बाराबंकी: 3 बार विधायक रहे वरिष्ठ समाजवादी नेता छोटेलाल यादव बीजेपी की नीतियों से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हो गए. उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के सियासी मायनों को लेकर जिले के राजनीति में मंथन तेज हो गई है. गौरतलब हो कि बाराबंकी सदर सीट पर सपा ने 2 बार से लगातार विधायक रहे धर्मराज यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. यादव वोटों में सेंध लगाने के मकसद से छोटेलाल यादव को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने ये बड़ा गेम खेला है.
स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा और राम सागर रावत के बाद कभी छोटे लाल यादव बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के स्तंभ माने जाते थे. छोटेलाल यादव वर्ष 1991 में पहली बार जनता पार्टी से विधायक बने. उसके बाद वर्ष 1993 में हुए चुनाव में वे सपा के टिकट पर चुनाव जीते. वर्ष 1996 में वे कांग्रेस के संग्राम सिंह से चुनाव हार गए. वर्ष 2002 में एक बार फिर छोटेलाल सपा से विधायक चुने गए, लेकिन वर्ष 2007 में वे एक बार फिर संग्राम सिंह से चुनाव हार गए. उसके बाद जब बेनी प्रसाद वर्मा कांग्रेस में शामिल हुए तो छोटेलाल भी उनके साथ कांग्रेस में शामिल हो गए. वर्ष 2012 में उन्होंने कांग्रेस से सपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वो हार गए. उसके बाद जब बेनी प्रसाद वर्मा सपा में लौटे तो उनकी भी वापसी हो गई.
पिछले कुछ समय से वह अपनी उपेक्षा और पार्टी में चल रही गुटबाजी से दुखी चल रहे थे. वे बिल्कुल खामोश थे. उन्हें मलाल है कि न तो जिले की समाजवादी पार्टी का कोई बड़ा नेता या प्रदेश का ही कोई नेता उनसे मिलने आया. सबसे ज्यादा नाराजगी उनकी वर्तमान सपा विधायक और प्रत्याशी धर्मराज यादव से है. यही वजह है कि अचानक उन्होंने शुक्रवार को लखनऊ में भाजपा ज्वाइन कर सियासी खेमों में हलचल मचा दी.
डैमेज कंट्रोल की कोशिश
हाल ही में भाजपा में रहे संग्राम सिंह वर्मा ने परिवार समेत सपा ज्वाइन कर भाजपा को झटका दिया है लिहाजा भाजपा ने छोटेलाल को पार्टी में लाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.
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