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दो लाख रुपये की नकली करेंसी के साथ चार गिरफ्तार

बाराबंकी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर इंडियन फेक करेंसी को और उसको बनाने वाले एक गिरोह को पकड़ा है. इनके पास से दो लाख 11 हजार रुपयों के नकली नोट, एक लैपटॉप, एक स्कैनर और A4 साइज के सादे कागज का एक बंडल बरामद हुआ है.

नकली करेंसी के साथ चार गिरफ्तार
नकली करेंसी के साथ चार गिरफ्तार
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Published : Jun 24, 2021, 5:52 PM IST

बाराबंकी: यूपी की बाराबंकी पुलिस ने कूटरचित ढंग से इंडियन फेक करेंसी (Fake Indian currency) बनाने और उन्हें मार्केट में खपाने वाले चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए अभियुक्तों के कब्जे से दो लाख 11 हजार रुपयों के नकली नोट बरामद किए गए हैं. जिनमे दो हजार और 500 रुपये के नोट हैं. इनके पास से एक लैपटॉप, एक स्कैनर और A4 साइज के सादे कागज का एक बंडल भी बरामद किया गया है. असली रुपयों के बदले तीन गुना नकली रुपये देने वाले ये शातिर अपराधी अब तक अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ, अमेठी और सुल्तानपुर जिलों में हजारों नकली रुपए मार्केट में खपा चुके हैं.


फेक करंसी और उपकरण बरामद

बताते चलें कि मुखबिर की सूचना पर सतरिख थाना क्षेत्र की पुलिस ने गुरुवार को गोकुलपुर गांव के बीजेपुर नहर पुलिया के करीब से चार शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया. इनके कब्जे से दो लाख 11 हजार रुपये कूटरचित भारतीय करेंसी समेत करेंसी बनाने के उपकरण बरामद किए गए. पूछताछ में इन युवकों ने अपने नाम सौरभ तिवारी, शिवशंकर, मो. अलीम और रितिक मिश्र बताया गया है.

हजारों नकली रुपये बाजार में खपा चुके

सौरभ तिवारी लखनऊ के आलमबाग के प्रेमनगर का रहने वाला है, जबकि रितिक मिश्रा और शिवशंकर वर्मा अयोध्या जिले के रुदौली थाने के शुजागंज के रहने वाले हैं. अलीम अयोध्या जिले के पटरंगा थाने के सुलेमानपुर का रहने वाला है. पकड़े गए चारों अभियुक्त पिछले काफी अर्से से इस अवैध धंधे में लिप्त हैं और इन्होंने अब तक हजारों नकली रुपये बाजार में खपा दिए हैं.

कलर प्रिंटर से प्रिंट करते थे रुपये

शिवशंकर वर्मा पटरंगा थाना क्षेत्र के अंतर्गत जनसेवा केंद्र संचालित करता है. अभियुक्त इसी केंद्र पर पहले लैपटॉप के जरिये पांच सौ और दो हजार रुपये के असली नोटों को स्कैन करते थे फिर A4 साइज के सफेद कागज पर कलर प्रिंटर से नोटों को प्रिंट करते थे, उसके बाद उन्हें काट कर अलग कर उनकी गड्डियां बना लेते थे.

तीन गुना की करते थे नोट देने की डील

अभियुक्त सौरभ तिवारी और रितिक मिश्रा उन पांच सौ और दो हजार के नकली नोटों को मार्केट में खपाने के लिए अलग-अलग स्थानों पर लोगों से बात करते थे. इसके लिए वे असली नोटों के बदले तीन गुना नकली नोट देने की डील करते थे. खास बात ये है कि जिसे नकली नोट देते थे उनसे दुबारा न तो कोई डील करते थे और न ही कोई सम्बंध रखते थे.

बाराबंकी: यूपी की बाराबंकी पुलिस ने कूटरचित ढंग से इंडियन फेक करेंसी (Fake Indian currency) बनाने और उन्हें मार्केट में खपाने वाले चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए अभियुक्तों के कब्जे से दो लाख 11 हजार रुपयों के नकली नोट बरामद किए गए हैं. जिनमे दो हजार और 500 रुपये के नोट हैं. इनके पास से एक लैपटॉप, एक स्कैनर और A4 साइज के सादे कागज का एक बंडल भी बरामद किया गया है. असली रुपयों के बदले तीन गुना नकली रुपये देने वाले ये शातिर अपराधी अब तक अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ, अमेठी और सुल्तानपुर जिलों में हजारों नकली रुपए मार्केट में खपा चुके हैं.


फेक करंसी और उपकरण बरामद

बताते चलें कि मुखबिर की सूचना पर सतरिख थाना क्षेत्र की पुलिस ने गुरुवार को गोकुलपुर गांव के बीजेपुर नहर पुलिया के करीब से चार शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया. इनके कब्जे से दो लाख 11 हजार रुपये कूटरचित भारतीय करेंसी समेत करेंसी बनाने के उपकरण बरामद किए गए. पूछताछ में इन युवकों ने अपने नाम सौरभ तिवारी, शिवशंकर, मो. अलीम और रितिक मिश्र बताया गया है.

हजारों नकली रुपये बाजार में खपा चुके

सौरभ तिवारी लखनऊ के आलमबाग के प्रेमनगर का रहने वाला है, जबकि रितिक मिश्रा और शिवशंकर वर्मा अयोध्या जिले के रुदौली थाने के शुजागंज के रहने वाले हैं. अलीम अयोध्या जिले के पटरंगा थाने के सुलेमानपुर का रहने वाला है. पकड़े गए चारों अभियुक्त पिछले काफी अर्से से इस अवैध धंधे में लिप्त हैं और इन्होंने अब तक हजारों नकली रुपये बाजार में खपा दिए हैं.

कलर प्रिंटर से प्रिंट करते थे रुपये

शिवशंकर वर्मा पटरंगा थाना क्षेत्र के अंतर्गत जनसेवा केंद्र संचालित करता है. अभियुक्त इसी केंद्र पर पहले लैपटॉप के जरिये पांच सौ और दो हजार रुपये के असली नोटों को स्कैन करते थे फिर A4 साइज के सफेद कागज पर कलर प्रिंटर से नोटों को प्रिंट करते थे, उसके बाद उन्हें काट कर अलग कर उनकी गड्डियां बना लेते थे.

तीन गुना की करते थे नोट देने की डील

अभियुक्त सौरभ तिवारी और रितिक मिश्रा उन पांच सौ और दो हजार के नकली नोटों को मार्केट में खपाने के लिए अलग-अलग स्थानों पर लोगों से बात करते थे. इसके लिए वे असली नोटों के बदले तीन गुना नकली नोट देने की डील करते थे. खास बात ये है कि जिसे नकली नोट देते थे उनसे दुबारा न तो कोई डील करते थे और न ही कोई सम्बंध रखते थे.

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