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बाराबंकी: 6 एकड़ जमीन की शर्त बनी 'खेलो इंडिया' अभियान में बाधा

खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए भारत सरकार ने खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य ग्रामीण अंचलों में छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे निकलने में मदद करना है. इस अभियान के लिए 6 एकड़ जमीन की शर्त बाधा बनी है.

खेलो इंडिया
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Published : Oct 22, 2020, 8:41 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 9:02 PM IST

बाराबंकी: खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए भारत सरकार ने खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत हर ब्लॉक में मल्टी पर्पज हाल सहित खेल मैदानों को विकसित करना था, जिससे ग्रामीण अंचलों की छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे निकलने का मौका मिले, लेकिन इसके लिए 6 एकड़ जमीन की शर्त अभियान में बाधा बनी है. बीते तीन सालों में खेल विभाग और युवा कल्याण विभाग 12 विकास खंडों में जमीन तलाश नहीं कर पाया है.

खेलो इंडिया अभियान.

ग्रामीण अंचलों में खेलकूद
वर्ष 1952 में सूबे की सरकार ने युवा कल्याण विभाग की स्थापना कर ग्रामीण खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए युवक मंगल दल का गठन किया था. इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एकड़ भूमि खेल मैदान के लिए आरक्षित करने के आदेश दिए गए थे. प्रोत्साहन राशि बंद हुई तो खेल गतिविधियां कम हो गईं. लिहाजा इन खेल मैदानों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए. वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने गांवों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पायका योजना यानी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान की शुरुआत की. इसके तहत मनरेगा से खेल मैदान तैयार कराए जाने थे. कुछ गांवों में तो इसकी शुरुआत हुई, खेल उपकरण भी दिए गए, लेकिन धीरे-धीरे ये योजना भी अनियमितता की शिकार हो गई और योजना बंद कर दी गई.

खो-खो
खो-खो खेलते खिलाड़ी.

राजीव गांधी खेल योजना
फरवरी 2014 में एक बार फिर खेल-कूद को प्रोत्साहन और छुपी हुई प्रतिभाओं को निखारने की योजना बनी और राजीव गांधी खेल योजना शुरू की गई. राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के नाम पर बड़े जोर-शोर से इस योजना की शुरुआत की थी, लेकिन वर्ष 2016 में इस योजना को बंद कर इसे खेलो इंडिया में मर्ज कर दिया गया. वर्ष 2016 में पीएम मोदी ने खेलो इंडिया की शुरुआत की. राजीव गांधी खेल योजना के साथ-साथ दो और योजनाओं अर्बन स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम और नेशनल स्पोर्ट्स टैलेंट सर्च को भी खेलो इंडिया में मर्ज कर दिया गया.

फुटबॉल मैच.
फुटबॉल मैच.
हॉकी खेलते खिलाड़ी.
हॉकी खेलते खिलाड़ी.

ग्रामीण क्षेत्रों में खेलो इंडिया
मई 2017 में खेलो इंडिया को ग्रामीण क्षेत्रों में परवान चढ़ाने के लिए गाइडलाइंस बनी. इसके तहत ग्रांट दिया जाना तय हुआ. हर ब्लॉक में मल्टी पर्पज हॉल बनाए जाने पर आठ करोड़ रुपये दिए जाने थे. मल्टी पर्पज हॉल और खेल मैदान के लिए 6 एकड़ जमीन की दरकार थी. साथ ही इसकी दूरी ब्लॉक मुख्यालय से तीन किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए थी. इसके अलावा चयनित भूमि के आसपास डामरीकृत सड़क, स्कूल, कॉलेज होने चाहिए थे. बस इन्ही शर्तों के चलते जिले के 12 ब्लॉकों में ऐसी जमीन नहीं मिल पाई. प्रशासन ने काफी मशक्कत के बाद विकास खंड हैदरगढ़ के नरौली, बंकी ब्लॉक के भिटौली कला और बनीकोडर ब्लॉक के धरौली में जमीनें खोज निकालीं और शासन को दो साल पहले प्रस्ताव भेजा. धरौली में निर्माण की कार्रवाई शुरू हुई. इसमें पहली किस्त के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये मिले हैं. बाकी के दो प्रस्तावों पर मुहर नहीं लग पाई. लिहाजा बजट नहीं आया.

भारत सरकार की शर्तें थी कि स्टेडियम वहां बनाया जाए जहां जनसंख्या हो, आने-जाने का रास्ता, मार्केट, हॉस्पिटल, पुलिस चौकी, थाना इत्यादि हो. ऐसी जगहों पर हो, जिससे वहां की जनसंख्या उसका लाभ उठा सके. इसके लिए 6 एकड़ की जमीन चाहिए. बहुत मुश्किल है जमीन मिल पाना, लेकिन इसके लिए प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

- राजेश सोनकर, जिला क्रीड़ाधिकारी/युवा कल्याण अधिकारी

बाराबंकी: खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए भारत सरकार ने खेलो इंडिया अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत हर ब्लॉक में मल्टी पर्पज हाल सहित खेल मैदानों को विकसित करना था, जिससे ग्रामीण अंचलों की छुपी हुई प्रतिभाओं को आगे निकलने का मौका मिले, लेकिन इसके लिए 6 एकड़ जमीन की शर्त अभियान में बाधा बनी है. बीते तीन सालों में खेल विभाग और युवा कल्याण विभाग 12 विकास खंडों में जमीन तलाश नहीं कर पाया है.

खेलो इंडिया अभियान.

ग्रामीण अंचलों में खेलकूद
वर्ष 1952 में सूबे की सरकार ने युवा कल्याण विभाग की स्थापना कर ग्रामीण खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए युवक मंगल दल का गठन किया था. इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एकड़ भूमि खेल मैदान के लिए आरक्षित करने के आदेश दिए गए थे. प्रोत्साहन राशि बंद हुई तो खेल गतिविधियां कम हो गईं. लिहाजा इन खेल मैदानों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए. वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने गांवों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पायका योजना यानी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान की शुरुआत की. इसके तहत मनरेगा से खेल मैदान तैयार कराए जाने थे. कुछ गांवों में तो इसकी शुरुआत हुई, खेल उपकरण भी दिए गए, लेकिन धीरे-धीरे ये योजना भी अनियमितता की शिकार हो गई और योजना बंद कर दी गई.

खो-खो
खो-खो खेलते खिलाड़ी.

राजीव गांधी खेल योजना
फरवरी 2014 में एक बार फिर खेल-कूद को प्रोत्साहन और छुपी हुई प्रतिभाओं को निखारने की योजना बनी और राजीव गांधी खेल योजना शुरू की गई. राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के नाम पर बड़े जोर-शोर से इस योजना की शुरुआत की थी, लेकिन वर्ष 2016 में इस योजना को बंद कर इसे खेलो इंडिया में मर्ज कर दिया गया. वर्ष 2016 में पीएम मोदी ने खेलो इंडिया की शुरुआत की. राजीव गांधी खेल योजना के साथ-साथ दो और योजनाओं अर्बन स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम और नेशनल स्पोर्ट्स टैलेंट सर्च को भी खेलो इंडिया में मर्ज कर दिया गया.

फुटबॉल मैच.
फुटबॉल मैच.
हॉकी खेलते खिलाड़ी.
हॉकी खेलते खिलाड़ी.

ग्रामीण क्षेत्रों में खेलो इंडिया
मई 2017 में खेलो इंडिया को ग्रामीण क्षेत्रों में परवान चढ़ाने के लिए गाइडलाइंस बनी. इसके तहत ग्रांट दिया जाना तय हुआ. हर ब्लॉक में मल्टी पर्पज हॉल बनाए जाने पर आठ करोड़ रुपये दिए जाने थे. मल्टी पर्पज हॉल और खेल मैदान के लिए 6 एकड़ जमीन की दरकार थी. साथ ही इसकी दूरी ब्लॉक मुख्यालय से तीन किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए थी. इसके अलावा चयनित भूमि के आसपास डामरीकृत सड़क, स्कूल, कॉलेज होने चाहिए थे. बस इन्ही शर्तों के चलते जिले के 12 ब्लॉकों में ऐसी जमीन नहीं मिल पाई. प्रशासन ने काफी मशक्कत के बाद विकास खंड हैदरगढ़ के नरौली, बंकी ब्लॉक के भिटौली कला और बनीकोडर ब्लॉक के धरौली में जमीनें खोज निकालीं और शासन को दो साल पहले प्रस्ताव भेजा. धरौली में निर्माण की कार्रवाई शुरू हुई. इसमें पहली किस्त के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये मिले हैं. बाकी के दो प्रस्तावों पर मुहर नहीं लग पाई. लिहाजा बजट नहीं आया.

भारत सरकार की शर्तें थी कि स्टेडियम वहां बनाया जाए जहां जनसंख्या हो, आने-जाने का रास्ता, मार्केट, हॉस्पिटल, पुलिस चौकी, थाना इत्यादि हो. ऐसी जगहों पर हो, जिससे वहां की जनसंख्या उसका लाभ उठा सके. इसके लिए 6 एकड़ की जमीन चाहिए. बहुत मुश्किल है जमीन मिल पाना, लेकिन इसके लिए प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

- राजेश सोनकर, जिला क्रीड़ाधिकारी/युवा कल्याण अधिकारी

Last Updated : Oct 22, 2020, 9:02 PM IST
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