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घाघरा नदी का बढ़ा जलस्तर, पलायन को मजबूर गांव वाले

बाराबंकी में घाघरा नदी में नेपाल का पानी छोड़ा जा रहा है. इससे नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. घाघरा नदी में पानी चेतावनी के निशान के ऊपर बह रहा है. इससे नदी के तट पर रहने वाले ग्रामीणों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों ने किया पलायन
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Published : Jul 14, 2019, 8:13 PM IST

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में घाघरा नदी के जलस्तर में रोज इजाफा हो रहा है. इससे नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन ऐसे प्रयास बाढ़ के सामने बौने साबित हो रहे हैं. परेशान ग्रामीणों ने अपना ठिकाना बदलना शुरू कर दिया है.

घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों ने किया पलायन


नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों ने बदला ठिकाना-

  • प्रशासन को बाढ़ के आने से पहले ही सुरक्षा की तैयारियां कर लेनी चाहिए.
  • इससे हजारों ग्रामीणों को बेघर होने से बचाया सकता है.
  • घाघरा नदी में नेपाल का पानी छोड़ा जाता है.
  • इससे घाघरा नदी चेतावनी के निशान के ऊपर से बह रही है.
  • घाघरा की बाढ़ ने हर साल लोगों को तबाही का मंजर दिखाती है, लेकिन प्रशासन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाता है.
  • सरकार जिस तरह नमामि गंगे पर ध्यान देती उसी तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहले ध्यान दे ताकि तैयारियां पूरी कर ली जाए.
  • इससे शायद ग्रामीणों को तबाही का मंजर न देखना पड़े.

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में घाघरा नदी के जलस्तर में रोज इजाफा हो रहा है. इससे नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन ऐसे प्रयास बाढ़ के सामने बौने साबित हो रहे हैं. परेशान ग्रामीणों ने अपना ठिकाना बदलना शुरू कर दिया है.

घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों ने किया पलायन


नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों ने बदला ठिकाना-

  • प्रशासन को बाढ़ के आने से पहले ही सुरक्षा की तैयारियां कर लेनी चाहिए.
  • इससे हजारों ग्रामीणों को बेघर होने से बचाया सकता है.
  • घाघरा नदी में नेपाल का पानी छोड़ा जाता है.
  • इससे घाघरा नदी चेतावनी के निशान के ऊपर से बह रही है.
  • घाघरा की बाढ़ ने हर साल लोगों को तबाही का मंजर दिखाती है, लेकिन प्रशासन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाता है.
  • सरकार जिस तरह नमामि गंगे पर ध्यान देती उसी तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहले ध्यान दे ताकि तैयारियां पूरी कर ली जाए.
  • इससे शायद ग्रामीणों को तबाही का मंजर न देखना पड़े.
Intro:बाराबंकी 14 जुलाई रामनगर घागरा नदी के जलस्तर रोज हो रहा है इजाफा जिससे ग्रामीणों और नदी के किनारे रहे वालों की समस्याएं बढ़ती जा रही है लेकिन शासन प्रशासन इन समस्या से निपटने के लिए हर संभाव प्रयास कर रहा है लेकिन ऐसे प्रयास बाढ़ के समय बौने साबित होते है। क्योंकि ग्रामीण जानता है बरसात और बाढ़ साथ साथ आती है और प्रशासन सुध लेने पहुंचता है उस समय ग्रामीणों को राहत व संतवना देता है ।


Body:ऐसे में प्रशासन बाढ़ के आने से पहले सुरक्षा की तैयारियां किया जाए तो हजारों ग्रामीण को बेघर व तबाह होने से बचाया सकता है। यह घागरा नदी में नेपाल का पानी छोडा जाता है तब रौद्र रूप देखते ही बनता है घागरा की बाढ़ ने हर साल लोगों को तबाही का मंजर दिखाती हे लेकिन प्रशासन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाता है।


Conclusion:सरकार को चाहिए कि जिस तरह नमामि गंगे पर ध्यान देती उसी तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ के आने के पहले ध्यान दिया जाए और तैयारियां पूरी कर दी जाए तो शायद तबाही का मंजर ग्रामीणों को ना देखना पड़े।

1 विज्युअल घागरा नदी का
2 विजुअल केंद्रीय जल आयोग का
3 पीटीसी

रिपोर्टर आर् एन साहनी। ( स्टिंगर रामनगर विधानसभा बाराबंकी
9919688836)
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