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बेखौफ होकर दें गवाही, सक्षम प्राधिकरण देगा सुरक्षा

किसी भी अपराध के गवाहों को अब डराना या धमकाना दोषियों को अब महंगा पड़ेगा. सक्षम प्राधिकरण गवाहों को सुरक्षा प्रदान करेगा. वैसे भी भारतीय दंड संहिता में भी गवाहों को सुरक्षा मुहैया प्रदान करने का प्रावधान है.

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Published : Jul 3, 2021, 10:42 AM IST

Updated : Jul 3, 2021, 11:49 AM IST

सक्षम प्राधिकरण देगा गवाहों को सुरक्षा
सक्षम प्राधिकरण देगा सक्षम प्राधिकरण देगा गवाहों को सुरक्षाको सुरक्षा

बाराबंकी: किसी भी अपराध के गवाह को डराना धमकाना अब अभियुक्तों को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि इसके लिए सत्र न्यायाधीश (District & Sessions Judge) की अध्यक्षता में एक सक्षम प्राधिकरण(Competent Authority) का गठन किया गया है, जिसमें जिलाधिकारी (District Magistrate)और पुलिस अधीक्षक (SP) भी शामिल हैं. किसी भी गवाह द्वारा प्राधिकरण को दिए गए प्रार्थना पत्र की विटनेस प्रोटेक्शन सेल (Witness Protection cell) द्वारा तैयार की गई थ्रेट एनालिसिस रिपोर्ट (Threat Analysis Report) के आधार पर अभियुक्तों के खिलाफ प्राधिकरण कोई भी कार्रवाई कर सकता है. यही नहीं इस रिपोर्ट के आधार पर गवाह को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी. खास बात ये कि इस योजना के अंतर्गत साक्षी के अलावा उसके परिवार को ,उसके निवास के अतिरिक्त अन्य स्थान पर भी आवश्यक सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सकेगी.

जानकारी देते संयुक्त निदेशक अभियोजन
दरअसल अभियुक्तों द्वारा गवाहों को डरा धमका कर या प्रलोभन देकर या किसी अन्य प्रकार से प्रभावित करके दोषमुक्त हो जाने को शासन ने गम्भीरता से लिया है. यही वजह है कि शासन द्वारा आपराधिक वादों में साक्षियों की सुरक्षा के सम्बंध में बनाई गई "विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम" (Witness Protection Scheme- 2018) को पूर्ण मनोयोग और प्रभावी ढंग से अनुपालन कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे कि गम्भीर मामलों में ज्यादा से ज्यादा कनविक्शन हो और अपराधियों को सजा मिले. अधिकांश गम्भीर अपराधों के अभियुक्त अभियोजन साक्षियों को विभिन्न रूप से डरा धमकाकर या प्रलोभन देकर या अन्य प्रकार से प्रभावित करके दोषमुक्त हो जाते हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव न्याय प्रशासन एवं राज्य की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है.
मृत्युदंड, आजीवन कारावास या 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास तथा आईपीसी की धारा 354,354 ए,354 बी,354 सी और 354 डी तथा 509 के अपराध को इस योजना में शामिल किया गया है. इन मामलों के पीड़ित पक्ष के गवाहों को साक्षी सुरक्षा योजना का लाभ मिलेगा.
किसी भी गवाह को अगर कोई अभियुक्त गवाही देने के लिए डराता धमकाता है तो साक्षी निर्धारित फार्मेट में सुसंगत संलग्नकों सहित प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करेगा. सम्बंधित पुलिस उपाधीक्षक अथवा किसी इकाई के राजपत्रित अधिकारी साक्षी सुरक्षा हेतु सक्षम प्राधिकरण को अपनी आख्या प्रस्तुत कर सकते हैं. सक्षम प्राधिकरण अपने नीचे एडिशनल एसपी की देख-रेख में गठित साक्षी सुरक्षा प्रकोष्ठ से थ्रेट एनालिसिस रिपोर्ट लेगा और फिर इस पर कार्रवाई करेगा. इसके साथ ही प्राधिकरण गवाहों को सुरक्षा प्रदान करेगा.
साक्षी सुरक्षा योजना वर्ष 2018 में बनी थी जिसका अनुपालन भी हो रहा था, लेकिन अब इसका और गम्भीरता से अनुपालन कराया जाएगा. इन तीन वर्षों में हालांकि किसी भी साक्षी द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई लिहाजा योजना का लाभ किसी को नहीं मिल सका. इस स्कीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपराधिक मामलों की जांच,अभियोजन और विचारण इस कारण पक्षपात पूर्ण न हो जाय कि साक्षियों को हिंसक और अन्य आपराधिक प्रत्यारोपण से असुरक्षित होकर गवाही देने के मामले में धमकाया अथवा डराया जाता है.निश्चय ही शासन द्वारा चलाई जा रही इस योजना का खासा लाभ न्याय प्रणाली को मिलेगा. साक्षी भयमुक्त होकर गवाही देंग, जिससे कि अपराधियों को ज्यादा से ज्यादा सजा मिल सकेगी.

बाराबंकी: किसी भी अपराध के गवाह को डराना धमकाना अब अभियुक्तों को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि इसके लिए सत्र न्यायाधीश (District & Sessions Judge) की अध्यक्षता में एक सक्षम प्राधिकरण(Competent Authority) का गठन किया गया है, जिसमें जिलाधिकारी (District Magistrate)और पुलिस अधीक्षक (SP) भी शामिल हैं. किसी भी गवाह द्वारा प्राधिकरण को दिए गए प्रार्थना पत्र की विटनेस प्रोटेक्शन सेल (Witness Protection cell) द्वारा तैयार की गई थ्रेट एनालिसिस रिपोर्ट (Threat Analysis Report) के आधार पर अभियुक्तों के खिलाफ प्राधिकरण कोई भी कार्रवाई कर सकता है. यही नहीं इस रिपोर्ट के आधार पर गवाह को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी. खास बात ये कि इस योजना के अंतर्गत साक्षी के अलावा उसके परिवार को ,उसके निवास के अतिरिक्त अन्य स्थान पर भी आवश्यक सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सकेगी.

जानकारी देते संयुक्त निदेशक अभियोजन
दरअसल अभियुक्तों द्वारा गवाहों को डरा धमका कर या प्रलोभन देकर या किसी अन्य प्रकार से प्रभावित करके दोषमुक्त हो जाने को शासन ने गम्भीरता से लिया है. यही वजह है कि शासन द्वारा आपराधिक वादों में साक्षियों की सुरक्षा के सम्बंध में बनाई गई "विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम" (Witness Protection Scheme- 2018) को पूर्ण मनोयोग और प्रभावी ढंग से अनुपालन कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे कि गम्भीर मामलों में ज्यादा से ज्यादा कनविक्शन हो और अपराधियों को सजा मिले. अधिकांश गम्भीर अपराधों के अभियुक्त अभियोजन साक्षियों को विभिन्न रूप से डरा धमकाकर या प्रलोभन देकर या अन्य प्रकार से प्रभावित करके दोषमुक्त हो जाते हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव न्याय प्रशासन एवं राज्य की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है.
मृत्युदंड, आजीवन कारावास या 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास तथा आईपीसी की धारा 354,354 ए,354 बी,354 सी और 354 डी तथा 509 के अपराध को इस योजना में शामिल किया गया है. इन मामलों के पीड़ित पक्ष के गवाहों को साक्षी सुरक्षा योजना का लाभ मिलेगा.
किसी भी गवाह को अगर कोई अभियुक्त गवाही देने के लिए डराता धमकाता है तो साक्षी निर्धारित फार्मेट में सुसंगत संलग्नकों सहित प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करेगा. सम्बंधित पुलिस उपाधीक्षक अथवा किसी इकाई के राजपत्रित अधिकारी साक्षी सुरक्षा हेतु सक्षम प्राधिकरण को अपनी आख्या प्रस्तुत कर सकते हैं. सक्षम प्राधिकरण अपने नीचे एडिशनल एसपी की देख-रेख में गठित साक्षी सुरक्षा प्रकोष्ठ से थ्रेट एनालिसिस रिपोर्ट लेगा और फिर इस पर कार्रवाई करेगा. इसके साथ ही प्राधिकरण गवाहों को सुरक्षा प्रदान करेगा.
साक्षी सुरक्षा योजना वर्ष 2018 में बनी थी जिसका अनुपालन भी हो रहा था, लेकिन अब इसका और गम्भीरता से अनुपालन कराया जाएगा. इन तीन वर्षों में हालांकि किसी भी साक्षी द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई लिहाजा योजना का लाभ किसी को नहीं मिल सका. इस स्कीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपराधिक मामलों की जांच,अभियोजन और विचारण इस कारण पक्षपात पूर्ण न हो जाय कि साक्षियों को हिंसक और अन्य आपराधिक प्रत्यारोपण से असुरक्षित होकर गवाही देने के मामले में धमकाया अथवा डराया जाता है.निश्चय ही शासन द्वारा चलाई जा रही इस योजना का खासा लाभ न्याय प्रणाली को मिलेगा. साक्षी भयमुक्त होकर गवाही देंग, जिससे कि अपराधियों को ज्यादा से ज्यादा सजा मिल सकेगी.
Last Updated : Jul 3, 2021, 11:49 AM IST
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