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बाराबंकी: सोशल डिस्टेंशन के साथ हुआ मूर्तियों का विसर्जन

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Published : Oct 27, 2020, 8:25 AM IST

बाराबंकी के घाघरा नदी के तट पर पिछले साल के मुकाबले इस बार मूर्तियों का विसर्जन काफी कम हुआ. जिससे इस बार घागरा का तट सुनसान रहा.

मूर्ति विसर्जन करने पहुंचे श्रद्धालु
मूर्ति विसर्जन करने पहुंचे श्रद्धालु

बाराबंकी: दुर्गा पूजा विसर्जन के दिन रामनगर के घाघरा नदी के तट पर कोविड-19 का भारी असर देखने को मिला. इस बार घागरा का तट सूनसान रहा. जहां पिछले साल लगभग सैकड़ों मूर्तियां घाघरा नदी में विसर्जन की गई थीं. वहीं इस बार पहले जैसी रौनक नहीं दिखाई दी.

जिले की लगभग सभी क्षेत्रों से घाघरा नदी के तट पर मूर्तियां विसर्जन के लिए लाई जाती हैं. जिसमें हजारों की संख्या में भक्त घाघरा नदी के तट पर उमड़ते थे, जहां मैया के जयकारों से घाघरा नदी का तट गूंज उठता था, वहीं दुकानदारों की भी काफी भीड़ लगती थी. दूर-दूर से आकर दुकानदार घाघरा नदी के तट पर एक दिन पहले से ही दुकानों का लगाना शुरू कर देते थे. सैकड़ों की संख्या में दुकानें सज जाती थी.

श्रद्धालुओं ने बताया कि इस बार कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए हम लोग बरसों की परंपरा को किसी तरह पूर्ण करने के लिए छोटी-छोटी मूर्तियां रख कर पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जो हमारे पूर्वज इस परंपरा को निभाते चले आए और आज हम लोग भी उसी परंपरा का निर्वाहन कर रहे हैं. नवरात्रि पर्व हम लोग धूमधाम से मनाते हैं. माता रानी सबके घरों में खुशहाली देती हैं और जब मैया आती हैं, तो पूर्ण रूप से ऐसा लगता है प्रकृति में बड़ा सा परिवर्तन होता है. पूरे वातावरण में एक अलग ही अनुभूति प्राप्त होती है. वातावरण भक्ति मय हो जाता है. माता रानी आती हैं तो प्रकृति में एक पूर्ण रूप से बड़ा परिवर्तन होता है और उसके बाद एक बड़ा सा त्योहार परंपरा के अनुसार आता है.

भक्त आयुषी निगम ने कहा कि दसवीं के दिन परंपरा के अनुसार जब माता रानी का विसर्जन किया जाता है, तो तब हम लोग धूमधाम से शोभायात्रा निकालते हुए माता रानी के विसर्जन के लिए तट पर लाते हैं और सम्मान पूर्ण भावना से विसर्जित करते हैं. सभी भक्त यह कामना करते हैं कि मातारानी अगले साल हम लोगों के घर फिर दर्शन देने आएंगे और यह परंपरा निरंतर ऐसे ही चलती रहेगी.

बाराबंकी: दुर्गा पूजा विसर्जन के दिन रामनगर के घाघरा नदी के तट पर कोविड-19 का भारी असर देखने को मिला. इस बार घागरा का तट सूनसान रहा. जहां पिछले साल लगभग सैकड़ों मूर्तियां घाघरा नदी में विसर्जन की गई थीं. वहीं इस बार पहले जैसी रौनक नहीं दिखाई दी.

जिले की लगभग सभी क्षेत्रों से घाघरा नदी के तट पर मूर्तियां विसर्जन के लिए लाई जाती हैं. जिसमें हजारों की संख्या में भक्त घाघरा नदी के तट पर उमड़ते थे, जहां मैया के जयकारों से घाघरा नदी का तट गूंज उठता था, वहीं दुकानदारों की भी काफी भीड़ लगती थी. दूर-दूर से आकर दुकानदार घाघरा नदी के तट पर एक दिन पहले से ही दुकानों का लगाना शुरू कर देते थे. सैकड़ों की संख्या में दुकानें सज जाती थी.

श्रद्धालुओं ने बताया कि इस बार कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए हम लोग बरसों की परंपरा को किसी तरह पूर्ण करने के लिए छोटी-छोटी मूर्तियां रख कर पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जो हमारे पूर्वज इस परंपरा को निभाते चले आए और आज हम लोग भी उसी परंपरा का निर्वाहन कर रहे हैं. नवरात्रि पर्व हम लोग धूमधाम से मनाते हैं. माता रानी सबके घरों में खुशहाली देती हैं और जब मैया आती हैं, तो पूर्ण रूप से ऐसा लगता है प्रकृति में बड़ा सा परिवर्तन होता है. पूरे वातावरण में एक अलग ही अनुभूति प्राप्त होती है. वातावरण भक्ति मय हो जाता है. माता रानी आती हैं तो प्रकृति में एक पूर्ण रूप से बड़ा परिवर्तन होता है और उसके बाद एक बड़ा सा त्योहार परंपरा के अनुसार आता है.

भक्त आयुषी निगम ने कहा कि दसवीं के दिन परंपरा के अनुसार जब माता रानी का विसर्जन किया जाता है, तो तब हम लोग धूमधाम से शोभायात्रा निकालते हुए माता रानी के विसर्जन के लिए तट पर लाते हैं और सम्मान पूर्ण भावना से विसर्जित करते हैं. सभी भक्त यह कामना करते हैं कि मातारानी अगले साल हम लोगों के घर फिर दर्शन देने आएंगे और यह परंपरा निरंतर ऐसे ही चलती रहेगी.

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