सहारनपुर: गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा गुड़ को टैक्स फ्री करने के साथ कोल्हू संचालकों के लिए तमाम योजनाएं चलाने के दावे कर रहे हैं. गन्ना मंत्री गुड़ को 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' योजना में शामिल किए जाने के अलावा टैक्स फ्री किए जाने की बात कह रहे हैं. कोल्हू संचालक गुड़ को सस्ते दामों में बेचकर लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. कोल्हू संचालकों का कहना है कि गुड़ टैक्स फ्री होने का फायदा गुड़ व्यापारी उठा रहे हैं. श्रम विभाग में कोल्हू में काम करने वाले मजदूरों का रजिस्ट्रेशन तक भी नहीं हो पा रहा है.
गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने 2 साल पहले न सिर्फ गुड़ को वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना में शामिल किया था, बल्कि गुड़ को टैक्स फ्री कर कोल्हू संचालकों को फायदा पहुंचाने की पहल की थी. लेकिन गुड़ के टैक्स फ्री किए जाने का फायदा कोल्हू संचालकों के बजाए गुड़ व्यापारियों और मंडी के दलालों को मिल रहा है. गन्ना विकास मंत्री ने ईटीवी भारत पर कोल्हू संचालकों के लिए कई योजनाएं चलाने के दावे किए, जिसके बाद ईटीवी भारत की टीम हकीकत जानने के लिए जिले के कोल्हू संचालकों के बीच पहुंची. जहां कोल्हू संचालकों ने गन्ना विकास मंत्री के सभी दावों की पोल खोल दी.
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कोल्हू संचालकों ने बताया कि सरकार द्वारा चलाई गई सभी योजनाएं केवल कागजों में चल रही है. धरातल पर कहीं कुछ नहीं है. आलम यह है कि कोल्हू संचालन के लिए संचालकों को ऋण लेने के लिए भी पापड़ बेलने पड़ते है. लगातार बैंकों के चक्कर काटने के बाद भी ऋण नहीं मिल पाता, जिसके बाद मंडी आढ़तियों और साहूकारों से ब्याज पर पैसे लेकर कोल्हू चला रहे हैं.
टैक्स फ्री होने का लाभ कोल्हू संचालक को नहीं मिलता, बल्कि उसका फायदा तो सीधा आढ़तियों को मिलता है. लोन के लिए सहारनपुर में आवेदन किया, लेकिन लोन नहीं मिला. खास बात तो ये भी हैं कि एक कोल्हू पर काम करने वाले 15 से ज्यादा मजदूर काम करते हैं, लेकिन श्रम विभाग की ओर से इनका कोई रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया गया है. इससे किसी हादसे के बाद श्रम मंत्रालय की ओर से चलाई गई योजनाओं का लाभ इन मजदूरों को दिलाया जा सके. कोल्हू संचालकों के मुताबिक ये लोग खुद आपस में मिलजुल कर अपनी और मजदूरों की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करते हैं.
अब्दुल रहमान, कोल्हू संचालक,