बाराबंकी: जिले में तीन दिन पहले हुए बस हादसे के बाद भी इंटरस्टेट बस संचालकों ने कोई सबक नही लिया. अब भी ओवरलोड बसों का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है. गुरुवार रात बाराबंकी संभागीय परिवहन विभाग ने लखनऊ-अयोध्या हाइवे पर वाहनों की जांच की. इस दौरान टीम ने पाया कि हाइवे से गुजर रही हर दूसरी बस ओवरलोडेड थी. टीम ने मानकों का पालन नहीं करने वाली इंटरस्टेट 68 लग्जरी बसों का चालान किया. वहीं चार बसें सीज भी की गयीं. जांच के दौरान 35 बसें ओवरलोडेड पाई गईं. इन बसों के 21 हजार रुपये से लेकर 56 हजार रुपये तक के चालान काटे गए.
बाराबंकी में हुए बस हादसे के कारण संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ गयी हैं. सीएम योगी के आदेश के बाद उप परिवहन आयुक्त से लेकर विभाग का हर अधिकारी सक्रिय है. गुरुवार की रात एआरटीओ प्रवर्तन राहुल श्रीवास्तव ने अपनी टीम के साथ लखनऊ-अयोध्या हाइवे पर चेकिंग की. लखनऊ-बाराबंकी सीमा पर स्थित मोहम्मदपुर चौकी से शुरू हुआ ये अभियान अहमदपुर टोल प्लाजा तक चला. इस दौरान टीम ने इंटरस्टेट बसों के साथ दूसरी बसों की भी जांच की. राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, बिहार तक आने जाने वाली सारी बसों की चेकिंग की गई.
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चेकिंग के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. हर बस में प्रेशर हॉर्न लगा मिला. तमाम बसें ओवरलोड पायी गयीं. ज्यादातर बसें परमिट शर्तों का उल्लंघन करती मिलीं. एआरटीओ प्रवर्तन ने 68 बसों का चालान किया. चार बसों पर टैक्स लंबे वक्त से बकाया था और इनमें कई खामियां भी थीं. इसको लेकर इन्हें सीज कर दिया गया. मानकों की धज्जियां उड़ाकर फर्राटा भर रही बसों में 35 गाड़ियां ओवरलोड पाई गई थीं. एक गाड़ी का फिटनेस टेस्ट भी नहीं हुआ था. इनमें कई बसें ऐसी थीं, जिनका कॉंट्रेक्ट परमिट था लेकिन उनमें रास्ते में सवारियां बिठाई जा रही थीं, जबकि ऐसा नहीं किया जा सकता.
परिवहन विभाग मुख्य रूप से दो प्रकार के परमिट जारी करता है. एक स्टेज कैरिज परमिट होता है, जिसके तहत फुटकर सवारियों को बिठाया जा सकता है. दूसरा परमिट कांट्रेक्ट परमिट होता है, जिसमें सिर्फ पार्टियों की बुकिंग की सवारियां ही ढोई जा सकती हैं. इसमें फुटकर सवारियों को नहीं बिठाया जा सकता है. हालांकि पहली अप्रैल से नए नियम बना कर सड़क परिवहन विभाग ने बस संचालकों को सुविधाएं बढ़ा दी हैं. इसके तहत ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाले वाहनों को प्राधिकारण ने परमिट लेकर फुटकर सवारियां लाने और ले जाने की सुविधा दी है. बावजूद इसके बस संचालक इस योजना का लाभ नहीं उठा रहे और मानकों का उल्लंघन करते दिखे.