बाराबंकी: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत निर्धारित सीमा से अधिक राशनकार्ड बन जाने से बाराबंकी में एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. अभी भी जिले में तमाम गरीब परिवार ऐसे हैं जो राशन कार्ड से वंचित हैं. विभाग चाहकर भी ऐसे पात्र लोगों के राशनकार्ड जारी नहीं कर पा रहा है. विभागीय अधिकारियों का मानना है कि तमाम ऐसे लोगों ने भी कार्ड हासिल कर लिए हैं जो इस योजना का लाभ पाने के हकदार नही हैं. डीएसओ ने ऐसे लोगों से अपने कार्ड सरेंडर करने को कहा है. यही नहीं, उन्होंने उन लोगों से भी अपने कार्ड सरेंडर करने की मार्मिक अपील की है जो सक्षम हैं और जिनको सरकारी खाद्यान्न की जरूरत नहीं है.
पात्र गृहस्थी | अंत्योदय | कुल |
4,89,459 | 1,09,776 | 5,99,235 |
शहरी क्षेत्र
पात्र गृहस्थी | अंत्योदय | कुल |
44,695 | 3869 | 48,664 |
मानक से ज्यादा हो चुका आच्छादन
वर्ष 2013 में आये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 79.56 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 64.43 फीसदी जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने का प्राविधान किया गया है. वर्तमान समय मे जिले में वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 29 लाख 29 हजार 896 के सापेक्ष 24 लाख 14 हजार 391 जनसंख्या को अर्थात 82.41 फीसदी लोगों को राशनकार्ड से आच्छादित किया जा चुका है, जो 2.85 फीसदी ज्यादा है. यही हाल शहरी क्षेत्र का है. शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 03 लाख 30 हजार 803 के सापेक्ष 02 लाख 17 हजार 019 लोगों को अर्थात 65.60 फीसदी लोगों को आच्छादित किया जा चुका है, जो निर्धारित मानक से 1.17 फीसदी ज्यादा है. ऐसे में विभाग के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. विभागीय सॉफ्टवेयर में कैपिंग हो गई है जिससे न तो नए राशनकार्ड बन पा रहे है और न ही यूनिट ही बढ़ाई जा पा रही हैं. बिना राशन कार्ड निरस्त किए या यूनिट काटे कुछ भी नहीं किया जा सकता.
तमाम गैर जरूरतमंद लोगों ने भी हासिल कर लिए कार्ड
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि तमाम ऐसे लोगों के कार्ड भी निर्गत किये जा चुके हैं, जो न तो पात्र गृहस्थी में आते हैं और न ही अंत्योदय योजना में. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तमाम मृतकों की यूनिट चढ़ी हुई हैं या लड़कियों की शादी हो चुकी है और दो जगह उनकी यूनिटें चढ़ी हैं ऐसे लोग इन यूनिट को कटा दें. इसके अलावा जो लोग सक्षम हैं और सरकारी खाद्यान्न के जरूरतमंद नहीं हैं वे भी अपने कार्ड सरंडर कर दें. जिससे असल जरूरतमन्दों को इस योजना का लाभ दिया जा सके.
कौन हैं पात्र
वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक
ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू कामकाज करने वाले, भिक्षावृत्ति करने वाले, माता-पिता विहीन बच्चे, दैनिक वेतन भोगी, भूमिहीन मजदूर, ऐसे परिवार जिनका मुखिया निराश्रित, महिला, विकलांग या कोई बालिग पुरूष नहीं है, आवासहीन परिवार के अलावा ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय दो लाख रुपये है.
कौन हैं अपात्र
आयकरदाता, चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, एसी, 05 किलोवाट या उससे अधिक क्षमता के जनरेटर, 05 एकड़ से ज्यादा सिंचित जमीन, एक से ज्यादा शास्त्र लाइसेंस धारक, वार्षिक आय 02 लाख से ज्यादा.
डीएसओ की मार्मिक अपील
पीएम मोदी से प्रेरित डीएसओ डॉ राकेश कुमार ने मार्मिक अपील की है कि जरूरतमन्दों का ख्याल करते हुए लोग अपने कार्ड सरेंडर कर दें. इन्हें भरोसा है कि उनकी इस अपील का असर जरूर होगा जिस तरह पीएम मोदी की अपील पर तमाम लोगों ने गैस सब्सिडी को छोड़ दिया है.