे कामकाज बंद हो जाने से मजदूरों की दिहाड़ी बंद हो गई. जब जमा पूंजी खत्म हो गई तो मजदूरों के सामने परिवार को पालने का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में मनरेगा योजना इन मजदूरों के लिए संजीवनी बन कर आई. जिले में 80 फीसदी से ज्यादा ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना से काम शुरू हो गए हैं.

बता दें कि अन्य राज्यों में रहकर मजदूरी कर रहे लोग वापस गांव आ गए हैं. इन मजदूरों में से जो मनरेगा में काम करने के इच्छुक हैं उनके जॉब कार्ड भी बनाए जा रहे हैं. यही नहीं तमाम ऐसे भी लोग हैं, जिनके जॉब कार्ड तो बने थे, लेकिन वह बाहर काम कर रहे थे. ऐसे भी मजदूरों के कार्डों का नवीनीकरण किया जा रहा है ताकि इनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके.

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