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इस बार स्पेशल बच्चों के हाथों से तैयार दीयों से जगमग होंगे बाराबंकी के घर - सीडीओ एकता सिंह

बाराबंकी में इस बार दिव्यांग बच्चों ने (Specially abled) तमाम सामानों की बिक्री के लिए दीपावली मेला लगाया है. बच्चों ने अपने हाथों से रंग बिरंगे दीये और मोमबत्तियां बनाई हैं. इन्हें खरीदने से लोग अपने आपको रोक नहीं पा रहे.

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दिव्यांग बच्चो के हाथो से तैयार होंगे दिए
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Published : Oct 23, 2022, 11:23 AM IST

बाराबंकी: स्पेशल बच्चों से खास तौर पर तैयार की गई मोमबत्तियों और रंग बिरंगे दीयों से इस बार दीपावली पर बाराबंकी के तमाम घर जगमगाएंगे. बाराबंकी के इन दिव्यांग बच्चों ने अपने हाथों से बने दीपावली के तमाम सामानों की बिक्री के लिए दीपावली मेला लगाया है.

स्टॉलों पर सजे रंग बिरंगे दीये, खूबसूरत मोमबत्तियां, कलश, गुल्लक, तोरन, झूमर और एक से एक नायाब सामान किसी कारखाने से बनकर नहीं आए हैं, बल्कि इन्हें दिव्यांग बच्चों ने अपने हाथों से बनाकर सजाया और संवारा है. ये दिव्यांग बच्चे (Specially abled) बोलकर भले ही अपनी मंशा जाहिर न कर पा रहे हों. लेकिन, दिल से इनकी यही मंशा है कि सारा जहां खुशियों के दीपों से जगमग रहे.

ग्राहिका, सीडीओ और स्कूल संचालिका ने दी जानकारी

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इन दिव्यांग बच्चों ने जब इन सामानों को बिक्री के लिए दीपावली मेले में लगाया तो लोग इन्हें खरीदने से अपने आपको रोक नहीं पाए. मेले का उद्घाटन करने पहुंचीं सीडीओ एकता सिंह इन बच्चों का हुनर देख इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने न केवल खुद तमाम सामान खरीदा, बल्कि लोगों से इन दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए सामान खरीदने की अपील भी की.

शहर की रहने वाली अर्चना श्रीवास्तव पिछले 8 वर्षों से ऐसे स्पेशल बच्चों को सजाने और संवारने का काम कर रही हैं. वह उम्मीद किरण स्पेशल स्कूल एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर चला रही हैं. अर्चना श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ तकरीबन 24 दिव्यांग बच्चों को हर तरह से प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में लगी हैं. निश्चय ही मानसिक और शारीरिक रूप से मन्दित बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए इन्हें न केवल हमारे प्यार की जरूरत है. बल्कि, उनके हुनर की तारीफ कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की भी जरूरत है.

यह भी पढ़े-दूसरों के घरों की दिवाली रोशन करने में जुटीं नेत्रहीन बच्चियां, जानिए कैसे

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स्टॉलों पर सजे रंग बिरंगे दीये, खूबसूरत मोमबत्तियां, कलश, गुल्लक, तोरन, झूमर और एक से एक नायाब सामान किसी कारखाने से बनकर नहीं आए हैं, बल्कि इन्हें दिव्यांग बच्चों ने अपने हाथों से बनाकर सजाया और संवारा है. ये दिव्यांग बच्चे (Specially abled) बोलकर भले ही अपनी मंशा जाहिर न कर पा रहे हों. लेकिन, दिल से इनकी यही मंशा है कि सारा जहां खुशियों के दीपों से जगमग रहे.

ग्राहिका, सीडीओ और स्कूल संचालिका ने दी जानकारी

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इन दिव्यांग बच्चों ने जब इन सामानों को बिक्री के लिए दीपावली मेले में लगाया तो लोग इन्हें खरीदने से अपने आपको रोक नहीं पाए. मेले का उद्घाटन करने पहुंचीं सीडीओ एकता सिंह इन बच्चों का हुनर देख इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने न केवल खुद तमाम सामान खरीदा, बल्कि लोगों से इन दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए सामान खरीदने की अपील भी की.

शहर की रहने वाली अर्चना श्रीवास्तव पिछले 8 वर्षों से ऐसे स्पेशल बच्चों को सजाने और संवारने का काम कर रही हैं. वह उम्मीद किरण स्पेशल स्कूल एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर चला रही हैं. अर्चना श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ तकरीबन 24 दिव्यांग बच्चों को हर तरह से प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में लगी हैं. निश्चय ही मानसिक और शारीरिक रूप से मन्दित बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए इन्हें न केवल हमारे प्यार की जरूरत है. बल्कि, उनके हुनर की तारीफ कर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की भी जरूरत है.

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