बाराबंकीः साढ़े पांच वर्ष पूर्व पत्नी की हत्या कर शव घर में ही गड्ढा खोदकर दबा देने के मामले में अदालत ने पति को आजीवन कारावास(Life Imprisonment) और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-02 अनिल कुमार शुक्ल ने सुनाया है.
अभियोजन अधिकारी फौजदारी सुनील कुमार दुबे ने बताया कि रामसनेही घाट थाना क्षेत्र के लालूपुर निवासी वादी जितेंद्र चतुर्वेदी ने 4 मार्च 2017 को असंदरा थाने में अपने बहनोई सतीश कुमार दुबे, बहन के ससुर मूलचन्द्र दुबे और बहन की सास कलावती पर अपनी बहन की हत्या कर शव को घर में ही छिपा देने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था. जितेंद्र दुबे द्वारा दी गई तहरीर के मुताबिक उसने अपनी बहन पुष्पा देवी की शादी वर्ष 2009 में असंदरा थाना क्षेत्र के बेलपुर निवासी सतीश कुमार दुबे पुत्र मूल चन्द्र दुबे के साथ की थी. उसकी बहन के दो बच्चे एक 6 वर्षीय और दूसरा 4 वर्षीय बच्चे हैं. पुष्पा देवी के पति ,सास और ससुर उसकी बहन को अक्सर छोटी छोटी बातों पर मारापीट करते थे.
तहरीर से तीन दिन पहले सास कलावती ने फोन करके बताया कि तुम्हारी बहन किसी के साथ भाग गई है. उसने जब बहन की ससुराल पहुंचकर इस बाबत पड़ताल की तो उसे कुछ पता नहीं चल सका. अगले दिन फिर वह बहन की ससुराल पहुंचा तो उसे बताया गया कि तुम्हारी बहन ने फांसी लगा लिया था. उसे नदी में फेंक दिया गया है. इस पर उसे संदेह हुआ, फिर जितेंद्र चतुर्वेदी जब बहन के घर पहुंचा और पड़ताल की. इस दौरान पता चला कि पुष्पा देवी की हत्या कर इन लोगों ने उसके शव को घर के अंदर ही गड्ढे में दबा दिया है.
पुलिस ने मामले की गम्भीरता समझते हुए मुकदमा दर्ज कर आरोपियों के घर से एसडीएम के निर्देश पर 4 मार्च 2017 को शव बरामद कर लिया. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलित कर सतीश कुमार दुबे उसके पिता मूलचन्द्र दुबे और माता कलावती के खिलाफ आईपीसी की धारा 302/201 के तहत चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित की. अभियोजन पक्ष ने मामले में समुचित पैरवी करते हुए ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों के बयान और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-02 अनिल कुमार शुक्ल ने आरोपी पति सतीश कुमार दुबे को हत्या और साक्ष्य छुपाने का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. इसके अलावा साक्ष्यों के अभाव में ससुर मूलचन्द्र दुबे और सास कलावती को बरी कर दिया.