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बाराबंकी जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट शुरू, एक रुपये में होगा इलाज

बाराबंकी में उन मरीजों के लिए राहत की खबर है, जो किडनी की प्रॉब्लम से परेशान हैं और उन्हें डायलिसिस की जरूरत है. अब वह महज एक रुपये के खर्च करने के बाद बाराबंकी में ही अपना डायलिसिस करा सकेंगे. बाराबंकी जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट (dialysis unit) में इलाज शुरू हो चुका है.

dialysis unit in barabanki
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Published : Aug 19, 2022, 5:57 PM IST

बाराबंकी : केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने बाराबंकी की जनता को बड़ी सौगात दी है. अब बाराबंकी और आसपास जिलों के किडनी की प्रॉब्लम से जूझ रहे (kidney disease) मरीजों को डायलिसिस (dialysis) कराने के लिए राजधानी लखनऊ या बड़े जिलों की दौड़ नहीं लगानी होगी क्योंकि यहां के जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट (dialysis unit ) में इलाज शुरू हो गया है है. डायलिसिस की सुविधा मरीजों को मुफ्त मिलेगी. अपॉइंटमेंट के लिए मरीजों को सिर्फ 1 रुपये की पर्ची कटवानी होगी.

बाराबंकी जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट शुरू.

बाराबंकी जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ ब्रजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (national health mission) और इसकैग संजीवनी (Eskag Sanjeevani) कंपनी ने संयुक्त रूप से बाराबंकी में डायलिसिस यूनिट की स्थापना की है. उन्होंने बताया कि इसकैग संजीवनी कंपनी प्रदेश के 16 जिलों में डायलिसिस यूनिट लगाने का एग्रीमेंट किया था. इसके तहत बाराबंकी जिला अस्पताल में भी 6 मशीनें लगाई गई हैं. एग्रीमेंट के तहत जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट लगाने के लिए कंपनी को जगह उपलब्ध कराई गई है. मैनपावर, इंफ्रास्ट्रक्चर और मशीनों की मेंटिंनेंस की जिम्मा संस्था का है. इसकैग संजीवनी के स्टेट हेड देबाशीष चन्द्रा ने बताया कि संजीवनी संस्था पूरे देश में डायलिसिस पर काम कर रही है. पूरे देश मे संस्था के 250 डायलिसिस सेंटर हैं.सरकार से संस्था का एग्रीमेंट है. सरकार प्रति डायलिसिस एक फिक्स रकम कम्पनी को देती है. राज्यमंत्री सतीश शर्मा, सांसद उपेन्द्र रावत समेत जिला प्रशासन की मौजूदगी में डायलिसिस की शुरुआत की गई थी.

डायलिसिस यूनिट बनने के बाद किडनी की प्रॉब्लम से जूझ रहे मरीज और उनके तीमारदारों ने राहत की सांस ली है. यहां डायलिसिस कराने आए मरीजों के परिजन मरेश मौर्य और नीलम यादव ने कहा कि बाराबंकी मे डायलिसिस शुरू होने के बाद उनका समय भी बचेगा और पैसे की बचत भी होगी. एक मरीज के तीमारदार शारदा बख्श सिंह ने बताया कि एक बार डायलिसिस कराने में आने जाने और दवाइयों को मिलाकर 30 से 35 हजार रुपये खर्च होते हैं. अब जब यहां यूनिट खुल गई है तो राहत मिल जाएगी. महज एक रुपये के पर्चे में डायलिसिस हो जाएगी.

क्या है डायलिसिस : सीएमएस डॉ ब्रजेश कुमार ने बताया कि जब किसी व्यक्ति के गुर्दे (kidney) सही ढंग से काम नहीं करते तो डॉक्टर उस मरीज की डायलिसिस करते हैं. दरअसल हमारे शरीर मे उपस्थित रक्त से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को छानने का काम दोनों गुर्दों का है. जब किन्ही कारणों से गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं तो डायलिसिस मशीन के जरिये रक्त को छानकर अपशिष्ट को निकाला जाता है.

पढ़ें : जिला पंचायत के इन दो कर्मचारियों को मिलेगा आजादी के अमृत महोत्सव का तोहफा

बाराबंकी : केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने बाराबंकी की जनता को बड़ी सौगात दी है. अब बाराबंकी और आसपास जिलों के किडनी की प्रॉब्लम से जूझ रहे (kidney disease) मरीजों को डायलिसिस (dialysis) कराने के लिए राजधानी लखनऊ या बड़े जिलों की दौड़ नहीं लगानी होगी क्योंकि यहां के जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट (dialysis unit ) में इलाज शुरू हो गया है है. डायलिसिस की सुविधा मरीजों को मुफ्त मिलेगी. अपॉइंटमेंट के लिए मरीजों को सिर्फ 1 रुपये की पर्ची कटवानी होगी.

बाराबंकी जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट शुरू.

बाराबंकी जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ ब्रजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (national health mission) और इसकैग संजीवनी (Eskag Sanjeevani) कंपनी ने संयुक्त रूप से बाराबंकी में डायलिसिस यूनिट की स्थापना की है. उन्होंने बताया कि इसकैग संजीवनी कंपनी प्रदेश के 16 जिलों में डायलिसिस यूनिट लगाने का एग्रीमेंट किया था. इसके तहत बाराबंकी जिला अस्पताल में भी 6 मशीनें लगाई गई हैं. एग्रीमेंट के तहत जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट लगाने के लिए कंपनी को जगह उपलब्ध कराई गई है. मैनपावर, इंफ्रास्ट्रक्चर और मशीनों की मेंटिंनेंस की जिम्मा संस्था का है. इसकैग संजीवनी के स्टेट हेड देबाशीष चन्द्रा ने बताया कि संजीवनी संस्था पूरे देश में डायलिसिस पर काम कर रही है. पूरे देश मे संस्था के 250 डायलिसिस सेंटर हैं.सरकार से संस्था का एग्रीमेंट है. सरकार प्रति डायलिसिस एक फिक्स रकम कम्पनी को देती है. राज्यमंत्री सतीश शर्मा, सांसद उपेन्द्र रावत समेत जिला प्रशासन की मौजूदगी में डायलिसिस की शुरुआत की गई थी.

डायलिसिस यूनिट बनने के बाद किडनी की प्रॉब्लम से जूझ रहे मरीज और उनके तीमारदारों ने राहत की सांस ली है. यहां डायलिसिस कराने आए मरीजों के परिजन मरेश मौर्य और नीलम यादव ने कहा कि बाराबंकी मे डायलिसिस शुरू होने के बाद उनका समय भी बचेगा और पैसे की बचत भी होगी. एक मरीज के तीमारदार शारदा बख्श सिंह ने बताया कि एक बार डायलिसिस कराने में आने जाने और दवाइयों को मिलाकर 30 से 35 हजार रुपये खर्च होते हैं. अब जब यहां यूनिट खुल गई है तो राहत मिल जाएगी. महज एक रुपये के पर्चे में डायलिसिस हो जाएगी.

क्या है डायलिसिस : सीएमएस डॉ ब्रजेश कुमार ने बताया कि जब किसी व्यक्ति के गुर्दे (kidney) सही ढंग से काम नहीं करते तो डॉक्टर उस मरीज की डायलिसिस करते हैं. दरअसल हमारे शरीर मे उपस्थित रक्त से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को छानने का काम दोनों गुर्दों का है. जब किन्ही कारणों से गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं तो डायलिसिस मशीन के जरिये रक्त को छानकर अपशिष्ट को निकाला जाता है.

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