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मुख्तार अंसारी एंबुलेंस केस : डॉ. अलका राय की जमानत अर्जी हुई खारिज

माफिया मुख्तार अंसारी एंबुलेंस प्रकरण में जेल में बंद डॉ. अलका राय और डॉ. शेषनाथ राय की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. प्रभारी सेशन न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट ने माना कि जमानत के लिए कोई ठोस और न्यायोचित आधार नही हैं.

Mukhtar Ansari Ambulance Case
मुख्तार अंसारी एंबुलेंस केस
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Published : Jun 18, 2021, 11:01 PM IST

बाराबंकी : शुक्रवार को एंबुलेंस प्रकरण के दो आरोपियों डॉ. अलका राय और डॉ. शेषनाथ राय की जमानत अर्जी पर सुनवाई की गई. प्रभारी सेशन न्यायाधीश बालकृष्ण एन रंजन ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी. आरोपियों के वकील रणधीर सिंह सुमन ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि एआरटीओ ने इस मामले में राजनीतिक दबाव में एफआईआर दर्ज कराई है. उन्होंने तर्क दिया कि पंजीयन संभागीय परिवहन अधिकारी को केवल पंजीकृत नोटिस देकर सुनवाई के बाद वाहन का पंजीकरण निरस्त करने का ही अधिकार है. रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार नही है.

जिला शासकीय अधिवक्ता (दाण्डिक) राजेश पांडे ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि डॉ. अलका राय ने फर्जी और कूट रचित प्रपत्रों के आधार पर वाहन का पंजीयन कराया गया था. लिहाजा ये जमानत के हकदार नही हैं. दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी.

एम्बुलेंस मामला

31 मार्च को पंजाब की रोपड़ जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को जिस एंबुलेंस से मोहाली कोर्ट ले जाया गया था. उसका रजिस्ट्रेशन बाराबंकी से हुआ था. पड़ताल शुरू हुई तो ये रफीनगर मोहल्ले की किसी डॉ. अलका रॉय के नाम से पंजीकृत मिली. मौके पर पहुंची पुलिस को उस वोटर आईडी पर दर्ज नाम की महिला नहीं मिली थी. एआरटीओ कार्यालय में फर्जी आईडी का प्रयोग करके एम्बुलेंस का पंजीकरण कराया गया था.

इसे भी पढ़ें- Mukhtar Ansari Ambulance Case : तीन और आरोपियों के नाम FIR में बढ़ाये गए

एआरटीओ ने दर्ज कराया था मुकदमा

एआरटीओ पंकज सिंह ने इस मामले में मऊ निवासी डॉ. अलका राय के खिलाफ नगर कोतवाली में क्राइम नम्बर 369/21 पर 419,420,467,468,471 आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. इसके बाद एक एसआईटी टीम का भी गठन किया गया था.

विवेचना के आधार पर बढ़ाए गए थे नाम

जांच करने मऊ गई पुलिस टीम की विवेचना के आधार पर श्याम संजीवनी अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की डॉ. अलका राय उनके सहयोगी डॉक्टर शेषनाथ राय, मुख्तार अंसारी, मुजाहिद ,राजनाथ यादव और अन्य के नाम इस आपराधिक षड्यंत्र में कूट रचित दस्तावेज तैयार कराने का मामला सामने आया था. इस मामले मे विवेचना के आधार पर धारा 120 बी, 506, 177 आईपीसी और 07 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट ऐक्ट की बढोत्तरी की गई थी. बाद में तफ्तीश के दौरान इसमें आनंद यादव, शाहिद, सलीम, सुरेंद्र और अफरोज के भी नाम बढ़ाए गए.

चार आरोपी भेजे जा चुके जेल

इस मामले में नगर कोतवाली पुलिस राजनाथ यादव,डॉ. अलका रॉय, शेषनाथ रॉय और आनंद यादव को गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है, जबकि मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है.
शुक्रवार को डॉ. अलका राय और डॉ. शेषनाथ राय की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए प्रभारी सेशन न्यायाधीश बालकृष्ण एन रंजन ने माना कि अभियुक्त की ओर से दिए गए जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार किये जाने का कोई ठोस और न्यायोचित आधार नही हैं. लिहाजा जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. इससे पहले 8 जून को इसी मामले के एक अभियुक्त राजनाथ यादव की जमानत खारिज हो चुकी है.

इसे भी पढ़ें- मुख्तार अंसारी एम्बुलेंस मामला: पुलिस के हत्थे चढ़ा 25 हजार का इनामी आनंद यादव

बाराबंकी : शुक्रवार को एंबुलेंस प्रकरण के दो आरोपियों डॉ. अलका राय और डॉ. शेषनाथ राय की जमानत अर्जी पर सुनवाई की गई. प्रभारी सेशन न्यायाधीश बालकृष्ण एन रंजन ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी. आरोपियों के वकील रणधीर सिंह सुमन ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि एआरटीओ ने इस मामले में राजनीतिक दबाव में एफआईआर दर्ज कराई है. उन्होंने तर्क दिया कि पंजीयन संभागीय परिवहन अधिकारी को केवल पंजीकृत नोटिस देकर सुनवाई के बाद वाहन का पंजीकरण निरस्त करने का ही अधिकार है. रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार नही है.

जिला शासकीय अधिवक्ता (दाण्डिक) राजेश पांडे ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि डॉ. अलका राय ने फर्जी और कूट रचित प्रपत्रों के आधार पर वाहन का पंजीयन कराया गया था. लिहाजा ये जमानत के हकदार नही हैं. दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी.

एम्बुलेंस मामला

31 मार्च को पंजाब की रोपड़ जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को जिस एंबुलेंस से मोहाली कोर्ट ले जाया गया था. उसका रजिस्ट्रेशन बाराबंकी से हुआ था. पड़ताल शुरू हुई तो ये रफीनगर मोहल्ले की किसी डॉ. अलका रॉय के नाम से पंजीकृत मिली. मौके पर पहुंची पुलिस को उस वोटर आईडी पर दर्ज नाम की महिला नहीं मिली थी. एआरटीओ कार्यालय में फर्जी आईडी का प्रयोग करके एम्बुलेंस का पंजीकरण कराया गया था.

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एआरटीओ ने दर्ज कराया था मुकदमा

एआरटीओ पंकज सिंह ने इस मामले में मऊ निवासी डॉ. अलका राय के खिलाफ नगर कोतवाली में क्राइम नम्बर 369/21 पर 419,420,467,468,471 आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. इसके बाद एक एसआईटी टीम का भी गठन किया गया था.

विवेचना के आधार पर बढ़ाए गए थे नाम

जांच करने मऊ गई पुलिस टीम की विवेचना के आधार पर श्याम संजीवनी अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की डॉ. अलका राय उनके सहयोगी डॉक्टर शेषनाथ राय, मुख्तार अंसारी, मुजाहिद ,राजनाथ यादव और अन्य के नाम इस आपराधिक षड्यंत्र में कूट रचित दस्तावेज तैयार कराने का मामला सामने आया था. इस मामले मे विवेचना के आधार पर धारा 120 बी, 506, 177 आईपीसी और 07 क्रिमिनल ला एमेंडमेंट ऐक्ट की बढोत्तरी की गई थी. बाद में तफ्तीश के दौरान इसमें आनंद यादव, शाहिद, सलीम, सुरेंद्र और अफरोज के भी नाम बढ़ाए गए.

चार आरोपी भेजे जा चुके जेल

इस मामले में नगर कोतवाली पुलिस राजनाथ यादव,डॉ. अलका रॉय, शेषनाथ रॉय और आनंद यादव को गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है, जबकि मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है.
शुक्रवार को डॉ. अलका राय और डॉ. शेषनाथ राय की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए प्रभारी सेशन न्यायाधीश बालकृष्ण एन रंजन ने माना कि अभियुक्त की ओर से दिए गए जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार किये जाने का कोई ठोस और न्यायोचित आधार नही हैं. लिहाजा जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. इससे पहले 8 जून को इसी मामले के एक अभियुक्त राजनाथ यादव की जमानत खारिज हो चुकी है.

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