बाराबंकी: पिछले एक दशक से हाशिये पर जा चुका कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी माना जाने वाला संगठन 'सेवादल' अब एक नई ऊर्जा के साथ फिर से सक्रिय हो गया है. इसके लिए हर जिले में सेवादल के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का काम शुरू हो गया है. बाराबंकी में मंडल भर से आए कार्यकर्ताओं को सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रशिक्षित कर उनको कई काम सौंपे.
फिर से सक्रिय कांग्रेस का सेवादल
- बता दें कि कभी सेवादल को कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी माना जाता था.
- जब-जब पार्टी हाशिये पर गई तब-तब ये सेवादल के सिपाही आगे आते रहे हैं.
- हर बार सत्ता मिलते ही संगठन को भूल जाना कांग्रेस की आदत रही है.
- जनवरी 1924 में जब कांग्रेस सेवा दल की स्थापना हुई थी, उस समय अंग्रेज भी इससे डरते थे.
- पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी इसके सक्रिय सदस्य रहे. नेहरू तो इसके पहले अध्यक्ष भी थे.
- आजादी के दौर में गांधी टोपी सेवा दल की पहचान हुआ करती थी.
- आजादी के बाद भी कई बड़े नेता सेवादल से निकले, जिन्होंने राजनीति में अपना योगदान दिया.
- राजीव गांधी का समय सेवादल के लिए सबसे अच्छा था, लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया.
- बीते लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद इसको सक्रिय करने की जरूरत महसूस की गई.
- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर सेवादल एक बार फिर से नई ऊर्जा से सक्रिय हो रहा है.
सेवादल के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर कई अहम काम सौंपे जा रहे हैं. शनिवार को बाराबंकी में मध्य जोन के कार्यकर्ताओं को सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने नए टिप्स देकर उन्हें फिर से नई ऊर्जा से सक्रिय होने को कहा. सेवादल आगामी नौ अगस्त को तिरंगा मार्च निकालकर अपनी सक्रियता का एहसास दिलाएगा. कार्यकर्ताओं ने इसके लिए एक स्लोगन भी तैयार किया है. स्लोगन है 'देश का झंडा तिरंगा, अब नहीं चलेगा दो रंगा'. उत्साह से लबरेज सेवादल कार्यकर्ताओं ने बताया कि कई पार्ट्स में काम दिए गए हैं, उन्हीं पर फोकस करके संगठन को मजबूत करना है.