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बाराबंकी: CAA से जुड़ी गलतफहमियों को अब दूर करेगा सूचना विभाग - सूचना विभाग ने संभाली कमान

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रति लोगों में फैली गलत फहमियों को दूर करने के लिए जिले के सूचना विभाग ने कमान संभाल ली है. सूचना निदेशालय के निर्देश पर जिले के सूचना विभाग ने लोगों को घर-घर जागरूक करने की ठानी है. इसके लिए विभाग ने 20 हजार पर्चे छपवाएं हैं. उर्दू और हिंदी में छपे इन पर्चों में CAA से जुड़े 7 बिंदु लिखे गए हैं.

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CAA की जानकारी देने के लिए छपवाएं 20 हजार पर्चे.
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Published : Dec 29, 2019, 12:41 AM IST

बाराबंकी: नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर आम जनमानस में फैली गलत फहमी को दूर करना प्रशासन के लिए खासी चुनौती है. जिला प्रशासन CAA के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा है. वहीं सूचना और जन सम्पर्क विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए अनोखा तरीका निकाली है. जिले का सूचना विभाग हिंदी और उर्दू भाषाओं में पम्पलेट अखबारों के जरिये घर-घर भेज रहा है.

CAA की जानकारी देने के लिए छपवाएं गए 20 हजार पर्चे.

नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रति लोगों में फैली गलत फहमियों को दूर करने के लिए अब जिले के सूचना विभाग ने कमान संभाल ली है. विभाग पर्चों को विभिन्न अखबारों में रखकर घर-घर पहुंचा रहा है. इसके अलावा सभी थानों, अल्पसंख्यक विभाग और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में पर्चे भेजे गए हैं. यहां आने वाले लोगों को ये पर्चे बांटे जा रहे हैं. यही नहीं विभाग में कार्यरत कलाकार और एलईडी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी ये पर्चे दिए गए, जिनका अब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें-बाराबंकीः स्वच्छता अभियान को झटका, आधे-अधूरे शौचालय हैं रोड़ा

क्या छपा है पर्चे में

  • यह कानून सिर्फ नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने का अधिकार इस कानून में नहीं है.
  • भारत के अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों का CAA से कोई अहित नहीं है.
  • CAA से देश के नागरिकों की नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
  • यह कानून किसी भी भारतीय हिंदू ,मुसलमान, आदि को प्रभावित नहीं करेग.
  • इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
  • इन देशों से जो उत्पीड़ित लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए उन्हे नागरिता दी जाएगी.
  • अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था.
  • यह कानून केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न का सामना किया और उनके पास भारत आने के अलावा और कोई जगह नहीं है.

बाराबंकी: नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर आम जनमानस में फैली गलत फहमी को दूर करना प्रशासन के लिए खासी चुनौती है. जिला प्रशासन CAA के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा है. वहीं सूचना और जन सम्पर्क विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए अनोखा तरीका निकाली है. जिले का सूचना विभाग हिंदी और उर्दू भाषाओं में पम्पलेट अखबारों के जरिये घर-घर भेज रहा है.

CAA की जानकारी देने के लिए छपवाएं गए 20 हजार पर्चे.

नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रति लोगों में फैली गलत फहमियों को दूर करने के लिए अब जिले के सूचना विभाग ने कमान संभाल ली है. विभाग पर्चों को विभिन्न अखबारों में रखकर घर-घर पहुंचा रहा है. इसके अलावा सभी थानों, अल्पसंख्यक विभाग और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में पर्चे भेजे गए हैं. यहां आने वाले लोगों को ये पर्चे बांटे जा रहे हैं. यही नहीं विभाग में कार्यरत कलाकार और एलईडी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी ये पर्चे दिए गए, जिनका अब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें-बाराबंकीः स्वच्छता अभियान को झटका, आधे-अधूरे शौचालय हैं रोड़ा

क्या छपा है पर्चे में

  • यह कानून सिर्फ नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने का अधिकार इस कानून में नहीं है.
  • भारत के अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों का CAA से कोई अहित नहीं है.
  • CAA से देश के नागरिकों की नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
  • यह कानून किसी भी भारतीय हिंदू ,मुसलमान, आदि को प्रभावित नहीं करेग.
  • इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
  • इन देशों से जो उत्पीड़ित लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए उन्हे नागरिता दी जाएगी.
  • अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था.
  • यह कानून केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न का सामना किया और उनके पास भारत आने के अलावा और कोई जगह नहीं है.
Intro:बाराबंकी ,29 दिसम्बर । नागरिक संशोधन अधिनियम को लेकर आमजनमानस में फैली गलत फहमी को दूर करना प्रशासन के लिए खासी चुनौती है । जिलाप्रशासन CAA के प्रति लोगो को जागरूक कर रहा है । वहीं सूचना और जनसम्पर्क विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए अनोखा तरीका निकाला है ।जिले का सूचना विभाग हिंदी और उर्दू भाषाओं में पम्फ्लेट्स छपवाकर अखबारों के जरिये घर-घर भेज रहा है । यही नही विभाग ने ये पम्फ्लेट्स सभी थानों, अल्पसंख्यक विभाग और शिक्षा विभाग को भी भेजे हैं । विभाग के अधीन जागरूकता कार्यक्रम पेश करने वाले कलाकारों और एलईडी वैन के कर्मचारियों को भी ये पर्चे दिए गए हैं जो जिले के विभिन्न हिस्सों में जाकर लोगों को वितरित कर रहे हैं ।


Body:वीओ - नागरिक संशोधन अधिनियम के प्रति लोगों में फैली गलत फ़हमियों को दूर करने के लिए अब जिले के सूचना विभाग ने कमान संभाल ली है । सूचना निदेशालय के निर्देश पर जिले के सूचना विभाग ने लोगों को घर घर जागरूक करने की ठानी है । इसके लिए विभाग ने 20 हजार पर्चे छपवाएं हैं । उर्दू और हिंदी में छपे इन पर्चों में CAA सम्बन्धी 7 बिंदु लिखे गए हैं । विभाग इन पर्चों को विभिन्न अखबारों में रखकर घर घर पहुंचा रहा है । इसके अलावा सभी थानों ,अल्पसंख्यक विभाग और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में ये पर्चे भेजे गए हैं जहां आने वाले लोगों को ये पर्चे बांटे जा रहे हैं । यही नही विभाग में कार्यरत कलाकार और एलईडी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी ये पर्चे दिए गए हैं जिनका जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण किया जा रहा है ।
बाईट - कुमकुम शर्मा , जिला सूचना अधिकारी बाराबंकी


क्या छपा है पर्चे में

- यह कानून सिर्फ नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने का अधिकार इस कानून में नहीं है।

- भारत के अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों का CAA से कोई अहित नहीं है।

- CAA से देश के नागरिकों की नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

- यह कानून किसी भी भारतीय हिंदू ,मुसलमान आदि को प्रभावित नहीं करेगा।

- इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू ,ईसाई ,सिख ,पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी ,जो 31 दिसंबर 2014 से पूर्व ही भारत में रह रहे हों तथा जो केवल इन 3 देशों से धर्म के आधार पर प्रताड़ित किए गए हो।

- अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था ।

- यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्होंने वर्षों से बाहर उत्पीड़न का सामना किया और उनके पास भारत आने के अलावा और कोई जगह नहीं है ।


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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