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बाराबंकी: प्रत्येक वर्ष एक ही पंडाल के नीचे मां दुर्गा की 8 अलग-अलग प्रतिमाएं की जाती हैं स्थापित - बाराबंकी में नवरात्र का त्यैहार

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक ही पंडाल के नीचे मां दुर्गा के नौ रूप प्रदर्शित किए जाते हैं. यह पंडाल पिछले पांच दशकों से सजाया जा रहा है, जहां प्रत्येक वर्ष मां दुर्गा की अलग-अलग प्रतिमाएं स्थापित की जाती है.

मां दुर्गा की प्रतिमाएं
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Published : Oct 6, 2019, 11:32 PM IST

बाराबंकी: पश्चिम बंगाल के बाद मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूप एक ही पंडाल के नीचे बाराबंकी जनपद में ही देखने को मिलते है. यहां ये सिलसिला पिछले 50 वर्षो से लगातार चला आ रहा हैं. खास बात यह है कि हर वर्ष यहां महिषासुर मर्दिनी का रूप छोड़कर मां दुर्गा के बाकी आठ रूप बदल दिए जाते हैं. इन 50 वर्षो में दुर्गा मां के 1008 रूपों में से 400 रूप अब तक यहां प्रदर्शित किए जा चुके हैं.

मां दुर्गा की प्रतिमाएं.

5 दशकों से सजता आ रहा पंडाल

  • नौ विभिन्न रूपों से सजा मां दुर्गा का पंडाल पिछले पांच दशकों से यूं ही जगमगाता आ रहा है.
  • नगरपालिका हॉल में आयोजित दुर्गा पूजा का आयोजन नगर का यूथ एसोसिएशन करता है.
  • साल दर साल इसकी सजावट बढ़ती ही जा रही है.
  • गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी यहां की दुर्गा पूजा में नगर के सभी धर्मोंं के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

प्रत्येक वर्ष रखी जाती है अलग-अलग प्रतिमाएं

  • खास बात यह है कि महिषासुर मर्दिनी को छोड़कर हर वर्ष मां दुर्गा के आठ अलग-अलग रूप प्रदर्शित किए जाते हैं.
  • मां दुर्गा के 1008 रूपों में से हर वर्ष नए आठ रूपों को चुने जाते हैं.
  • दुर्गा पूजा से करीब तीन महीने पहले से ही कोलकाता के मूर्तिकार आकर इन मूर्तियों को रूप प्रदान करते हैं.
  • जहां दर्शन करने वालों की आंखें इनसे हटने का नाम ही नहीं लेती हैं.

इसे भी पढ़ें:- बाराबंकी: दिव्यांग बच्चों ने दुर्गा पूजा महोत्सव पर दी शानदार प्रस्तुति, भावुक हुए दर्शक

बाराबंकी: पश्चिम बंगाल के बाद मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूप एक ही पंडाल के नीचे बाराबंकी जनपद में ही देखने को मिलते है. यहां ये सिलसिला पिछले 50 वर्षो से लगातार चला आ रहा हैं. खास बात यह है कि हर वर्ष यहां महिषासुर मर्दिनी का रूप छोड़कर मां दुर्गा के बाकी आठ रूप बदल दिए जाते हैं. इन 50 वर्षो में दुर्गा मां के 1008 रूपों में से 400 रूप अब तक यहां प्रदर्शित किए जा चुके हैं.

मां दुर्गा की प्रतिमाएं.

5 दशकों से सजता आ रहा पंडाल

  • नौ विभिन्न रूपों से सजा मां दुर्गा का पंडाल पिछले पांच दशकों से यूं ही जगमगाता आ रहा है.
  • नगरपालिका हॉल में आयोजित दुर्गा पूजा का आयोजन नगर का यूथ एसोसिएशन करता है.
  • साल दर साल इसकी सजावट बढ़ती ही जा रही है.
  • गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी यहां की दुर्गा पूजा में नगर के सभी धर्मोंं के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

प्रत्येक वर्ष रखी जाती है अलग-अलग प्रतिमाएं

  • खास बात यह है कि महिषासुर मर्दिनी को छोड़कर हर वर्ष मां दुर्गा के आठ अलग-अलग रूप प्रदर्शित किए जाते हैं.
  • मां दुर्गा के 1008 रूपों में से हर वर्ष नए आठ रूपों को चुने जाते हैं.
  • दुर्गा पूजा से करीब तीन महीने पहले से ही कोलकाता के मूर्तिकार आकर इन मूर्तियों को रूप प्रदान करते हैं.
  • जहां दर्शन करने वालों की आंखें इनसे हटने का नाम ही नहीं लेती हैं.

इसे भी पढ़ें:- बाराबंकी: दिव्यांग बच्चों ने दुर्गा पूजा महोत्सव पर दी शानदार प्रस्तुति, भावुक हुए दर्शक

Intro:बाराबंकी ,06 अक्टूबर । पश्चिम बंगाल के बाद अगर मां दुर्गा के अलग अलग नौ रूपों का एक ही पंडाल के नीचे दर्शन करना हो तो बाराबंकी आइए ।जी हाँ, यहां ये सिलसिला पिछले 50 वर्षों से लगातार चला आ रहा है । खास बात ये कि हर वर्ष यहां महिषासुर मर्दिनी का रूप छोड़कर मां दुर्गा के बाकी आठ रूप बदल दिए जाते हैं । इन पचास वर्षों में दुर्गा मां के 1008 रूपों में से 400 रूप अब तक यहां प्रदर्शित किए जा चुके हैं । आस्था से लबरेज देखिये हमारी यह खास रिपोर्ट.......


Body:वीओ - नौ विभिन्न रूपों से सजा मां दुर्गा का यह पंडाल पिछले पांच दशकों से यहां यूं ही जगमगाता आ रहा है । नगरपालिका हाल में आयोजित इस दुर्गा पूजा का आयोजन नगर का यूथ एसोसिएशन करता है । साल दर साल इसकी सजावट बढ़ती ही जा रही है । गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल बनी यहां की दुर्गा पूजा में नगर के सभी धर्मों के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं ।
बाईट - बृजलाल सावलानी , अध्यक्ष यूथ एसोसिएशन बाराबंकी

वीओ - यहां एक ही पंडाल के नीचे मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप देखे जा सकते हैं । खास बात ये कि महिषासुर मर्दिनी को छोड़कर यहां हर वर्ष दुर्गा मां के आठ अलग-अलग रूप प्रदर्शित किए जाते हैं । मां दुर्गा के 1008 रूपों में से हर वर्ष आठ रूप चुने जाते हैं । दुर्गा पूजा से करीब 3 महीने पहले कोलकाता के मूर्तिकार आकर इन मूर्तियों को ऐसा रूप देते हैं कि दर्शन करने वालों की आंखें इनसे हटने का नाम नहीं लेती और शायद यही विशेषता दूसरे स्थानों से यहां की दुर्गा पूजा को खास बना देती हैं ।
बाईट- चंद्रशेखर भट्टाचार्य , मुख्य पुजारी


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
945461740
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